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पूछताछ के लिए ईडी ने अरविंद केजरीवाल को दूसरी बार भेजा सम्मन 

पूछताछ के लिए ईडी ने अरविंद केजरीवाल को दूसरी बार भेजा सम्मन 

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए दूसरी बार सम्मन भेजा है। उन्हें पूछताछ के लिए 21 दिसंबर को ईडी कार्यालय में बुलाया है।  

दिल्ली के चर्चित शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर समन भेजा है। ईडी ने उन्हें 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय में पेश होने को कहा है। दिल्ली शराब घोटाले मामले में अरविंद केजरीवाल को ईडी का यह दूसरा समन है।  

इससे पहले ईडी ने इस मामले में पूछताछ के लिए 2 दिसंबर को भी नोटिस भेजा था। तब उन्होंने इस नोटिस को गैरकानूनी बताकर वापस लेने की मांग की थी। बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश चुनाव में व्यस्त होने के कारण ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी। 

अब एक बार फिर से ईडी ने उन्हें समन भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया है तब सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार केजरीवाल ईडी के कार्यालय जाएंगे? उनको भेजा गया ईडी का समन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के कई नेता पहले ही जेल में बंद हैं। 

ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में केजरीवाल के भी ईडी गिरफ्तार कर सकती है। आम आदमी पार्टी ईडी की इन कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताती रही है। वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला बताती है। 

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार जब ईडी ने उन्हें समन देकर बुलाया था तब उन्होंने ईडी को पत्र लिखकर कहा था कि  "समन में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि मुझे एक व्यक्ति के रूप में, या दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में, या आप के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में बुलाया जा रहा है।" केजरीवाल और उनकी पार्टी ने ईडी की इस जांच की आलोचना की थी। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति तीन बार समन छोड़ सकता है, जिसके बाद एजेंसी गैर-जमानती वारंट जारी कर सकती है। 

इससे पूर्व अप्रैल में, सीबीआई ने एक गवाह के रूप में अरविंद केजरीवाल से नौ घंटे तक पूछताछ की थी। जिसके बाद उन्होंने जांच एजेंसी की आलोचना की थी। लोधी रोड कार्यालय में पूछताछ के बाद उन्होंने कहा था कि "सीबीआई ने मुझसे 56 सवाल पूछे (लेकिन) सब कुछ फर्जी है। मुझे यकीन है कि उनके पास हमारे बारे में कुछ भी नहीं है। सबूत का एक भी टुकड़ा नहीं। 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अरविंद केजरीवाल को भेजे गए इस ताजा समन से उनकी पार्टी को इस मामले में आरोपी बनाए जाने की चर्चा भी फिर से शुरू हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय राजनीति में पहली बार होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में प्रवर्तन निदेशालय से यह सवाल किया था  कि "राजनीतिक दल को अभी तक आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?"

दिल्ली शराब घोटाला के मामले में आरोप लगाए गए हैं कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में कुछ ऐसी शराब नीति बनाई जिससे कुछ लोगों को फायदा हुआ और इसके बदले में रिश्वत का लेनदेन हुआ था। आरोप यह भी है कि रिश्वत में मिले इस पैसे का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा और अन्य राज्यों के चुनाव के खर्च में किया। 

ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो दोनों ने आरोप लगाया है कि इस दोषपूर्ण शराब नीति ने कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया, जिन्होंने शराब बिक्री लाइसेंस के लिए रिश्वत का भुगतान किया था।

आप ने सभी आरोपों का खंडन किया 

वहीं आम आदमी पार्टी ने शराब घोटाले से जुड़े इन सभी आरोपों का जोरदार खंडन किया है। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार ने इस नीति से आय में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और 8,900 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। 

आम आदमी पार्टी मानती है कि ये सारे आरोप झूठे और आधारहीन हैं। पिछले साल जुलाई में इस पॉलिसी को खत्म कर दिया गया था और पुरानी पॉलिसी को वापस लाया गया था। 

इस मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह दोनों को गिरफ्तार किया गया है। मनीष सिसौदिया को फरवरी में और संजय सिंह को अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने संजय सिंह ने एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा था कि अरविंद केजरीवाल को फंसाने की एक बड़ी साजिश रची जा रही है। 

उन्होंने साजिशकर्ताओं की पहचान नहीं की, लेकिन इसे सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एक चेतावनी के रूप में देखा गया, जिसके बारे में विपक्ष का दावा है कि चुनाव से पहले प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने और परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जाता है। 

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