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सोनिया-राहुल से पूछताछ के बाद हेराल्ड हाउस की तलाशी क्यों?

सोनिया-राहुल से पूछताछ के बाद हेराल्ड हाउस की तलाशी क्यों?

क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ में ईडी को ऐसे कुछ सबूत मिले थे जिसकी वजह से हेराल्ड हाउस की तलाशी ली गई या फिर कुछ और मक़सद था?

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मंगलवार को कथित तौर पर नेशनल हेराल्ड मामले की जांच के सिलसिले में दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस सहित कई स्थानों पर तलाशी ली है। पिछले हफ्ते ही सोनिया गांधी से ईडी ने तीन दिन में घंटों तक पूछताछ की थी। इससे पहले पिछले महीने ही केंद्रीय एजेंसी राहुल गांधी से कई दिनों तक घंटों पूछताछ कर चुकी है। 

ईडी की यह कार्रवाई उस मामले में हो रही है जिसे नेशनल हेराल्ड मामला कहा जाता है। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल गांधी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए कांग्रेस के स्वामित्व वाले एसोसिएट जरनल लिमिटेड यानी एजेएल का 90.25 करोड़ का कर्ज अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया। इसके बाद एजेएल के 90 फ़ीसदी शेयर भी यंग इंडिया के नाम ट्रांसफर हो गए। 

एजेएल की बड़ी संपत्ति भी है। अब आरोप इस बात को लेकर है कि यंग इंडिया कम्पनी एजेएल की प्रॉपर्टी को हड़पना चाहती है। सुब्रह्मण्यम स्वामी का केस हाईकोर्ट में लम्बित है लेकिन ईडी की पूछताछ यंग इंडिया में पैसे के लेनदेन को लेकर की जा रही है।

बहरहाल, इसी नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी कार्रवाई कर रही है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 'धन के स्रोत ढ़ूंढने के लिए अतिरिक्त सबूत इकट्ठा करने' के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की धाराओं के तहत तलाशी ली गई।

इससे पहले सोनिया गांधी पिछले महीने तीन बार- 21 जुलाई, 26 जुलाई और 27 जुलाई को ईडी के सामने पेश हुई थीं। ईडी की इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। सूत्रों के हवाले से ख़बरें आई थीं कि सोनिया से तीन दिनों में 12 घंटे में 100 से अधिक सवाल पूछे गए थे। 

इससे पहले जून में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी ईडी ने पांच दिनों में क़रीब 50 घंटे तक पूछताछ की थी। कुछ रिपोर्टों के अनुसार उनसे लगभग 150 सवाल पूछे गए थे।

ईडी का मामला निचली अदालत के उस आदेश पर आधारित है जिसने आयकर विभाग को नेशनल हेराल्ड अखबार के मामलों की जांच करने और सोनिया और राहुल का कर निर्धारण करने की अनुमति दी थी। यह आदेश 2013 में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक याचिका के बाद आया था। 

स्वामी की शिकायत में अखबार हासिल करने में गांधी परिवार की ओर से धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। 

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यंग इंडियन ने एजेएल की संपत्ति में 800 करोड़ रुपये से भी अधिक ले लिया। आयकर विभाग के अनुसार, इसे यंग इंडियन के शेयरधारकों- सोनिया गांधी और राहुल गांधी की संपत्ति माना जाना चाहिए, जिसके लिए उन्हें कर का भुगतान करना चाहिए।

हालाँकि इन आरोपों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज किया है। किसी भी गलत काम से इनकार करते हुए कांग्रेस का दावा है कि यंग इंडियन एक "गैर-लाभकारी" कंपनी है और इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सवाल ही नहीं हो सकता। इसी बात को लेकर कांग्रेस ईडी की कार्रवाई का विरोध करती रही है। जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ईडी ने समन भेजा तो कांग्रेस ने इसी आधार पर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि विपक्ष को दबाने और ख़त्म करने का प्रयास के तौर पर बीजेपी ईडी का दुरुपयोग कर रही है। ऐसा ही आरोप टीएमसी से लेकर शिवसेना, जेएमएम, टीआरएस और तमाम विपक्षी पार्टियां लगाती रही हैं। 

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