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चुनाव आयोग ने बताया- महाराष्ट्र-झारखंड की तारीखों का ऐलान क्यों नहीं

चुनाव आयोग ने बताया- महाराष्ट्र-झारखंड की तारीखों का ऐलान क्यों नहीं

चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों का ऐलान शुक्रवार को किया लेकिन उसने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं किया। उसने इसकी वजह बताई। हालांकि पिछली बार हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव एकसाथ हुए थे। यूपी और अन्य राज्यों के उपचुनावों पर भी आयोग चुप रहा। शिवसेना यूबीटी ने महाराष्ट्र की तारीखों का ऐलान नहीं होने पर तीखी आलोचना की है। जानिए पूरी बातः

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बताया कि हरियाणा में 1 अक्टूबर को मतदान होगा। इसी के साथ आयोग ने जम्मू कश्मीर में भी तीन चरणों में चुनाव की घोषणा की है जो 18 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर चलेगा। दोनों राज्यों के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि कम से कम महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा शुक्रवार को नहीं की गई। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल जनवरी 2025 में पूरा होगा। उम्मीद थी कि महाराष्ट्र के चुनाव हरियाणा के साथ होंगे क्योंकि 2019 में दोनों राज्यों के चुनाव एकसाथ ही हुए थे।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने महाराष्ट्र की तारीख का ऐलान न करने के लिए जम्मू कश्मीर के चुनाव की आड़ ली। राजीव कुमार ने कहा कि ''पिछली बार, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव जरूर एकसाथ हुए थे। लेकिन उस समय जम्मू-कश्मीर कोई फैक्टर नहीं था लेकिन इस बार वहां चार चुनाव हैं और इसके तुरंत बाद पांचवां चुनाव है। सुरक्षा बलों की आवश्यकता के आधार पर, हमने 2 चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया है...दूसरा पहलू यह है कि महाराष्ट्र में भारी बारिश हुई थी और कई त्यौहार भी आने वाले हैं।''

ठाकरे का हमला

शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा नहीं करने के स्पष्टीकरण पर चुनाव आयोग पर निशाना साधा। आदित्य ने कहा कि  "एक राष्ट्र, एक चुनाव" की सभी बातों के बावजूद, संपूर्ण रूप से समझौता आयोग (उर्फ चुनाव आयोग) जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव कराता है, जबकि सुरक्षा बलों की कमी बताकर महाराष्ट्र में चुनाव नहीं कराता है। फिर जम्मू-कश्मीर में "भाजपा के मजबूत नेतृत्व" में क्या बदलाव आया है? आतंकवादी हमले बढ़ रहे हैं, जो एक सच्चाई है।"

आदित्य ठाकरे ने आगे कहा-  दूसरा कारण चुनाव न कराने का वे महाराष्ट्र में "बारिश" बताते हैं और इसलिए उन्होंने अपनी औपचारिकताएं पूरी नहीं की हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, केवल महाराष्ट्र में मॉनसून है, अन्य राज्यों में नहीं। यह कितनी शर्म की बात है कि यह संस्था एक समय प्रसिद्ध थी! मुझे लगता है कि उनके बॉस अभी तक उन्हें महाराष्ट्र में चुनाव कराने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। भाजपा और उनके दिमाग के इस अवैध और असंवैधानिक शासन को जारी रखने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। राज्य ने उन्हें एक बार खारिज कर दिया है और फिर से खारिज कर देगा। ऐसा लगता है जैसे चुनाव आयोग उन्हें अपने ठेकेदारों को हमारे राज्य को लूटने की अनुमति देने के लिए सांस लेने का समय दे रहा है!

हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही चुनाव की तारीखों का स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज आदि ने तारीखों के ऐलान का स्वागत किया है। राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं। दोनों दलों में कांटे की टक्कर है। हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें जीत ली हैं, इससे उसका मनोबल बढ़ा हुआ है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में हवाहवाई योजनाओं की घोषणाएं भाजपा के पराजय को रोक नहीं पाएंगी।

जम्मू कश्मीर में तबादले क्यों

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने चुनाव की घोषणा से पहले पिछले 24 घंटों में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के भीतर बड़े पैमाने पर तबादलों की जांच की मांग की। अब्दुल्ला ने कहा, "कई अधिकारियों का अचानक तबादला कर दिया गया, हमें संदेह है कि ये तबादले उपराज्यपाल द्वारा भाजपा की बी और सी टीमों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए हैं, जिन्हें भाजपा ने यहां रखा है।" बता दें कि चुनाव की घोषणा से ठीक पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राज्य में कई पुलिस और नागरिक प्रशासन के अफसरों को तमाम जगहों पर बदल दिया है।

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