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चुनाव आयोग का बीजेपी प्रेमः हरीश रावत की फोटो से छेड़छाड़ पर सिर्फ चेतावनी

चुनाव आयोग का बीजेपी प्रेमः हरीश रावत की फोटो से छेड़छाड़ पर सिर्फ चेतावनी

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ बीजेपी ने छेड़छाड़ की। उन्हें मौलवी के रूप में पेश किया। लेकिन आरोप साबित होने के बावजूद चुनाव आयोग ने बीजेपी को भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देने के साथ मामले को निपटा दिया। विपक्षी दलों के साथ चुनाव आयोग का सौतेलापन और बीजेपी प्रेम बार-बार सामने आ रहा है।

केंद्रीय चुनाव आयोग का बीजेपी प्रेम इस चुनाव में खुलकर सामने आ गया है। उत्तराखंड में बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें मौलवी हरीश रावत बना दिया। इसकी शिकायत हुई। उसे सही पाया गया। लेकिन चुनाव आयोग ने बीजेपी को भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देने के साथ मामले को निपटा दिया। 

चुनाव आयोग का देश के विपक्षी दलों के साथ यह आपत्तिजनक व्यवहार बार-बार सामने आ रहा है। सत्य हिन्दी की पिछली रिपोर्ट में कांग्रेस के रोड शो को लेकर दर्ज की गई एफआईआऱ का मुद्दा उठाया गया था। लेकिन आयोग को उसी यूपी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बाकी बीजेपी नेताओं के रोड शो नजर नहीं आ रहे हैं।

चुनाव आयोग ने हरीश रावत के मामले में बीजेपी को चेतावनी देकर छोड़ने से पहले आयोग ने उत्तराखंड बीजेपी को आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया था और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत की एक विकृत छवि को ट्वीट करने के लिए 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा था। उस ट्वीट में रावत को एक मौलवी के रूप में दिखाया गया था। कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई। जिसमें आरोप लगाया गया कि बीजेपी उत्तराखंड ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 3 फरवरी को रात 9.34 बजे रावत की एक मॉर्फ्ड तस्वीर ट्वीट की, जिसमें उन्हें गलत तरीके से मौलवी दिखाया गया।

 - Satya Hindi

आपत्तिजनकः हरीश रावत की इसी फोटो से बीजेपी उत्तराखंड ने छेड़छाड़ की थी, जिसे उसने बाद में हटा लिया। चुनाव आयोग ने बीजेपी को मात्र चेतावनी देकर मामला निपटा दिया।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने 5 फरवरी को सीईसी से बात की थी और बीजेपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। रणदीप ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने आदर्श आचार संहिता और कानून के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन किया है, क्योंकि यह लोगों के बीच धार्मिक आधार पर वैमनस्य पैदा करना चाहती है। कांग्रेस के दबाव पर बीजेपी ने उक्त ट्वीट को हटा दिया।

चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर बीजेपी को भेजे गए नोटिस में कहा था, "आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह माना है कि बीजेपी उत्तराखंड ने मॉडल के भाग 'सामान्य आचरण' में निर्धारित खंड (I) और (2) का उल्लंघन किया है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-123 की आचार संहिता और भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153(ए) की उप-धारा (आई)(ए) में ऐसे बयान दिए गए हैं जो भड़काऊ हैं और गंभीर हैं। इससे भावनाओं को भड़काने और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने का कारण बन सकता है जिससे चुनाव प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।"

आयोग ने यह भी कहा था, "इसलिए, अब आयोग बीजेपी उत्तराखंड को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर हरीश रावत की मॉर्फ्ड छवि डालने पर अपना रुख स्पष्ट करने का अवसर देता है।" कांग्रेस नेता सुरजेवाला, रावत, देवेंद्र यादव, गणेश गोदियाल और अन्य ने अपने ज्ञापन के माध्यम से मांग की थी कि आयोग बीजेपी उत्तराखंड इकाई के खिलाफ आवश्यक और तत्काल दंडात्मक कार्रवाई करे।

कांग्रेस पार्टी ने यह भी मांग की थी कि उक्त ट्वीट को तुरंत हटा दिया जाए और उत्तराखंड राज्य में विधानसभा चुनाव के पूरा होने तक बीजेपी उत्तराखंड का आधिकारिक ट्विटर हैंडल निलंबित कर दिया जाए। 

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