पुलिस ने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ को हिरासत में लिया, रिहा किया
झारखंड पुलिस ने मशहूर अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज़ को दूसरे दो लोगों के साथ हिरासत में ले लिया, पर बाद में बग़ैर कोई आरोप लगाए उन्हें रिहा कर दिया। उन्हें हिरासत में लेते हुए पुलिस ने कहा था कि द्रेज़ बग़ैर पूर्व अनुमति के गढ़वा ज़िल के विष्णुपुर में भोजन के अधिकार पर एक जनसभा में बोल रहे थे।
पुलिस ने उन तीनों को विष्णुपुर थाने ले जाकर पूछताछ की और उसके बाद उन्हें रिहा कर दिया। ज़िला प्रशासन ने कहा है कि उन लोगों को पुलिस ने ग़लतफहमी के कारण हिरासत में लिया था। उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई और न ही उन पर कोई आरोप लगाया गया। प्रशासन ने यह भी कहा है कि इस पूरे मामले की जाँच की जाएगी।
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने इस पर ट्वीट कर कहा कि वह इस घटना से सदमे में हैं। उन्होंने लिखा है, 'ज्यां द्रेज़ संत-अर्थशास्त्री हैं, वह नोबेल पुरस्कार पाने के हक़दार हैं, वह झुग्गी झोपड़ियों में रह कर ग़रीबों के लिए काम करते हैं, उन्होंने उन ग़रीबों के लिए किसी भी दूसरे अर्थशास्त्री से ज़्यादा लिखा है और काम किया है। उन्होंने तड़क भड़क की ज़िन्दगी छोड़ कर ग़रीबों के लिए काम किया और भारत की नागरिकता ले ली।'
Shocking beyond words!
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) March 28, 2019
Jean Dreze is a saint-economist, a potential Nobel awardee who lived in slums, written and done more for the poor than any economist, shunned all power and glory, took up Indian citizenship, is a pacifist.
Nothing can be more shameful than arresting him. https://t.co/KagTeBhFV8
मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि गुड़गाँव में मुसलमान परिवार को पीटने वाले गुंडे खुले आम घूम रहे हैं और प्रधानमंत्री डीआरडीओ की उपलब्धि पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
Renowned economist& Co-author of several books with Nobel Laureate Amartya Sen, Jean Dreze is arrested with 2 other activists in Jharkhand for organizing a meeting on Right to Food! This while goons who beat up Muslim family in Gurgaon roam free& PM tomtoms 2012 DRDO achievement! https://t.co/aCVMcQOUK9
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) March 28, 2019
यूरोपीय देश बेल्जियम मे जन्मे ज्यां द्रेज़ विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर शोध करने वाले अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने भारत को अपनी कर्मभूमि चुना और यहीं बस गए, उन्होंने भारत की नागरिकता ले ली। उन्होंने ग़रीबी, भुखमरी, लिंग-भेद और उससे उपजे आर्थिक भेद-भाव, बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे विषयों पर काम किया। उन्होंने ही नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी स्कीम यानी नरेगा की सलाह दी थी और उसकी रूप-रेखा तय की थी। मनमोहन सिंह सरकार ने इसे शुरू किया तो ज्यां द्रेज़ ने ही उसे लागू किया था। वह भोजन के अधिकार आन्दोलन से जुड़े हुए रहे और जिस समय उन्हें हिरासत में लिया, वह इससे जुड़ी सभा में ही बोल रहे थे।