महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के ख़िलाफ़ ईडी की कार्रवाई को शिवसेना सांसद संजय राउत और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि जो भी केंद्र और उसकी जाँच एजेंसियों के ख़िलाफ़ बोलता है उसे निशाना बनाया जाता है। उनकी इन दलीलों पर सवाल उठता है कि नवाब मलिक ने ऐसा क्या किया था कि उनके ख़िलाफ़ ऐसी कार्रवाई की गई?
वैसे तो आरोप लगाया जाता है कि महाराष्ट्र में जब बीजेपी की सरकार नहीं बन सकी तो राज्य में अजित पवार, अनिल देशमुख जैसे कई नेता केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर आ गए, लेकिन नवाब मलिक का सीधा टकराव तब हुआ जब उनके दामाद समीर खान को ड्रग्स मामले में आरोपी बनाया गया। लेकिन इस मामले में नवाब मलिक केंद्रीय एजेंसियों और बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ तब आक्रामक हुए जब कॉर्डेलिया क्रूज मामला सामने आया। इसमें एनसीबी के तत्कालीन ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े तो लपेटे में आए ही, बीजेपी नेता भी निशाने पर आ गए।
नवाब मलिक कॉर्डेलिया क्रूज पर एनसीबी की छापेमारी मामले में बेहद आक्रामक नज़र आए। उनके पास ऐसे सबूत हाथ लगे और उन्हें इस तरह से सार्वजनिक किया जो सीधे बीजेपी के लिए क़रारा झटका साबित होते गए। सबसे पहले तो एनसीबी के तत्कालीन ज़ोनल डायरेक्टर निशाने पर आए। मलिक ने बीजेपी के कार्यकर्ता केपी गोसावी और मनीष भानुशाली का वीडियो जारी कर बीजेपी पर हमला किया था। इसके साथ ही उन्होंने समीर वानखेड़े की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए।
एनसीपी नेता ने समीर वानखेड़े के ख़िलाफ़ एक के बाद एक कई मामले उजागर किए और आख़िर में वानखेड़े को एनसीबी मुंबई के ज़ोनल डायरेक्टर पद से हटना पड़ा। समीर वानखेड़े के ख़िलाफ़ अभी भी कई जाँच चल रही हैं।
कॉर्डेलिया क्रूज मामले में जिस तरह नवाब मलिक आक्रामक थे उसको लेकर भी सोशल मीडिया पर उन्हें आगाह किया जा रहा था। वैसे, ऐसी केंद्रीय एजेंसियों की किसी कार्रवाई को लेकर खुद नवाब मलिक ने ही पिछले साल नवंबर में आशंका जाहिर की थी। मलिक ने कहा था कि जब से उन्होंने मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में बोलना शुरू किया है, उन्हें झूठे मामले में फंसाने की कोशिश हो रही है। तब मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा था कि कुछ अनजान लोग उनका और उनके परिवार का पीछा कर रहे हैं।
नवाब मलिक ने क्रूज ड्रग्स केस में बीजेपी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसी कड़ी में महाराष्ट्र बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नवाब मलिक पर अंडरवर्ल्ड के लोगों से ज़मीन ख़रीदने और बिक्री का आरोप लगाया था।
फडणवीस का कहना था कि नवाब मलिक की सॉलीडस कंपनी ने, जिसमें उनके परिवार के लोग भी डायरेक्टर हैं, 1993 मुंबई बम धमाकों में अभियुक्त रहे सरदार शहा वली खान से काफी कम दामों में जमीन खरीदी थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के ड्राइवर सलीम पटेल से भी नवाब मलिक ने जमीन की डील की थी। देवेंद्र फडणवीस के आरोपों के बाद नवाब मलिक पर डी कंपनी से जुड़े मामले में उनको तलब किया गया। ईडी ने डी कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में नवाब मलिक को बुधवार को गिरफ़्तार कर लिया है।
बता दें कि फडणवीस के इन आरोपों के बाद नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री रहते हुए देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में जाली नोटों का कारोबार कर रहे थे और उनके ही संरक्षण में पाकिस्तान और बांग्लादेश तक यह कारोबार हो रहा था। मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि खुद फडणवीस ने अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन रखने वाले लोगों को राजनीतिक पद दिए।
एनसीपी नेता ने आरोप लगाया था कि फडणवीस ने मुन्ना यादव नाम के एक व्यक्ति को कंस्ट्रक्शन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, जबकि उस पर हत्या के कई मामले दर्ज थे। मलिक के मुताबिक़, फडणवीस दाऊद के क़रीबी रियाज भाटी के जरिए धन उगाही का काम कर रहे थे।
एनसीपी नेता ने एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर निशाना साधते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में जब जाली नोट का मामला सामने आया था, उस समय वानखेड़े ने ही इस मामले की जांच की थी। मलिक ने कहा था, 'यह साफ़ है कि फडणवीस का वानखेड़े को संरक्षण पिछले काफी समय से था, इसलिए फडणवीस अब उन्हें बचाने में लगे हुए हैं।'
शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी आज कहा है कि केंद्र सरकार ने ईडी को एनसीपी नेता के पीछे इसलिए लगाया कि वह लगातार सच बोल रहे थे।