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चालू खाता घाटा बढ़ सकता है और रुपये पर दबाव भी: आर्थिक सर्वेक्षण

चालू खाता घाटा बढ़ सकता है और रुपये पर दबाव भी: आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश की जीडीपी 6.5 फ़ीसदी की दर से तो बढ़ेगी, लेकिन आयात-निर्यात की बढ़ती खाई और रुपये के कमजोर होने से कैसे निपटा जाएगा?

आर्थिक सर्वेक्षण में भले ही भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने की बात कही गई है, लेकिन चालू खाता घाटे और रुपये के कमजोर होने की चिंताएँ अभी भी कम नहीं हुई हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि चालू खाता घाटा बढ़ना जारी रह सकता है क्योंकि वैश्विक कमोडिटी की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं और रुपया दबाव में आ सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि यदि चालू खाता घाटा और बढ़ता है, तो यह रुपये पर और दबाव डाल सकता है। चालू खाता घाटा तब होता है जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक हो जाता है।

हालाँकि, सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि समग्र बाहरी स्थिति संभालने लायक बनी हुई है। इसने कहा है कि भारत के पास चालू खाता घाटे को वित्तपोषित करने और रुपये में ज़्यादा अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने को पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि चालू खाता शेष में गिरावट का जोखिम मुख्य रूप से घरेलू मांग और कुछ हद तक निर्यात से उपजा है।

2022-23 में अब तक निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि की दर तेज रही है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए प्रमुख सरकारी दस्तावेज में सतर्क करते हुए कहा गया है कि रुपये में गिरावट की चुनौती यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी की संभावना के साथ बनी हुई है। 

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% बढ़ेगी, जबकि चालू वित्त वर्ष में यह 7% और 2021-22 में 8.7% रही। बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। 

अर्थव्यवस्था की रिकवरी पूरी हो गई: सीईए 

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा, 'अर्थव्यवस्था की रिकवरी पूरी हो गई है। गैर-बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में अब स्वस्थ बैलेंस शीट हैं। इसलिए, हमें अब महामारी की रिकवरी की बात नहीं करनी है। हमें अगले चरण के लिए आगे देखना होगा।' उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस दशक के बाकी हिस्सों में बेहतर करने के लिए तैयार है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के बारे में मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, 'आईएमएफ ने अपने विश्व आर्थिक आउटलुक अपडेट में, चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 6.8%, अगले वित्त वर्ष में 6.1% और 2024-25 के लिए 6.8% पर बनाए रखा है।'

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