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चुनाव से पहले ईडी की कार्रवाई क्यों? जानें कौन निशाने पर, विपक्ष ने क्या कहा

चुनाव से पहले ईडी की कार्रवाई क्यों? जानें कौन निशाने पर, विपक्ष ने क्या कहा

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले एक के बाद एक कई नेताओं के यहाँ ईडी की कार्रवाई तेज हो गई है। मंगलवार को आप नेताओं के यहाँ तलाशी ली गई। जानिए, विपक्षी दलों ने क्या आरोप लगाया और कौन-कौन नेता ईडी के निशाने पर हैं।

अब अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार, आप के राज्यसभा सांसद और पार्टी के कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता के परिसरों की तलाशी ली गई। खुद अरविंद केजरीवाल को लगातार समन मिले हैं। उनकी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में हैं। हाल ही में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के निशाने पर रहे और उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा। लालू यादव का परिवार भी निशाने पर है। अन्य विपक्षी दलों के नेता भी निशाने पर हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि ईडी के 95 फ़ीसदी मामले विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं के ख़िलाफ़ हैं। तो सवाल है कि ऐसा क्यों और चुनाव से ऐन पहले कार्रवाई में तेज़ी क्यों?

इस सवाल का जवाब मंगलवार को ईडी की कार्रवाई पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया में भी मिल सकता है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने एएनआई से कहा, 'चुनाव नजदीक हैं और पीएम मोदी की पार्टी हार रही है। ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग उनके फ्रंटल संगठन के रूप में काम कर रहे हैं...। कांग्रेस डरेगी नहीं, हम लड़ेंगे।' कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, 'ईडी बहुत सक्रिय है और अब उन्हें अधिक लोगों की भर्ती के लिए भर्ती अभियान चलाना चाहिए ताकि वे चुनाव से पहले देश के हर एक विपक्षी नेता पर छापा मार सकें।'

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, 'ईडी बीजेपी की एक विस्तारित शाखा है। आरएसएस के बाद बीजेपी को ईडी पर भरोसा है। महाराष्ट्र, झारखंड में किसने खेल खेला, यह ईडी ने किया है। जो भी बीजेपी के खिलाफ बोलेगा, ईडी उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी।'

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'जिस तरह से छापेमारी की जा रही है और समन भेजा जा रहा है, इरादा उन्हें (विपक्षी नेताओं को) चुप कराने का है। ये राजनीति से प्रेरित कार्रवाइयाँ हैं और भाजपा द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम हैं।'

विपक्षी दल आरोप लगाते रहे हैं कि ऐसी कार्रवाइयों से विपक्षी दलों को बदनाम करने, प्रतिशोध की कार्रवाई करने और नेताओं को तोड़कर बीजेपी में शामिल करने की कोशिश की जाती रही है। विपक्षी दलों ने कई बार आरोप लगाया है कि एक समय हिमंत बिस्व सरमा पर कई मामले थे, लेकिन जब वह बीजेपी में शामिल हो गए तो अब कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उसी तरह के आरोप अजित पवार पर भी लगते रहे हैं। शारदा चिटफंड में शामिल पश्चिम बंगाल के कई नेताओं पर इसके आरोप लगे थे, लेकिन जब उनमें से कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए तो फिर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। 

आप नेता निशाने पर

लोकसभा चुनाव से पहले ईडी के निशाने पर विपक्ष के अधिकतर दलों के कई नेता हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी पूछताछ के लिए ईडी चार समन जारी कर चुकी है। अभी तक वे ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए हैं। दिल्ली के कथित शराब घोटाले की जांच ईडी कर रही है। दिल्ली में नई शराब नीति 2021-22 में लागू हुई थी। आरोप है कि नई शराब नीति में डीलर्स को फायदा पहुंचाया गया है।

फरवरी 2023 में डिप्टी सीएम व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। सीबीआई के बाद ईडी ने भी अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया। 

अक्टूबर 2023 में राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई। इस मामले में केजरीवाल को ईडी के समक्ष पेश होने के लिए पाँच बार समन भेजा जा चुका है।

हेमंत सोरेन

एक ताज़ा मामला तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी है। सोरेन को ईडी ने गिरफ़्तार किया है। गिरफ़्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उससे पहले उनके दिल्ली एवं रांची स्थित आवास पर ईडी ने दस्तक दी थी। सोरेन ने आरोप लगाया है कि उनके ख़िलाफ़ कोई भी सबूत नहीं है और उन्हें परेशान करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है।

लालू परिवार

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार हाल के दिनों में लैंड फॉर जॉब स्कैम केस में ईडी का सामना कर रहे हैं। मंगलवार को तेजस्वी यादव से एजेंसी ने पूछताछ की। इससे एक दिन पहले सोमवार को लालू यादव से पूछताछ की गई थी। आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते जमीन के बदले रेलवे में नौकरियां बांटीं।

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ईडी के आरोप पत्र के मुताबिक उनके बेटे तेजस्वी यादव, पत्नी और बेटी भी केस में शामिल हैं। लैंड फॉर जॉब से जुड़े ऐसे सात मामले हैं जिसकी केंद्रीय एजेंसी जांच कर रही है। इस केस में लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती आरोपी हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

लोकसभा चुनाव से पहले ईडी ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मानेसर जमीन अधिग्रहण में मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के लिए ईडी ने सोमवार को हरियाणा के पूर्व सीएम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से करीब सात घंटे पूछताछ की। 12 दिन के भीतर ईडी ने दूसरी बार हुड्डा से पूछताछ की है। इससे पहले ईडी ने 17 जनवरी को इसी मामले में उनसे करीब सात घंटे पूछताछ की थी। 

शरद पवार के रिश्तेदार

ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक यानी एमएससीबी घोटाले में धन शोधन जांच के तहत 24 जनवरी को पूछताछ के लिए शरद पवार के पोते और महाराष्ट्र के विधायक रोहित पवार को तलब किया था। ईडी ने पुणे में इसी महीने बारामती एग्रो से जुड़े 6 ठिकानों पर छापा मारा था। ये कंपनी शरद पवार के पोते रोहित पवार से जुड़ी हुई है। बताया गया कि ये छापेमारी महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले मामले में की गई। कंपनी पर 5 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा।

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सोनिया और राहुल

ईडी ने नवंबर महीने में गांधी परिवार से जुड़े एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल और यंग इंडिया की 752 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। इनमें 662 करोड़ रुपये की संपत्ति एजेएल की और 90 करोड़ रुपये की संपत्ति यंग इंडिया की है। ईडी के अनुसार इन सारी संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से हासिल किया गया था और इन्हें मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून यानी पीएमएलए के तहत फिलहाल अस्थायी रूप से जब्त किया गया है। इस मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। 

संजय राउत

ईडी ने मंगलवार को बृहन्मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी के ‘खिचड़ी घोटाले’ से संबंधित धन शोधन के एक मामले में शिवसेना-यूबीटी नेता संजय राउत के छोटे भाई संदीप राउत से पूछताछ की। वैसे, खुद संजय राउत भी ईडी के निशाने पर रहे हैं। 

संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट की ओर से नवंबर 2022 में जमानत दे दी गई थी। ईडी की ओर से उनको उस साल 1 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और उनको तीन महीने बाद जमानत मिली थी। ईडी ने कोर्ट में दावा किया था कि अब तक संजय राउत को अपराध की कमाई से 3.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। ईडी ने उपनगरीय गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में वित्तीय अनियमितताओं में कथित भूमिका के लिए संजय राउत पर कार्रवाई की थी।

अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी कथित बंगाल स्कूल रोजगार घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश हो चुके हैं। ईडी कार्यालय से बाहर आने के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मैंने कथित स्कूल रोजगार घोटाले की जांच में सहयोग किया है।

डीके शिवकुमार, कार्ति चिदंबरम

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और बेहिसाब संपत्ति के मामले भी हैं। ईडी ने सितंबर 2018 में शिवकुमार, नई दिल्ली में कर्नाटक भवन के एक कर्मचारी ए हनुमंथैया और अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया था। यह मामला कथित कर चोरी और हवाला लेन-देन के लिए बेंगलुरु की एक अदालत के समक्ष शिवकुमार और अन्य के खिलाफ दाखिल आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित था। आयकर विभाग और ईडी की ओर से कई छापे मारे गए और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए।

चीन के नागरिकों को 2011 में वीजा जारी करने से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए इसी महीने 12 जनवरी को ईडी के सामने पेश हुए। इस मामले में पिछले साल 23 दिसंबर और दो जनवरी को पूछताछ की गई थी। पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया मनी लॉन्ड्रिंग मामला सीबीआई की एफआईआर से सामने आया था। बता दें कि आईएनएक्स मीडिया मामले में कार्ति चिदंबरम के पिता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की भी गिरफ़्तारी हुई थी।

गहलोत, डोटासरा

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे भी ईडी के निशाने पर हैं। नवंबर महीने में ही ईडी ने वैभव गहलोत को समन जारी कर पूछताछ की थी। मीडिया से बातचीत में वैभव गहलोत ने बताया था कि उन्हें फ़ेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के तहत समन दिया गया था, लेकिन उनका इससे कोई वास्ता नहीं है।

इस मामले में ईडी ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस नेता ओम प्रकाश हुडला के यहाँ भी छापेमारी की थी। 

इससे पहले ईडी ने विदेशी मुद्रा उल्लंघन (मनी लांड्रिंग) मामले में भी वैभव गहलोत से पूछताछ की थी। ईडी वैभव गहलोत से उनकी कंपनी के लेनदेन और पार्टनरशिप के बारे में पूछताछ कर रही थी। कंपनी के विदेशों से लेनदेन के आरोप पर भी पूछताछ की गई।

विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ जो ये कार्रवाइयाँ हुई हैं, उनमें से कुछ मामले तो सीधे उन नेताओं से जुड़े हुए हैं और कुछ मामले रिश्तेदारों या फिर कर्मचारियों से पूछताछ के आधार पर हैं। कुछ मामलों में तो गिरफ़्तारी हुई है और कुछ मामलों में एफ़आईआर दर्ज हैं। कुछ मामलों में सिर्फ़ समन भेजा गया है और कुछ मामलों में कथित तौर पर जानकारी निकालने के लिए ही पूछताछ की गई है।

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