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आर्थिक सर्वेः जीडीपी 6.5-7% रहने के दावों के बीच महंगाई की चिन्ताजनक तस्वीर

आर्थिक सर्वेः जीडीपी 6.5-7% रहने के दावों के बीच महंगाई की चिन्ताजनक तस्वीर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 22 जुलाई को देश की आर्थिक तस्वीर पेश कर दी है। आर्थिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ 6.5 से लेकर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। यही आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी दिया था। लेकिन आर्थिक सर्वे से महंगाई की हालत चिन्ताजनक लग रही है। बल्कि यह बताया गया है कि किस तरह पिछले दो वर्षों में आपकी खाने की थाली का खर्च दोगुणा हो गया। जानिए आर्थिक सर्वे की खास बातेंः

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 सोमवार को पेश किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी के बीच बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इसमें जोखिम का भी इशारा किया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया- "सर्वेक्षण में 6.5-7 फीसदी की वास्तविक जीडीपी बढ़ोतरी का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से हैं, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार की उम्मीदें हाईलेवल पर हैं।"

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सर्विसेज से जुड़ी महंगाई और मजबूत श्रम बाजार के कारण मुख्य महंगाई दर स्थिर बनी हुई है। यही स्थिति अधिकांश एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में भी है। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में स्वीकार किया गया है कि महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है। सर्वे के मुताबिक उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 22 में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 6.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 24 में 7.5 प्रतिशत हो गई। इससे पिछले दो वर्षों में 97 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत मिलता है।

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक आर्थिक सर्वे में बढ़ती महंगाई के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार बताया गया है। इसमें कहा गया है कि खाद्य कीमतें जबरदस्त गर्मी, असमान मॉनसून वितरण, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, मूसलाधार बारिश और कई जगहों पर ऐतिहासिक सूखे की स्थिति के कारण भी प्रभावित हुईं। सर्वे दस्तावेज में कहा गया कि सब्जियां बेमौसम स्थितियों का शिकार हुईं, प्याज-टमाटर के दाम बेतहाशा बढ़े, पिछले दो वर्षों में दालों का उत्पादन भी घटा है, इस वजह से दालें महंगी हुईं।

भारत में खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2023 से साल-दर-साल लगभग 8 फीसदी पर बनी हुई है और जल्द ही इसके कम होने की संभावना नहीं है।


हाल ही में, भारत की खुदरा महंगाई में पांच महीनों में पहली बार बढ़ोतरी देखी गई क्योंकि खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण जून में यह वार्षिक आधार पर 5.08 फीसदी तक पहुंच गई थी। खाद्य मुद्रास्फीति, जो समग्र सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, जून में बढ़कर 9.55 फीसदी हो गई, जो मई में 8.69 फीसदी और जून 2023 में 4.55 फीसदी थी।

शेयर मार्केट की तारीफः संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि भारत की विकास की कहानी पूंजी बाजार से संचालित होती है क्योंकि प्रौद्योगिकी, कैपिटल फॉरमेशन और डिजिटलीकरण में प्रगति के कारण पूंजी निर्माण और निवेश में हिस्सेदारी बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि भारतीय बाजार ग्लोबल जियो-पोलिटिकल और आर्थिक झटकों के प्रति लचीले हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिम, बढ़ती ब्याज दरें और अस्थिर कमोडिटी कीमतें भी भारतीय शेयर बाजारों को नहीं रोक सकीं, जो वित्त वर्ष 2024 में उभरते बाजारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक रहे हैं।

कॉर्पोरेट मुनाफा बढ़ रहा है, नौकरियां और वेतन नहींः सर्वे

सरकार ने 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र प्रभावशाली वित्तीय प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन कर्मचारियों की भर्तियां और वेतन वृद्धि कंपनियों के मुनाफे के अनुरूप नहीं है। इस बात पर जोर देते हुए कि रोजगार सृजन मुख्य रूप से निजी क्षेत्र में होता है, सरकार ने कहा, "वित्तीय प्रदर्शन के मामले में, कॉर्पोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन इतना अच्छा कभी नहीं रहा। 33,000 से अधिक कंपनियों के नतीजे बताते हैं कि, वित्त वर्ष 2020 और 2020 के बीच तीन वर्षों में FY23, भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र का कर पूर्व लाभ लगभग चौगुना हो गया... लेकिन नियुक्ति और वेतन, मुआवज़े में वृद्धि शायद ही इसके बराबर हो। नियुक्ति करना और कर्मचारी का वेतन, मुआवज़ा बढ़ाना कंपनियों के हित में है।''

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