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ट्रंप समर्थकों ने कहा- हम वाशिंगटन को जलाकर राख कर देंगे

ट्रंप समर्थकों ने कहा- हम वाशिंगटन को जलाकर राख कर देंगे

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में 20 जनवरी को भले न जाएं, लेकिन इस समारोह के समय उनके समर्थकों के एक बार फिर हिंसा करने, बवाल मचाने और तोड़फोड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में 20 जनवरी को भले न जाएं, लेकिन इस समारोह के समय उनके समर्थकों के एक बार फिर हिंसा करने, बवाल मचाने और तोड़फोड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

ट्रंप के समर्थकों के सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट्स से यह साफ होता है कि इन लोगों ने बड़े पैमाने पर हिंसा का मंसूबा बनाया है, गोलीबारी की योजना बनाई है और जिन्हें गोलीबारी नहीं आती है, उन्हें ऐसा करने की सीख लेने तक की सलाह दी जा रही है।

हिंसा की तैयारी

सीएनएन के अनुसार, ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट यानी श्वेतों की श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए समर्पित लोगों और समूहों ने नफ़रत फैलाने वाले जो पोस्ट डाले हैं और उस पर जो कमेंट हो रहे हैं, उन्हें देखने से हिंसा की बड़ी आशंका साफ नज़र आ रही है।

एंटी डिफेमेशेन लीग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जोनाथन ग्रीनब्लैट ने सीएनएन से कहा, 

"हम इन ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट, इन अति दक्षिणपंथी उग्रपंथियों के चैट पर नज़र रखे हुए हैं। हमें पूरी आशंका है कि इस बार ये पिछली बार से भी बड़ी हिंसा कर सकते हैं।"


जोनाथन ग्रीनब्लैट, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एंटी डिफेमेशेन लीग

मामला क्या है?

बता दें कि बुधवार को डोनल्ड ट्रंप के सैकड़ों समर्थक वाशिंगटन स्थित संसद परिसर कैपिटल बिल्डिंग में घेरा तोड़ कर घुस गए, हिंसा की, तोड़फोड़ की, गोलियाँ चलाईं, जिसमें एक पुलिस अधिकारी समेत पाँच लोगों की मौत हो गई। ये लोग संसद की गैलरी तक पहुँच गए और प्रतिनिधि सभा हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स की अध्यक्ष नैन्सी पलोसी के दफ़्तर में घुस कर तोड़फोड़ की। 

जब यह तांडव चल रहा था, अमेरिकी राष्ट्रपति अपने ओवल ऑफ़िस में बैठ कर टेलीविज़न पर सब कुछ देखते रहे। ह्वाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों और दूसरे सहयोगियों के बार-बार कहने के बावजूद इन दंगाइयों को रोकने के लिए राष्ट्रपति ने कुछ नहीं किया। उन्होंने बाद में एक वीडियो  मैसेज में लोगों से घर चले जाने की अपील की भी तो उस वीडियो के शुरू में भड़काने वाला बयान दिया कि "चुनाव चुरा लिया गया है।"

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'अभी तो युद्ध शुरू हुआ है'

सीएनएन ने ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट समूहों और लोगों के कुछ पोस्ट का हवाला भी दिया है। ट्रंप समर्थक वेबसाइट 'द डोनल्ड.विन' पर किसी ने लिखा, "ट्रंप 20 जनवरी को दुबारा शपथ ग्रहण करेंगे। हम किसी कीमत पर कम्युनिस्टों को नहीं जीतने देंगे, भले ही हमें डीसी (वाशिंगटन डीसी) को जला कर राख कर देना पड़े। कल हम डीसी और अपने देश को दुबारा हासिल कर लेंगे।"

सत्य हिन्दी ने पड़ताल करने पर पाया कि उस वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया है।

निष्पक्ष नियामक संस्था एडवांस डेमोक्रेसी ने कहा है कि क्यूएनन से जुड़े अकाउंट पर 1,480 कमेंट डाले गए हैं। इनमें हिंसा की धमकी दी गई है। माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पार्लर.कॉम पर भड़काऊ बयान डाले गए हैं और कहा गया है कि 'अभी तो युद्ध शुरू हुआ है।'

रिपब्लिकन भी हैं साथ?

डोनल्ड ट्रंप के समर्थन में रैली आयोजित करने वाले अली अलेक्ज़ेंडर ने वामपंथियों पर आरोप लगाया है कि वे लोगों को युद्ध की ओर धकेल रहे हैं। इन्होंने दिसंबर में कहा था कि तीन रिपब्लिकन कांग्रेस सदस्य पॉल गोज़र, एंडी बिग्स और मो ब्रुक्स 'कुछ बड़ा करने वाले हैं।'

अली अलेक्ज़ेंडर ने लिखा, "यह माहौल बनाने और दबाव बढ़ाने के लिए था ताकि जिन लोगों ने अभी तक तय नहीं किया है वे ऐसा कर लें।"

अमेरिकी संसद पर राष्ट्रपति समर्थकों के हमले से भारत को क्या सीखना चाहिए, देखें, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष क्या कहते हैं। 

'हम पुलिस वालों को मार डालेंगे'

सीएनएन के अनुसार, ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट में जो कुछ कहा गया है, उनमें से कुछ इस तरह हैं-

"ट्रंप या युद्ध। आज। साधारण बात है।"

"यदि आपको गोली चलाने नहीं आती है तो सीख लेनी चाहिए। अभी।"

"हम सरकारी भवनों में ज़बरन घुस जाएंगे, पुलिस वालों को मार डालेंगे, सुरक्षा गार्डों को मार डालेंगे, संघीय कर्मचारियों और उनके एजेंटों को मार डालेंगे और वोटों की फिर से गिनती की माँग करेंगे।"

कोरी धमकी नहीं!

खुफ़िया सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि इस तरह की धमकियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। कैपिटल पर हमले के पहले एडीएल.ऑर्ग की वेबसाइट पर इस तरह की धमकियाँ दी गई थीं, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया और उसके बाद वह ऐतिहासिक कांड हो गया।

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जोखिम का अध्ययन करने वाले समूहों ने कहा है कि 20 जनवरी को निश्चित तौर पर कुछ लोग हिंसा करने की कोशिश करेंगे और उनमें वे होंगे जिन्होंने 6 जनवरी को ऐसा किया है।

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क्यूएनन समूह

पर्यवेक्षकों ने इस पर चिंता जताई है कि हिंसा करने वालों में कुछ अनजान महत्वहीन तत्व हों, ऐसा नहीं है। हिंसक भी़ड़ में हथियारबंद मिलिशिया समूहों, उग्र राष्ट्रवादियों, कॉन्सपिरेशी थ्योरी में यकीन करने वालों की भारी तादाद थी।

रटगर विश्वविद्यालय के नेटवर्क कंटैजियन रिसर्च इंस्टीच्यूट ने कहा है कि छोटे-मोटे अनजान वेबसाइटों की भरमार हो गई है, ये क्यूएनन समूह से जुड़े हुए हैं। ये फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर मौजूद ही नहीं हैं, बहुत ही सक्रिय हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि लोग इनके बहकावे में आ गए।

नतीजा यह हुआ कि कैपिटल में घुसने वालों की भीड़ में इस तरह के लोग भी थे जो उग्रवादी नहीं हैं, पर इन साइटों को देख कर भीड़ के साथ हो लिए। इन वेबसाइटों पर जुड़ने वाले आम लोग भी हैं, जो उस पर चल रहे प्रचार से प्रभावित हो गए हैं। वे खुद प्रचार में शामिल हो गए हैं।

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