चुनाव आयोग ने की यूनिक नंबर सहित चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी सार्वजनिक
चुनाव आयोग ने गुरुवार को आख़िरकार इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी। इसमें वह यूनिक नंबर भी शामिल है जिससे चुनावी बॉन्ड को खरीदने वाले और उसको भुनाने वाले का मिलान किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कुछ घंटे पहले ही एसबीआई ने यह जानकारी चुनाव आयोग को दी है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती की वजह से यह महज कुछ गिने-चुने दिनों में ही पूरी जानकारी सार्वजनिक हो गई, जबकि एसबीआई पहले क़रीब चार महीने का समय मांग रहा था।
भारतीय चुनाव आयोग यानी ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप बॉन्ड संख्या सहित चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा अपनी वेबसाइ पर प्रकाशित कर दिया है। इसमें चंदा देने वालों की उन राजनीतिक पार्टियों से मिलान करने की संख्या भी है जिन्हें उनका चंदा मिला है।
सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्ती दिखाई तब ये जानकारियाँ सामने आ पाई हैं। भारतीय स्टेट बैंक को 12 अप्रैल, 2019 के बाद खरीदे गए या भुनाए गए चुनावी बॉन्ड पर उनके यूनिक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड सहित सभी जानकारी भारत के चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया गया था। 21 मार्च को शाम 5 बजे तक इसके अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था। एसबीआई ने यह जानकारी चुनाव आयोग को दी और इसने आज ही अपनी वेबसाइट पर इसको जारी कर दिया।
शीर्ष अदालत ने 18 मार्च को अपने फ़ैसले में कहा था कि चुनाव आयोग एसबीआई से डेटा मिलने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर उसको प्रकाशित करेगा।
एसबीआई ने पहले चुनाव आयोग को दो सूचियाँ दी थीं, जिन्हें चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। पहले में दानदाताओं के नाम, बॉन्ड के मूल्यवर्ग और उन्हें खरीदे जाने की तारीख़ें थीं। दूसरे में राजनीतिक दलों के नाम के साथ-साथ बॉन्ड के मूल्य और उन्हें भुनाए जाने की तारीख़ें भी थीं। उन सेटों से यह पता नहीं चल पा रहा था कि चंदा खरीदने वाले किस शख्स या कंपनी ने किस राजनीतिक दल को और कितना चंदा दिया।
गुरुवार को भी दो सेटों में ही जानकारी जारी की गई है- एक सेट बॉन्ड खरीदने वालों का और दूसरा उसको भुनाने वालों का। लेकिन इसमें हर इलेक्टोरल बॉन्ड का वह कोड भी जिससे दोनों सेटों में मिलान किया जा सकता है कि किस कंपनी ने किस राजनीतिक दल को कब और कितना चंदा दिया।
चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित इलेक्टोरल बॉन्ड के दोनों सेट का डेटा कुछ इस तरह है-
राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 552 पन्नों में और चंदा देने वालों की जानकारी 386 पन्नों में है। शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुरूप अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 तक खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इस योजना ने चंदा देने वालों को गुमनाम रहने की अनुमति दी थी।
आज दिन में अदालत को सौंपे गए एक हलफनामे में एसबीआई ने कहा था कि एसबीआई अब जानकारी का खुलासा कर रहा है।