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शिंदे फरवरी में ही बैनरों पर सीएम घोषित हो गए थे, गौर से देखिए पोस्टर को

शिंदे फरवरी में ही बैनरों पर सीएम घोषित हो गए थे, गौर से देखिए पोस्टर को

एकनाथ शिंदे फरवरी से ही भावी मुख्यमंत्री का ख्वाब देख रहे थे। उनके जन्मदिन पर फरवरी में ठाणे में बैनर लगाकर उन्हें भावी सीएम घोषित कर दिया गया था। यह बात आई-गई हो गई लेकिन शिवसेना की लीडरशिप ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जानिए कौन है एकनाथ शिंदे, जिसने उद्धव ठाकरे को मुसीबत में डाल दिया है।

यह बहुत ज्यादा दिनों की बात नहीं है। फरवरी 2022 की बात है जब एकनाथ शिंदे को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए ठाणे में बैनर पोस्टर लग गए थे। 9 फरवरी को एकनाथ शिंदे का जन्मदिन था। लेकिन उससे पहले, शहर में शिवसेना पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुलुंड टोल प्लाजा के पास उन्हें बधाई देने के लिए बैनर लगाए थे। बैनरों में उन्हें 'भविष्य के मुख्यमंत्री' के रूप में भी संबोधित किया, जिसकी तस्वीरें वायरल हुईं। शिंदे ने उस समय पार्टी कार्यकर्ताओं को बैनर हटाने के निर्देश दिए। लेकिन कुछ ऐसा जरूर था, जो पक रहा था या जिसकी तैयारी चल रही थी। क्या वो तैयारी यही थी, जो अब सामने आई है।

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को संकट में डालने वाले एकनाथ शिंदे शिवसेना के महत्वाकांक्षी नेताओं में से एक हैं। यह ताज्जुब है कि उद्धव ठाकरे अपने इस हाईप्रोफाइल मंत्री पर नजर नहीं रख सके। शिवसेना के कौन-कौन विधायक या नेता बीजेपी नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में थे, इसकी कोई जानकारी उद्धव के पास नहीं थी। एकनाथ शिंदे अभी गुजरात के सूरत में पार्टी के करीब 15 विधायकों के साथ होटल में हैं।

शिंदे ठाणे में शिवसेना के बड़े नेता हैं जो कई अन्य जगहों पर भी पार्टी को मजबूत करने के लिए जाने जाते रहे हैं। शिंदे हाल ही में महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या दौरे पर गए थे।

 - Satya Hindi

एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों के साथ

वह लगातार चार बार महाराष्ट्र विधानसभा - 2004, 2009, 2014 और 2019 में चुने गए। 2014 की जीत के बाद, उन्हें शिवसेना के विधायक दल के नेता और बाद में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया था। शिवसेना नेता को लोकप्रिय समर्थन प्राप्त है और वह पार्टी के बड़े कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जाने जाते हैं।

उनके पुत्र श्रीकांत शिंदे लोकसभा सांसद हैं और उनके भाई प्रकाश शिंदे पार्षद हैं। शिंदे कथित तौर पर पिछले कुछ समय से जानबूझकर दरकिनार किए जाने के बाद पार्टी से नाराज़ हैं। सभी पार्टियों से उनके अच्छे संबंध हैं।

शिवसेना के इस मजबूत नेता को शिवसेना के कई विधायकों का भी मजबूत समर्थन है और शिवसेना के गढ़ ठाणे में उनका काफी दबदबा है।

भावी मुख्यमंत्री विवाद

फरवरी में जब शिंदे को भावी सीएम घोषित किया गया तो उस पर शिवसेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आई और न शिंदे से कोई पूछताछ हुई। ये बैनर, पोस्टर सिर्फ ठाणे तक सीमित नहीं रहे। ये सोशल मीडिया पर भी फैले थे।

उस समय स्थायी समिति के अध्यक्ष और शिवसेना के वरिष्ठ नगरसेवक, राम रेपले ने दावा किया था कि विपक्ष ने सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए बैनर वायरल किए थे। उन्होंने कहा, पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने ये बैनर अति उत्साह में लगाए थे और उनकी कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नहीं थी। वे केवल उसके लिए अपने प्यार का इजहार कर रहे थे। लोगों और पार्टी के लिए उनके अथक परिश्रम के कारण ही उन्हें लगा कि वह भविष्य के मुख्यमंत्री बनने के योग्य हैं।

ये बैनर वागले एस्टेट लॉरी एसोसिएशन ने लगाए थे। उसके अध्यक्ष विजय यादव ने उस समय कहा था कि यह सिर्फ हमारा अपने नेता के लिए प्यार है। इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है।

इन पोस्टरों का राजनीतिक मकसद जरूर था, जो अब सामने आ गया है। एकनाथ शिंदे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा बीजेपी के दम पर जाग गई है।

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