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आप्रवासियों को खदेड़ने के पैरोकार भी इमा की जीत का जश्न क्यों मना रहे हैं?

आप्रवासियों को खदेड़ने के पैरोकार भी इमा की जीत का जश्न क्यों मना रहे हैं?

इमा राडुकानू की यूएस ओपन में जीत पर चार-चार मुल्कों में तालियाँ बज रही हैं। इमा आप्रवासी हैं। उन्होंने ब्रिटेन को 44 साल बाद यह ट्रॉफी दिलाई है। यह जीत ऐसे समय में आई है जब इंग्लैंड की गृह मंत्री आप्रवासियों को वापस धकेलने की बात कह रही हैं।  

इमा राडुकानू: क्या यह नाम आपका सुना हुआ है? कोई वजह नहीं अगर आप लॉन टेनिस के ऐसे शैदाई न हों कि औरतों की टेनिस पर भी आपकी नज़र रहती हो। अगर आप ऐसे हैं (और यह लेखक आपकी तरह का नहीं) तो ज़रूर इस बार की यूएस ओपन चैम्पियनशिप की विजेता का नाम आप जानते होंगे। इमा राडुकानू: सिर्फ़ 18 बरस की। यूएस ओपन का इस बार का ताज इमा के माथे सजा। टेनिस की देवियों में से एक, और हमारे ज़माने की सितारा, बिली जीन किंग ने ट्रॉफी देते हुए कहा कि उन्हें बड़ी खुशी और तसल्ली है कि इस पीढ़ी में उनके सपने ज़िंदा हैं। वर्जीनिया वेड, जिन्होंने 44 साल पहले ब्रिटेन के लिए यह खिताब जीता था, अपनी हमवतन को बिना कोई सेट हारे यूएस ओपन का यह फाइनल मैच जीतते हुए देखने को न्यूयॉर्क के स्टेडियम में मौजूद थीं। 'एक सितारे का जन्म हुआ है और अभी तो यह शुरुआत है', मार्टिना नवरातिलोवा ने अपना उल्लास जाहिर किया।

इमा की जीत हैरतअंगेज़ है। इसलिए कि उन्हें इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए पहले क्वालिफाइंग मैच खेलने पड़े। जिसे सीधे प्रवेश न था, वह ट्रॉफी ले जाए, यह अचरज से काम न था।

किसी एक खिलाड़ी के जीत पर क्या चार-चार मुल्कों में तालियाँ बज सकती हैं? और तीन भाषाओं में मुबारकबाद मिल सकती है? रूमानिया, चीन, कनाडा और ब्रिटेन। इमा राडुकानू: ऐसा नहीं कि सिर्फ़ भारतीय ट्रेन में सफर करते वक़्त इस खिलाड़ी से पूछा जाए: तुम कहाँ की हो? ब्रिटेन में भी यह सवाल इमा से किया जा सकता है।

इमा राडुकानू: पूरा नाम ही बोलना पड़ेगा क्योंकि सिर्फ़ पहले नाम से आपको इस नाम का सफर और इसकी कहानी न मालूम होगी। इमा ब्रिटेन की नागरिक हैं। लेकिन वह रुमानियाई हैं, चीनी हैं, कनाडा की हैं और ब्रिटेन की तो हैं ही। इमा की माँ रिनी चीन के शेनयांग की हैं और पिता इयान रोमान, बुख़ारेस्ट के हैं। इमा का जन्म कनाडा के टोरॉन्टो में हुआ और वह 2 साल की थीं जब उनके माता-पिता ने तय किया कि ब्रिटेन उनके और उनकी बेटी के लिए बेहतर जगह होगी। इमा चीनी अच्छी तरह बोल सकती हैं और अपनी ददिहाल में वक़्त बिताना पसंद करती हैं।

ब्रिटेन की साम्राज्ञी, प्रधानमंत्री, राजनेताओं से इमा को बधाई मिलने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। ब्रिटेन में इस जीत के बहाने वह बहस नए सिरे से शुरू हो गई है जो शायद ख़त्म ही न हो। एक अख़बार में इमा की जीत पर जश्न भरी सुर्खी है और ठीक उसके क़रीब ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल की धमकी है कि देश की सीमा से आप्रवासियों को वापस फ्रांस में धकेल दिया जाएगा। 

'ब्रिटेन सिर्फ़ ब्रिटिश का' और बाहरी लोगों को बाहर करो की राजनीति के अलम्बरदार नाइजेल फैराज ने जब इमा को बधाई दी तो लोगों ने उनके उस बयान को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि लंदन में अगर घर के बगल में रोमानियाई पड़ोसी आएँ तो कोई भी समझदार आदमी सावधान और चिंतित हो जाएगा।

इमा राडुकानू और उनके माँ-पिता और टेनिस की दुनिया के लोग चाहते हैं कि यह लम्हा सिर्फ़ खेल का हो। लेकिन ऐसा होता नहीं। ट्रॉफी को अपने सीने से लगाए इमा की तस्वीर भर देखकर क्या आप कह सकते हैं कि वह ब्रिटिश हैं? उनका रंग, चेहरा मोहरा देखकर? लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान ने इमा की जीत पर कहा कि ‘इमा जो एक रुमानियाई और चीनी पिता-माँ की संतान हैं, दरअसल लन्दन या ब्रिटेन की कहानी हैं: यहाँ लन्दन में हम विविधता को गले लगाते हैं और उसका जश्न मनाते हैं।’

 - Satya Hindi

सादिक़ ख़ानफ़ोटो साभार: ट्विटर/सादिक़ ख़ान

सादिक़ ख़ान खुद कहाँ के हैं जो ब्रिटेन की राजधानी के मुखिया हैं? हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और ब्रिटेन: ये तीन मुल्क सादिक़ की पहचान से जुड़े हैं। उनके अब्बा अमानुल्लाह और माँ सेहरुन 1968 में ही पाकिस्तान से ब्रिटेन आए। और ब्रिटेन ने उनके 8 बच्चों में से एक सादिक़ खान को अपना सांसद भी चुना और अपनी राजधानी भी सुपुर्द की। भारत में अगर यह कुव्वत बची हो तो वह सादिक़ ख़ान को अपना कह सकता है क्योंकि उनके दादा-दादी लखनऊ से पाकिस्तान गए थे। क्या ऐसा होगा?

हम हमेशा लेकिन अपने मुल्क का रोना क्यों रोएँ? इमा की जीत पर इंग्लैंड की विविधता के प्रति स्वीकृति का गुणगान करनेवालों को सावधान करनेवालों की कमी नहीं है। वे कह रहे हैं कि इस जश्न से धोखे में न आना चाहिए। यह जितना विविधता का नहीं, उतना कामयाबी का जश्न है। फिर भी इसके मायने हैं। 'ब्रिटिश फ्यूचर' नामक संस्था के सुंदर कटवाला ने इमा की जीत के बाद कहा कि ऐसी कहानी अपवाद है और उस बड़े सवाल से अभी भी जूझना बाक़ी है कि ब्रिटेन भिन्न-भिन्न पहचानों के साथ तालमेल बैठाने में कितना इत्मीनान महसूस करता है। ब्रिटेन में इस कमी की आलोचना करनेवाले सुंदर कौन हैं? भारतीय और आयरिश माँ-पिता की संतान।

सुंदर की तरह ही विविधता के सवाल पर काम करनेवाली संस्था 'इक्वलिटी फ़र्स्ट' की वांडा वाइपोरका ने कहा कि जितना ही अधिक लोग यह समझ लें कि विविधता ब्रिटिश पहचान के लिए सकारात्मक है उतना ही अच्छा होगा। लेकिन उनकी चिंता यह है कि अमूमन देश के लिए कोई कामयाबी हासिल करने के बाद ही आप्रवासियों को और उनकी पहचान को कबूल किया जाता है। क्या आप देश के लिए कोई तमगा, कोई शील्ड, कोई ट्रॉफी जीत कर लाएँ तभी देश आपको अपनाए? वांडा का मुश्किल सवाल यह है। लेकिन वांडा खुद कौन हैं? आधी बारबाडोस की, चौथाई पोलिश और चौथाई अँगरेज़! और पूरी ब्रिटिश।

स्पोर्ट इंग्लैंड के बोर्ड सदस्य क्रिस ग्रांट ने इसका स्वागत किया कि मीडिया का वह हिस्सा भी, जो आप्रवासियों के और ख़तरा झेल रहे पनाहगुज़ीरों के भी ख़िलाफ़ है, इमा की विजय पर पूरे के पूरे पन्ने या टीवी के घंटों पर घंटे दे रहा है। उन्होंने सावधान किया कि इमा की जीत के कारण उनके विदेशी मूल पर बहस ज़्यादा होगी और यह एक बोझ है जो इस तरुणी को उठाना होगा। लेकिन ग्रांट ने कहा कि उनका उत्साह राडुकानू के टेनिस क्लब की तस्वीरों ने बढ़ाया है।  इमा की जीत पर खुशी मानते हुए जो चेहरे दीख रहे थे, वे कई रंगोंवाले थे।

इमा की टेनिस की जीत का उत्सव अभी शुरू हुआ है। ब्रिटेन उन्हें ज़रूर सर माथे बिठाएगा। वह यूएस ओपन की उस ट्रॉफी को आखिर 44 साल बाद वापस ब्रिटेन ला रही हैं। लेकिन इमा को, इमा राडुकानू, प्रत्येक इमा राडुकानू को ब्रिटेन में नाइजेल फैराज का पड़ोसी हो पाने के लिए यह करना ज़रूरी है?

विजयोल्लास के इन क्षणों में इन प्रश्नों पर विचार कुछ लोगों को चिरनिराशावादियों का प्रिय विलाप लग रहा है। वे कह रहे हैं, हम तो ट्रॉफी देख रहे हैं, इमा की मेहनत और प्रतिभा देख रहे हैं, उसका रंग नहीं। लेकिन क्या वे सच बोल रहे हैं?

इस चर्चा को लेकिन मैं इस प्रश्न के साथ अभी स्थगित नहीं करना चाहता। इमा ने फाइनल में जिन्हें हराया उनका नाम है लाइला फर्नांडिस। वे उस देश की हैं जहाँ उनकी प्रतिद्वंद्वी का जन्म हुआ था, यानी कनाडा की। उनके पिता इक्वाडोर के हैं और माँ फिलीपीनो-कनाडियन। वे कनाडा के नागरिक हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदो ने इन दोनों को ही मुबारकबाद दी। और जब त्रुदो को पढ़ रहा था तभी इस ख़बर पर नज़र पड़ी जिसमें कयास लगाया गया है कि त्रुदो के बाद अभी कनाडा का सबसे लोकप्रिय राजनेता शायद अगले चुनाव में प्रधान मंत्री हो या अगर न हो सके तो उस पद की चाभी उसके पास ज़रूर हो। उसका नाम क्या है? वह है जगमीत सिंह। अब क्या हम यह पूछें कि जगमीत सिंह कौन हैं?

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