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आपातकाल के काले दिनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता: पीएम मोदी 

आपातकाल के काले दिनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता: पीएम मोदी 

25 जून, 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के आज 46 साल पूरे हो गए हैं।

25 जून, 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के आज 46 साल पूरे हो गए हैं। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने कांग्रेस पर हमला बोला है।

मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि आपातकाल के काले दिनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता। वह दौर व्यवस्थित ढंग से संस्थाओं को ख़त्म किए जाने का गवाह है और यह दिखाता है कि कांग्रेस ने किस तरह हमारे लोकतांत्रिक चरित्र और मान्यताओं को कुचल दिया था। 

उन्होंने कहा है कि हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मज़बूत करने के लिए काम करेंगे। 

मोदी ने बीजेपी की ओर से जारी इंस्टाग्राम के एक लिंक को भी शेयर किया है जिसमें बताया गया है कि उस दौरान महात्मा गांधी, रबिन्द्र नाथ टैगोर की बताई बातों के प्रचार और शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की फ़िल्म पर रोक लगा दी गई थी। इसके अलावा प्रदर्शन करने की भी इजाजत नहीं थी। 

‘इतिहास का काला अध्याय’

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अहंकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी थी और असंख्य सत्याग्रहियों को रातों-रात जेल की कालकोठरी में कैदकर प्रेस पर ताले जड़ दिए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थों के लिए आपातकाल की घोषणा की थी और यह भारत के महान लोकतंत्र पर काला धब्बा है। उन्होंने कहा है कि वे उन सभी सत्याग्रहियों को नमन करते हैं, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का विरोध किया और लोकतांत्रिक मूल्यों की आस्था को संजोकर रखा।

दमन का था दौर 

1971 के आम चुनाव में भारी जीत के बाद इंदिरा गांधी पर निरंकुश होने के आरोप लगने लगे और लोकतांत्रिक संस्थाओं को अप्रासंगिक और निष्प्रभावी बनाया जाने लगा। इंदिरा सरकार ने असहमति और विरोध की आवाज़ का निर्ममतापूर्वक दमन शुरू कर दिया और इस माहौल के बीच जयप्रकाश नारायण सक्रिय राजनीति में लौटे। उनकी अगुवाई में बिहार से ऐतिहासिक छात्र आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसने देखते ही देखते राष्ट्रव्यापी शक्ल ले ली। 

जयप्रकाश नारायण के आंदोलन को दबाने के लिए इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर दिया था। 1975 से 1977 के बीच 19 महीने तक आपातकाल का दौर जारी रहा। 

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