दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से 5 घंटे तक पूछताछ की है। प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से यह पूछताछ उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में की गई है। फ़रवरी में हुए इन दंगों में 50 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और दंगाइयों ने करोड़ों रुपये की संपत्ति को स्वाहा कर दिया था। अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाते हैं।
प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘मुझसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अगस्त को दिल्ली दंगों को लेकर दर्ज एक एफ़आईआर नंबर 59/20 में जांच में शामिल होने के लिए कहा था। मैं वहां पांच घंटे तक रहा। दिल्ली पुलिस ने जांच के लिए मेरे फ़ोन को जब्त करना ज़रूरी समझा।’
उन्होंने कहा है कि यह बेहद निराशाजनक है कि नागरिकता क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन करने वालों को हिंसा करने वाला समझा जा रहा है।
अपूर्वानंद ने कहा, ‘पुलिस का सम्मान करते हुए और निष्पक्ष जांच के लिए, कोई व्यक्ति यही उम्मीद कर सकता है कि जांच दंगों के असली षड्यंत्रकारियों पर फ़ोकस होगी।’
उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों के दायरे में अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत सीएए, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों और उनके समर्थकों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘मैं पुलिस से अपील और उम्मीद करता हूं कि उसकी जांच निष्पक्ष होगी जिससे सच सामने आ सके।’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, एक वरिष्ठ अफ़सर ने कहा, ‘अपूर्वानंद से पूछा गया कि दिल्ली दंगों और दिसंबर में जामिया में हुई हिंसा के दौरान वह कहां थे। उनसे पिंजरा तोड़ और जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी के साथ उनके संबंधों को लेकर भी पूछताछ की गई।’ ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने 25 अप्रैल को ख़बर दी थी कि एक प्रोफ़ेसर भी पुलिस के रडार पर हैं।
यह एफ़आईआर दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर अरविंद कुमार को किसी से मिली सूचना के आधार पर दर्ज की गई थी। इसके बाद मामले को स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिया गया था।