चुनाव आयोग के पास सिविल सोसायटी, प्रेस क्लब, खड़गे के सवालों के जवाब नहीं हैं
भारत के चुनाव आयोग के खिलाफ विवाद कम नहीं हो रहे हैं। राजनीतिक दलों के अलावा तमाम नागरिक संगठन तक अब केंद्रीय चुनाव आयोग को घेर रहे हैं। दिल्ली सहित तमाम प्रमुख शहरों में सिविल सोसायटी के लोगों ने शनिवार को प्रदर्शन किया। इसे #GrowASpineOrResign अभियान शुरू किया। सोसायटी ने चुनाव आयोग से #भाजपा नेताओं और अन्य के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। नागरिक #आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई की मांग के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और #ECI को पोस्टकार्ड भेज रहे हैं। सिविल सोसायटी ने प्रदर्शन के जरिए नफरती भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की नाकामी को उठाया है।
दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, हैदराबाद, मुंबई, बेंगलुरु और मैसूर के व्यक्तियों और नागरिक समाज संगठनों ने ईसीआई को पोस्टकार्ड भेजे हैं। दिल्ली में तो सिविल सोसायटी के लोगों ने केंद्रीय निर्वाचन कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया। इसमें नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
सिविल सोसायटी का आरोप है कि केंद्रीय चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन के मामले में सिर्फ विपक्षी नेताओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है। विशेष कर आयोग की पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुप्पी पर आलोचना की गई। मोदी ने हाल ही में राजस्थान में एक चुनावी रैली में मुस्लिम विरोधी नफरती भाषण दिया था। कई शिकायतों और ज्ञापन के बावजूद, आयोग मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा। काफ़ी टाल-मटोल के बाद आख़िरकार उसने मोदी को निर्देशित करने के बजाय भाजपा के अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को नोटिस भेजा।
चुनाव आयोग ने पहले दो राउंड में मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को जारी करने में देरी की। इस वजह से उसकी तमाम राजनीतिक दल और जनसंगठन आलोचना कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने जनता की चिंता का जवाब देने की बजाय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आरोपों को ही "निराधार" बता दिया। खड़गे ने शनिवार को लिखे पत्र में आयोग को लताड़ते हुए कहा कि वो पत्र उन्होंने देश के सभी विपक्षी दलों को लिखा था। लेकिन आयोग ने उस पत्र में उठाए गए सवालों पर कुछ नहीं कहा।
खड़गे ने शनिवार को लिखा कि "...कांग्रेस पार्टी आयोग के पक्ष में है और आयोग की ताकत और आजादी के लिए खड़ी है। आयोग के अधिकारियों को अब तय करना चाहिए कि वे कहां खड़े हैं।" खड़गे ने कहा कि तमाम राजनीतिक दलों ने आयोग में कई शिकायतें कीं। आयोग ने उनका जवाब देने की बजाय विपक्षी दलों को लिखे गए मेरे पत्र का जवाब दिया। लेकिन उन सवालों पर चुप है, जो उसमें उठाए गए हैं। खड़गे ने लिखा है कि "मुझे खुशी है कि आयोग समझता है कि संविधान के तहत सुचारू, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना उसकी जिम्मेदारी है। हालांकि, आयोग द्वारा नेताओं द्वारा दिए जा रहे घोर सांप्रदायिक और जातिवादी बयानों के खिलाफ कार्रवाई करने में तत्परता की कमी दिखती है। सत्ताधारी दल का चुनावी प्रक्रिया को खराब करना हैरान करने वाला लगता है।''
Congress president Mallikarjun Kharge writes to Election Commission of India
— ANI (@ANI) May 11, 2024
"...The Congress Party is on the side of the Commission and stands for the strength and independence of the Commission. The officials of the Commission should now decide where they stand, " reads the… pic.twitter.com/eeiBQ98e3V
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने उठाए सवाल
लोकसभा चुनाव 2024 के तीन चरण पूरे होने के बाद भी चुनाव आयोग द्वारा एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने आलोचना की है। उसने आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि वह हर मतदान राउंड के बाद मीडिया को संबोधित करे और अगले दिन पूरा डेटा जारी करें। प्रेस क्लब ने कहा कि तमाम पत्रकार "देश भर में तीन चरणों में मतदान पूरा होने के बाद भी चुनाव आयोग द्वारा एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने से निराश हैं।"
पत्र पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प, प्रेस एसोसिएशन, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट्स क्लब और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्षों ने हस्ताक्षर किए। पत्रकारों के इन संगठनों ने कहा- “पिछले आम चुनाव (2019) तक, हर चरण में मतदान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करना सामान्य प्रैक्टिस थी। भारत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है और आम चुनाव को "लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार" माना जाता है, नागरिकों को संवैधानिक निकाय, भारत के चुनाव आयोग से यह जानने का पूरा अधिकार है कि मतदान के दिन क्या हुआ था।“
प्रेस क्लब ने लिखा है कि “यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पत्रकारों को उनके संदेह और भ्रम, यदि कोई हों, दूर हो जाते हैं, जिससे उन्हें अपने पाठकों के लिए उसे रिपोर्ट करने और बिना गलती वाली कॉपी लिखने में मदद मिलती है। वे नागरिकों को चल रहे चुनाव के बारे में सटीक जानकारी और फौरन जानकारी देते रहते हैं। चुनाव आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए मतदाताओं से सीधे बात भी कर सकते हैं।''