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वैक्सीन न मिलने पर क्या हम ख़ुद को फांसी लगा लें?: केंद्रीय मंत्री 

वैक्सीन न मिलने पर क्या हम ख़ुद को फांसी लगा लें?: केंद्रीय मंत्री 

देश भर से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि राज्यों में कोरोना वायरस के टीके की काफ़ी कमी है। ऐसे वक़्त में केंद्र सरकार पर टीकों की किल्लत को दूर करने का जबरदस्त दबाव है 

देश भर से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि राज्यों में कोरोना वायरस के टीके की काफ़ी कमी है। ऐसे वक़्त में केंद्र सरकार पर टीकों की किल्लत को दूर करने का जबरदस्त दबाव है और राज्य सरकारों की ओर से टीके कम होने की बात का उसके पास कोई जवाब नहीं है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने झुंझलाहट में एक अजीब बयान दिया है। 

गौड़ा ने गुरूवार को बेंगलुरू में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अदालत ने अच्छे इरादे से कहा है कि देश में हर शख़्स को टीका लगाया जाना चाहिए। मैं आपसे पूछना चाहता हूं, कल को अदालत अगर कह दे कि आपको इतनी वैक्सीन देनी हैं और अगर इन्हें न बनाया जा सके तो क्या हमें ख़ुद को फांसी पर लटका लेना चाहिए।” 

गौड़ा ने स्वाभाविक रूप से सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार किसी भी तरह के राजनीतिक फ़ायदे को देखकर फ़ैसले नहीं लेती है। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, ऐसे में क्या हम इनका प्रबंधन कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार बेहतर प्रयास कर रही है और लोगों को जल्द वैक्सीन लगेगी। 

गौड़ा के साथ मौजूद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने कहा कि अगर पहले से ही बेहतर इंतजाम नहीं किए गए होते तो आज 10 या 100 गुना ज़्यादा मौतें होतीं और हालात बेहद ख़राब होते। उन्होंने कहा कि हमारे इंतजाम इसलिए फ़ेल हो गए क्योंकि वायरस जितना हम सोचते थे, उससे ज़्यादा तेज़ी से फैल गया। 

वैक्सीन के लिए कतारों में लोग

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण को लेकर हालात बेहद ख़राब हैं और राज्य में हर दिन संक्रमण के 40 से 50 हज़ार मामले आ रहे हैं। इसे देखते हुए वैक्सीन की मांग बढ़ी है और लोग चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द वैक्सीन लग जाए। 

वैक्सीन संकट पर देखिए चर्चा- 

कर्नाटक सरकार ने तीन करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है और इसके लिए वैक्सीन बनाने वाली दो कंपनियों को पैसे भी दे दिए गए हैं लेकिन राज्य को अब तक सिर्फ़ सात लाख वैक्सीन ही मिली हैं। वैक्सीन लगाने को लेकर कर्नाटक में कई जगहों पर टीकाकरण केंद्रों के बाहर भारी भीड़ देखी जा रही है। कई लोग तो वैक्सीन के लिए 100 किमी. दूर तक जा रहे हैं। 

रोकना पड़ा टीकाकरण 

भारत सरकार ने एलान किया था कि देश में 18-44 साल के लोगों को 1 मई से टीका लगाया जाएगा। लोगों ने इसके लिए ख़ुद को रजिस्टर कराना शुरू किया लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण कई राज्यों को इस आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण रोकना पड़ा है। महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक की सरकार ने फ़ैसला लिया है कि वह शुक्रवार से इस आयु वर्ग के लोगों को टीका नहीं लगाएगी क्योंकि उसके पास वैक्सीन की कमी है। 

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि सरकार ने फ़ैसला लिया है कि वह 18-44 साल के लोगों के लिए ख़रीदी गई वैक्सीन को ऐसे लोगों को लगाएगी जिनकी दूसरी डोज अभी बची है और यह फ़ैसला अगले आदेश तक लागू रहेगा। मतलब साफ है कि वैक्सीन नहीं है और एक का हिस्सा लेकर दूसरे को दिया जा रहा है। 

वैक्सीन को लेकर ऐसे ही हालात राजस्थान, पंजाब और कुछ अन्य राज्यों के भी हैं। वैक्सीन की कमी को लेकर केंद्र सरकार की जबरदस्त आलोचना हो रही है कि उसने दूसरे देशों को तो वैक्सीन भेज दी लेकिन अपने देश के लोगों के लिए ही वैक्सीन नहीं है।

216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध होंगी

हालांकि केंद्र सरकार ने गुरूवार को दावा किया है कि इस साल के आख़िर यानी दिसंबर महीने तक भारत में 200 करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन उपलब्ध होंगी। नीति आयोग के सदस्य और सरकार के सलाहकार वी के पॉल ने पत्रकारों से कहा, “भारत के लिए पांच महीनों में दो बिलियन खुराक (216 करोड़) देश में बनाई जाएंगी। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, वैक्सीन सभी के लिए उपलब्ध होगी।” उन्होंने कहा कि अगले साल की पहली तिमाही तक कोरोना टीके की यह संख्या 300 करोड़ होने की उम्मीद है।

यानी वैक्सीन को लेकर हालात सामान्य होने में अभी कई महीने लगेंगे। कई लोगों को साल के आख़िर तक इंतजार करना पड़ेगा। देश भर में अब तक कुल 2.5% लोगों को ही कोरोना की दोनों डोज लगी हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन की रफ़्तार को बढ़ाने में फ़ेल सरकार की झुंझलाहट सामने आ रही है। 

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