श्रीलंका में आपातकाल हटा, सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार रात को आपातकाल हटा लिया है। आपातकाल 1 अप्रैल से लागू हो गया था। इसके जरिए हुकूमत की कोशिश मुल्क में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने की थी। लेकिन श्रीलंका के तमाम हिस्सों में हुकूमत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
उधर, राजपक्षे सरकार ने संसद में बहुमत खो दिया है। मंगलवार को बुलाए गए संसद सत्र के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के 41 सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था और विदेश मंत्री बनाए गए अली सबरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
हालात पर पैनी नजर
लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच नार्वे और इराक ने श्रीलंका में स्थित अपने दूतावासों को बंद कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने कहा है कि वह श्रीलंका में लगातार बदल रहे हालात पर पैनी नजर रखे हुए है। आईएमएफ ने कहा है कि वह भी श्रीलंका के राजनीतिक और आर्थिक हालात पर नजर रख रहा है।
लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद बीते रविवार की रात को श्रीलंका की सरकार के सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
इस्तीफा दें राजपक्षे
225 सदस्यों वाली श्रीलंका की संसद में हुकूमत चलाने के लिए 113 सांसदों की जरूरत है। सत्तारूढ़ गठबंधन को 2020 के आम चुनाव में 150 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन 41 सदस्यों का समर्थन खोने के बाद अब इसके पास 109 सदस्य ही रह गए हैं। ऐसे में साफ है कि हुकूमत के पास अब बहुमत नहीं है। इसके बाद विपक्ष के नेताओं ने कहा है कि राजपक्षे को इस्तीफा दे देना चाहिए।
लेकिन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा है कि वह उस राजनीतिक दल को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं जो सदन में बहुमत साबित कर देगा। आर्थिक बदहाली के बीच केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड कबराल ने अपना पद छोड़ दिया था।
ईंधन, खाने का सामान, दवाएं और दूसरी जरूरी चीजों की जबरदस्त किल्लत के खिलाफ लोग लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसे लेकर अभी तक सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोलंबो के अलावा गाले, मतारा और मोरातुवा शहरों में भी सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए हैं और इन जगहों पर लोगों ने सड़कों को जाम कर दिया। हालात को देखते हुए मुल्क में पुलिस और सेना को अलर्ट पर रखा गया है।