सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ECI ईवीएम मेमोरी की जाँच तो कराएगा, पर ऐसी शर्तें?
ईवीएम और वीवीपैट में छेड़छाड़ का शक हो तो अब उम्मीदवार इसकी जाँच करा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इसके लिए 1 जून को सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एसओपी यानी मानक संचालन प्रक्रिया भेजी है। इसे चुनाव आयोग का दिशा-निर्देश भी कह सकते हैं। लेकिन ऐसा करने के लिए उम्मीदवारों के सामने शर्तें रखी गई हैं। ये इतनी सख़्त शर्तें हैं कि शायद ही कोई उम्मीदवार ईवीएम की जाँच कराने की हिम्मत जुटा पाए!
ऐसी क्या शर्त है कि उस पर विवाद हो सकता है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर इसके लिए सामान्य नियम क्या है। चुनाव आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि निर्वाचन क्षेत्र में पहले दो रनर-अप उम्मीदवार कथित छेड़छाड़ या संशोधन के लिए ईवीएम माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन यानी जाँच की मांग कर सकेंगे। ऐसा तभी किया जा सकेगा जब चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सात दिनों के अंदर इसके लिए आवेदन किया जाए।
चुनाव आयोग का यह एसओपी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ भी साझा किया गया है। 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के लिए निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तब अपने आदेश में कहा था कि माइक्रोकंट्रोलर ईवीएम में बर्न मेमोरी की जांच इंजीनियरों की एक टीम द्वारा परिणाम घोषित होने के बाद सीरियल नंबर 2 और 3 में उम्मीदवारों के अनुरोध पर की जाएगी। ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा था, 'वास्तविक लागत का भुगतान अनुरोध करने वाले उम्मीदवार द्वारा किया जाएगा। ईवीएम के साथ छेड़छाड़ पाए जाने पर खर्च वापस किया जाएगा।'
सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर जारी चुनाव आयोग के एसओपी में शर्तें लगाई गई हैं। अन्य शर्तों के अलावा एक शर्त यह भी है कि चुनाव आयोग ईवीएम-वीवीपैट के प्रत्येक सेट की जाँच और सत्यापन के लिए 40,000 रुपये और 18% जीएसटी चार्ज करेगा।
इसी को लेकर कई लोग अब संदेह जता रहे हैं कि इतना शुल्क होने से कई उम्मीदवार जाँच की मांग कर ही नहीं पाएँगे। वरिष्ठ पत्रकार पूनम अग्रवाल ने यह सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है।
The @ECISVEEP has uploaded the SOP on their website for checking and verification of the EVM-VVPAT as per the Supreme Court's order. Candidates who stood 2nd and 3rd can demand this through a written application.
— Poonam Agarwal (@poonamjourno) June 3, 2024
EC will charge Rs 40000 + 18% GST to check n verify per set of… pic.twitter.com/id8dF4wFo6
इसके अलावा भी कई शर्तें लगाई गई हैं। उम्मीदवार मतगणना के दिन से सात दिनों के भीतर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र या संसदीय क्षेत्र के लगभग 5% ईवीएम में सत्यापन करवा सकेंगे। यह 10 जून तक होगा।
ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों के साथ उम्मीदवारों की मौजूदगी में जांच और सत्यापन किया जाएगा। चुनाव याचिकाओं के मामले को छोड़कर, यह प्रक्रिया परिणामों की घोषणा के दो महीने के भीतर पूरी होने की संभावना है।
सत्यापन पर 5% की सीमा के संबंध में चुनाव आयोग ने कहा है कि एक विधानसभा क्षेत्र में यदि 400 मतपत्र इकाइयों, 200 नियंत्रण इकाइयों और 200 वीवीपैट का उपयोग किया गया है तो 20 बीयू, 10 सीयू और 10 वीवीपैट बर्न मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर का उपयोग इसके लिए किया जाएगा।
कुल मिलाकर परिणामों की घोषणा के दो महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। इसके लिए एक सुरक्षित हॉल बनाया जाएगा जिसमें ईवीएम इकाइयों के भंडारण के लिए स्ट्रांग रूम होंगे। इसको उम्मीदवारों की उपस्थिति में खोला और पूरा किया जाएगा और साथ में इसकी वीडियोग्राफी भी होगी।