महाराष्ट्र: खडसे बोले- मेरे पीछे ईडी लगाई तो तुम्हारी सीडी चला दूंगा
महाराष्ट्र में बीजेपी के मजबूत स्तंभ रहे एकनाथ खडसे एनसीपी में शामिल हो गए। महाराष्ट्र बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस के उभार के बाद से ही हाशिए पर डाल दिए गए खडसे ने एनसीपी में शामिल होते वक्त ऐसी बात कही है, जिससे बीजेपी सकते में आ गई है और इसे लेकर लोगों के बीच में चर्चा भी चल रही है। खडसे के जाने से महाराष्ट्र बीजेपी को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वह राज्य की ओबीसी आबादी के बड़े नेता हैं।
शुक्रवार को खडसे के एनसीपी में शामिल होते वक्त पार्टी मुखिया शरद पवार ख़ुद मौजूद रहे। खडसे ने इस मौक़े पर कहा, ‘अगर मेरे ख़िलाफ़ किसी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लगाई तो मैं सीडी चला दूंगा।’ उनका साफ इशारा बीजेपी की ओर था क्योंकि विपक्षी नेता यह आरोप लगाते रहते हैं कि उन्हें परेशान करने के लिए सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स, पुलिस का दुरुपयोग बीजेपी करती है।
खडसे के साथ उनकी बेटी रोहिणी खडसे और उत्तरी महाराष्ट्र के कई बीजेपी नेता एनसीपी में शामिल हुए।
कौन सी सीडी
अब इस बात की जोरदार चर्चा है कि खडसे के पास आख़िर ऐसी कौन सी सीडी है, जिसकी उन्होंने बात कही है। खडसे बीजेपी में लंबा वक्त गुजार चुके हैं और ऐसे में यह कहना ग़लत नहीं होगा कि उनके पास पार्टी की कोई अहम जानकारी हो। तभी उन्होंने पार्टी को धमकाया और चेताया है कि वह उन्हें परेशान करने की कोशिश न करे।
‘मेरे ख़िलाफ़ साज़िश रची गई’
खडसे ने इस मौक़े पर भी उन्हें नज़रअंदाज किए जाने का आरोप लगाया। खडसे ने कहा, ‘मैं सात बार विधायक चुना गया, मंत्री बना और नेता विरोधी दल भी रहा। मैंने बीजेपी की मजबूती के लिए राज्य के हर कोने में काम किया लेकिन मेरा राजनीतिक करियर बर्बाद करने की साज़िश रची गई और मेरे ख़िलाफ़ बेवजह की जांच बैठाई गईं।’
खडसे ने कहा कि उन्होंने बीजेपी के बड़े नेताओं को इस बारे में बताया लेकिन वे भी कुछ नहीं कर सके और मुझे शरद पवार के साथ काम करने का इशारा किया। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके खडसे ने कहा कि वह एनसीपी की मजबूती के लिए काम करेंगे।
खडसे के बीजेपी छोड़ने की चर्चा पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही जोरों पर थी। राज्य सरकार में मंत्री रहे खडसे ने आरोप लगाया था कि उन्हें और वरिष्ठ नेताओं चंद्रशेखर बावनकुले और विनोद तावडे को जानबूझकर विधानसभा चुनाव में प्रचार से दूर रखा गया।
‘फडणवीस ने जीवन बर्बाद किया’
खडसे ने बुधवार को फडणवीस पर बरसते हुए कहा था, ‘देवेंद्र फडणवीस ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। मैं चार साल तक मानसिक तनाव में रहा। मैंने कई बार कहा कि तुम (फडणवीस) मुझे पार्टी से बाहर जाने के लिए मजबूर कर रहे हो। मुझे बीजेपी छोड़ने का दुख है लेकिन मेरे पास कोई रास्ता नहीं है।’ ओबीसी समाज के इस दिग्गज नेता ने कहा कि उन्हें बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की गई।पंकजा मुंडे को मनाया
राज्य में महा विकास अघाडी की सरकार बनने के बाद से ही खडसे और पंकजा मुंडे को लेकर चर्चाएं होती रहीं कि ये दोनों नेता पार्टी को छोड़ सकते हैं। पंकजा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। पंकजा ने भी देवेंद्र फडणवीस के ख़िलाफ़ बग़ावती तेवर अपनाए थे और कार्यकर्ताओं का सम्मेलन भी बुलाया था। तब उन्हें मनाने में महाराष्ट्र बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी थी। कुछ दिन पहले जारी की गई पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में पंकजा को राष्ट्रीय सचिव बनाकर उन्हें पार्टी में रोकने की कोशिश की गई। लेकिन खडसे खाली हाथ थे।फडणवीस ने लगाया किनारे
खडसे महाराष्ट्र बीजेपी में बड़े क़द के नेता थे और 2014 तक विधानसभा में नेता विरोधी दल थे। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद पर उनका दावा सबसे प्रबल था। लेकिन कहा जाता है कि मोदी-शाह की पसंद के चलते देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया गया। खडसे एक साल तक फडणवीस की सरकार में मंत्री भी रहे थे लेकिन ज़मीन सौदे में अनियमितता के एक मामले में उनसे इस्तीफ़ा ले लिया गया था।
खडसे इस बात से सख़्त नाराज़ थे कि राज्य सरकार द्वारा बैठाई गयी जांच समिति में क्लीन चिट मिलने के बाद भी फडणवीस ने उन्हें दुबारा मंत्री नहीं बनाया। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया और इसका आरोप भी फडणवीस पर ही लगा।
बीजेपी को होगा नुक़सान
बीजेपी को महाराष्ट्र के ओबीसी समाज के मतदाताओं के वोट दिलाने वाले प्रमुख नेता गोपीनाथ मुंडे और खडसे ही थे। इन दोनों नेताओं की बदौलत ही मराठा समुदाय के प्रभुत्व वाले महाराष्ट्र में बीजेपी को राजनीतिक ज़मीन मिली और वह शिव सेना के साथ मिलकर सत्ता तक पहुंची। महाराष्ट्र में लगभग 40 फ़ीसदी वाले ओबीसी समुदाय में बीजेपी को खडसे के कद का नेता खोजना होगा।
बीते कई सालों में खडसे बार-बार अपनी उपेक्षा की बात कहते रहे लेकिन पार्टी हाईकमान का हाथ फडणवीस के सिर पर था, इसलिए उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद खडसे और पंकजा मुंडे की जोड़ी ने फडणवीस को हटाने के लिए पूरा जोर लगाया। खडसे पंकजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते थे लेकिन फडणवीस से छत्तीस के आंकड़े के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था।