+
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा, अब CEC राजीव कुमार अकेले रह गए

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा, अब CEC राजीव कुमार अकेले रह गए

केंद्रीय चुनाव आयोग के चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार शाम को इस्तीफा दे दिया, उनका इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। जाहिर है कि राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सलाह पर इस्तीफा स्वीकार किया होगा। अरुण गोयल से सरकार के रिश्ते बहुत अच्छे थे। इसे उनकी नियुक्ति के घटनाक्रम से भी समझा जा सकता है। खबर के लिखे जाने तक उनके इस्तीफे की खास वजह सामने नहीं आई थी।

चुनाव आयोग अगले हफ्ते लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित करने की प्रक्रिया में था। लेकिन उससे पहले शनिवार को एक चौंकाने वाले कदम में, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा बिना देर लगाए स्वीकार कर लिया है। भारतीय चुनाव आयोग में पहले से ही एक पद खाली था और अब सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही अकेले रह गए।

इस अचानक पैदा हुई स्थिति से अब चुनाव की तारीख घोषित होने में देर हो सकती है या फिर सरकार एक-दो दिन में नया चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दे। लेकिन उसके लिए प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। यानी सर्च कमेटी नाम देगी। फिर पीएम बाकी सदस्यों के साथ बैठक करके फैसला लेंगे। हालांकि अब उसमें सिर्फ औपचारिकता होगी, क्योंकि सरकार के फैसलों को चुनौती देने वाला उस कमेटी में अब कोई नहीं है। पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी उसके सदस्य होते थे।

एनडीटीवी के मुताबिक सरकार के आला अधिकारियों ने कहा कि अरुण गोयल ने इस्तीफा देते समय व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया। सरकार ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जिद की। इस अटकल पर कि इस्तीफे का कारण सेहत है, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है और अरुण गोयल पूरी तरह स्वस्थ हैं। एक अधिकारी ने कहा, "सरकार खाली पदों पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी।"

1985 बैच के आईएएस अधिकारी गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था और एक ही दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने सरकार से पूछा था कि "आखिरकार जल्दबाजी" क्या थी।


कोर्ट ने पूछा था-  "कानून मंत्री ने शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की सूची में से चार नाम चुने... फाइल 18 नवंबर को रखी गई थी। उसी दिन आगे बढ़ गई। यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी। हम कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन क्या यह किसी जल्दबाजी में किया गया? आखिर इतनी जल्दी क्या है।''

अरुण गोयल प्रकरण में यह साफ है कि सरकार से बेहतर रिश्तों की वजह से ही उनके रिटायरमेंट के एक ही दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त कर दिया गया। नियुक्ति की इतनी तेज प्रक्रिया ऐसे महत्वपूर्ण पद के लिए इससे पहले कभी इस तरह नहीं देखी गई। तमाम राजनीतिक दलों के कार्यकाल में सरकार की पसंद के अधिकारी नियुक्त किए जाते रहे हैं लेकिन इतनी जल्दी किसी अन्य नियुक्ति में नहीं की गई। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें