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विपक्ष की बैठक से पहले तमिलनाडु के एक और मंत्री पर ईडी के छापे

विपक्ष की बैठक से पहले तमिलनाडु के एक और मंत्री पर ईडी के छापे

विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक से ठीक पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने आज 17 जुलाई को तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी के ठिकानों पर छापे मारे। सत्तारूढ़ डीएमके ने केंद्र की मोदी सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाया है। विपक्ष शुरू से ही ईडी को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाता रहा है। ईडी के निशाने पर अभी तक सिर्फ विपक्ष के नेता रहे हैं। 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में डीएमके नेता और तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी और उनके सांसद बेटे गौतम सिगमणि के परिसरों पर छापेमारी की। ईडी ने चेन्नई और विल्लुपुरम में पिता-पुत्र के परिसरों पर छापे मारे। सत्तारूढ़ डीएमके ने इस कार्रवाई को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है। 

72 वर्षीय मंत्री विल्लुपुरम जिले की तिरुक्कोयिलुर विधानसभा सीट से विधायक हैं, जबकि उनके 49 वर्षीय बेटे सिगमणि कल्लाकुरिची सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य हैं। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कथित अनियमितताओं से जुड़ा है जब पोनमुडी राज्य के खनन मंत्री (2007 और 2011 के बीच) थे। उन पर खदान लाइसेंस शर्तों के कथित उल्लंघन के आरोप थे। इससे सरकारी खजाने को लगभग 28 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ था।

राज्य पुलिस ने मंत्री और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के इन आरोपों की जांच के लिए मामला दर्ज किया था और सिगमानी द्वारा राहत के लिए याचिका दायर करने के बाद जून में मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

मंत्री पर अपने बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए खनन/खदान लाइसेंस प्राप्त करने का कथित आरोप है और लाइसेंसधारियों पर तय सीमा से अधिक लाल रेत का उत्खनन करने का आरोप है।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मानने का आधार है कि याचिकाकर्ता ने अपराध किया है और इसलिए मुकदमे को रोका नहीं जा सकता। ईडी ये छापे उस दिन मारे हैं,  जब डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक में भाग लेने जाने वाले हैं। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके भाजपा और ईडी की कार्रवाई से डरने वाली नहीं है। इन छापों का मकसद इसे 'डराना' है। पार्टी प्रवक्ता ए. सरवनन ने पीटीआई से कहा, ''यह राजनीतिक प्रतिशोध है और इसका मकसद डीएमके के संकल्प का परीक्षण करना है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि गुटखा घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मामलों में एआईएडीएमके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

ईडी ने हाल ही में मुख्यमंत्री एम. स्टालिन की कैबिनेट के मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई की थी और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। डीएमके ने उस समय भी इसे केंद्र की "डराने-धमकाने की राजनीति" बताया था।

ईडी की विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई बढ़ती ही जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि हाल ही में एनसीपी छोड़कर आए विधायकों में से 9 को शिंदे-भाजपा सरकार में मंत्री बनाया गया है, उनमें से ईडी तमाम लोगों के खिलाफ जांच कर रही है। अब वो जांच बंद हो जाएगी। इससे पहले कांग्रेस और टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं के खिलाफ ईडी ने जांच बंद कर दी है। अभी कल ही यूपी में जिन ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल किया गया है, उस पार्टी से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी विधायक हैं। विपक्ष का कहना है कि भाजपा अपने गिरेबान में झांक कर नहीं देख रही है।

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