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लालू प्रसाद के इर्द-गिर्द कस रहा ईडी का शिकंजा, करीबी कारोबारी गिरफ्तार 

लालू प्रसाद के इर्द-गिर्द कस रहा ईडी का शिकंजा, करीबी कारोबारी गिरफ्तार 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव परिवार के नजदीकी कारोबारी अमित कत्याल को मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया है। यह मामला लैंड फॉर जॉब स्कैम से जुड़ा है। अधिकारियों ने कहा कि वह लगभग दो महीने से पूछताछ के लिए एजेंसी के समन से बच रहे थे। लालू मोदी सरकार के प्रबल विरोधी हैं और वो भाजपा की आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। 2024 के चुनाव को लेकर लालू और उनकी पार्टी की भूमिका बड़ी होने वाली है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरियों के बदले जमीन मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के कथित करीबी संबंधों वाले व्यवसायी अमित कत्याल को गिरफ्तार किया है। 

जांच एजेंसी के मुताबिक, अमित कत्याल की कंपनी नौकरी के बदले जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थी। एके इंफोसिस्टम का मामला एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी और सीबीआई की जांच और जांच के दायरे में है।

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने पहले भी कत्याल को कई समन जारी किए थे और अधिकारियों ने कहा था कि वह लगभग दो महीने से एजेंसी के समन से बच रहे थे। ईडी के अनुसार, कत्याल राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के "करीबी सहयोगी" हैं। कत्याल की कंपनी के परिसर पर केंद्रीय एजेंसी ने मार्च में छापा मारा था। उसी दौरान उसमें लालू यादव, बेटे तेजस्वी यादव, उनकी बहनों और अन्य के परिसरों पर भी मारे गए थे।

ईडी के बयान में कहा गया - "हालाँकि, संपत्ति को कागज पर मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय के रूप में घोषित किया गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल विशेष रूप से लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा आवासीय परिसर के रूप में किया जा रहा है।"

नौकरी के बदले जमीन घोटाला उस समय का है जब लालू यादव केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री थे। आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह "डी" पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों और ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी थी। हालांकि इस मामले की जांच लंबे समय से चल रही थी लेकिन केंद्रीय एजेंसियों की दिलचस्पी हाल ही में जागी है और अब यादव परिवार और उनसे जुड़े लोगों पर आए दिन छापे पड़ते हैं।

हालांकि आरजेडी ने इन छापों को लेकर बार-बार कहा है कि इस मामले का संबंध लालू प्रसाद की उस भाजपा विरोधी राजनीति से है जिसने भाजपा को बिहार की राजनीति में घुटनों पर ला दिया है। भाजपा की मदद से पहले नीतीश कुमार सरकार चला रहे थे। लेकिन बाद में नीतीश ने भाजपा का दामन छोड़कर लालू की आरजेडी का दामन थाम लिया। पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा के लिए चुनौती भी पेश कर दी थी। आरजेडी का कहना है कि लालू परिवार और आरजेडी को बदनाम करने के लिए भाजपा के इशारे पर केंद्रीय एजेंसियां काम कर रही हैं।

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