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हुड्डा, वोरा, एजेएल के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर, अगला कौन? 

हुड्डा, वोरा, एजेएल के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर, अगला कौन? 

चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद से ही जाँच एजेंसियों के निशाने पर कांग्रेस का कौन सा नेता होगा, इसे लेकर जोर-शोर से चर्चाएँ चल रही थीं।

जिस बात की आशंका जताई जा रही थी वही हुआ, सीबीआई के द्वारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद से ही जाँच एजेंसियों का अगला क़दम क्या होगा, कांग्रेस का कौन सा नेता निशाने पर होगा, इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में जोर-शोर से चर्चाएँ चल रही थीं। 

सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंचकूला की विशेष अदालत में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर कर दिया है। यह आरोप पत्र धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया है। पीएमएलए के विशेष जज ने ईडी के इस आरोप पत्र की जाँच की और शिकायत दर्ज कर ली है। इस मामले में आगे की सुनवाई 16 सितंबर को होगी। एजेएल का नियंत्रण गाँधी परिवार के हाथ में है और यह समूह नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र चलाता है। बता दें कि सोनिया और राहुल दोनों ही नेशनल हेरल्ड मामले में जमानत पर हैं। 

बता दें कि नेशनल हेरल्ड से जुड़े मामले में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी शिकायत में कहा था कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए कांग्रेस के स्वामित्व वाले एजेएल की 90.25 करोड़ की रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया था।

ईडी के प्रवक्ता की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि ‘एजेएल, मोती लाल वोरा और हुड्डा पंचकूला के सी-17 सेक्टर 6 के प्लॉट के अधिग्रहण, कब्जे या अपराध की कार्रवाई से सीधे तौर पर जुड़े थे।’ इस प्लॉट की क़ीमत 64.93 करोड़ रुपये आंकी गई थी। बता दें कि ईडी पहले ही इस प्लॉट को कुर्क कर चुका है और अब जाँच एजेंसी ने इस मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया है। 

ईडी के मुताबिक़, यह संपत्ति एजेएल को 1982 में आवंटित की गई थी लेकिन 1992 में इसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) को वापस कर दिया गया था लेकिन इस मामले में एजेएल ने आवंटन पत्र की शर्तों का पालन नहीं किया था। 

पद के दुरुपयोग का आरोप

ईडी ने कहा, ‘हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एजेएल की मदद की और उसे उपरोक्त प्लॉट पर निर्माण के लिए 1 मई 2008 से लेकर 10 मई 2012 के बीच तीन बार अनुचित विस्तार दिये और जब तक कि एजेएल ने 2014 में निर्माण का काम पूरा नहीं कर लिया।’ आरोप पत्र में ईडी ने यह भी कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने इस बारे में हुडा के अधिकारियों, वित्तीय आयुक्त से कोई विधिक राय तक नहीं ली। जाँच एजेंसी ने कहा है कि इस प्रकार, सीएम ने हुडा को गलत तरीक़े से नुकसान पहुँचाया और एजेएल को गलत तरीक़े से फ़ायदा पहुँचाया है।

कार्रवाई के बाद हुड्डा ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि ईडी पहले ही प्लॉट को कुर्क करने का आदेश दे चुका है और यह आरोप पत्र उसके आगे की कार्रवाई है। ईडी ने पिछले महीने इस मामले में हुड्डा से पूछताछ की थी।

बता दें कि इन दिनों भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार जाँच एजेंसियों के निशाने पर हैं। मानेसर भूमि घोटाला मामले में भी सीबीआई उनके और अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर कर चुकी है। हुड्डा इन दिनों कांग्रेस के ख़िलाफ़ लगातार बग़ावती तेवर अपनाये हुए हैं। सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या जाँच एजेंसियों की कार्रवाई के दबाव में हुड्डा कांग्रेस को अलविदा कह देंगे क्योंकि हाल ही में हमने देखा कि दूसरे दलों से बड़ी संख्या में लोग बीजेपी में शामिल हो गए हैं और यह आशंका जताई गई थी कि उन्हें इस बात का डर था कि जाँच एजेंसियाँ उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकती हैं।

हुड्डा के अलावा हरीश रावत से लेकर, वीरभद्र सिंह और अहमद पटेल से लेकर कर्नाटक कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार के ख़िलाफ़ भी जाँच एजेंसियाँ जाँच कर रही हैं। हुड्डा, वोरा और एजेएल के ख़िलाफ़ ईडी की इस कार्रवाई के बाद वही सवाल खड़ा होता है कि कांग्रेस में अगला नंबर किसका है।

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