क्या उप राष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरिस अमेरिकी नहीं हैं? नागरिकता पर उठा विवाद
क्या डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस अमेरिकी नागरिक नहीं हैं? यह सवाल सुनकर आप चौंक जायेंगे। लेकिन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस की नागरिकता को ही मुद्दा बना दिया है और चुनाव लड़ने की उनकी योग्यता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
उनके तर्क को अमेरिकी संविधान विशेषज्ञों ने सिरे से खारिज कर दिया है और विरोधियों ने उन पर नस्लीय भेदभाव से प्रेरित होकर भारतीय मूल की इस नेता की योग्यता पर सवाल उठाने का आरोप लगाया है। यह तो साफ़ है कि अमेरिका में नस्लीय मुद्दा गहरे तक पैठा हुआ है हर चुनाव में यह जिन्न की तरह बाहर निकलता है।
क्या है विवाद?
ट्रंप ने यह कह कर सबको चौंका दिया कमला हैरिस तो राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति पद का चुनाव ही नहीं लड़ सकतीं क्योंकि वह ‘नेचुरली बॉर्न अमेरिकन’ नहीं हैं। बता दें कि ‘नेचुरली बॉर्न अमेरिकन’ वह होता है जिसका जन्म अमेरिका में हुआ हो। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए ‘नेचुरली बॉर्न अमेरिकन’ होना ज़रूरी है।क्या कहा है ट्रंप ने?
ट्रंप ने उसके आगे कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह कितना सही है, पर मैं यह मान कर चलता हूं कि डेमोक्रेटिक पार्टी ने उनका चुनाव करते वक़्त उनकी पृष्ठभूमि की जाँच की होगी।’ अमेरिकी राष्ट्रपति यहीं नही रुके। उन्होंने इसके आगे कहा,
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‘यह बहुत ही गंभीर मामला है, आप कह रहे हैं, वे कह रहे हैं कि वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उनका जन्म अमेरिका में नहीं हुआ था।’
डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका
क्या कहता है अमेरिकी संविधान?
कैलिफ़ोर्निया स्थित चैपमैन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जॉन ईस्टमैन ने बीबीसी से कहा, 'अमेरिकी संविधान के आर्टिकल दो में कहा गया है कि सिर्फ नेचुरल बॉर्न सिटीजन ही राष्ट्रपति पद के योग्य हो सकते हैं।' उन्होंने संविधान संशोधन 14 की व्याख्या करते हुए कहा कि 'अमेरिका में जन्मा हर आदमी अमेरिकी नागरिक है और इसके अधिकार क्षेत्र में आता है।'
कुछ क़ानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कमला हैरिस के माता-पिता उनके जन्म के समय अमेरिकी नागरिक नहीं बन चुके हों तो कमला को नेचुरल बॉर्न सिटीज़न नहीं माना जाएगा।
इस पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कमला हैरिस के जन्म के समय 1964 में उनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं थे, इसलिए कमला को नेचुरल बॉर्न सिटी नहीं माना जाएगा।
लेकिन बर्कले लॉ स्कूल के डीन इर्विन चेमेरिन्स्की ने सीबीएस से कहा कि यह तर्क 'मूर्खतापूर्ण' है। उन्होंने कहा कि संशोधन 14 के अनुच्छेद 1 के तहत अमेरिका में जन्म हर व्यक्ति नेचुरल बॉर्न सिटीज़न है।
लॉयला लॉ स्कूल की जेसिका लेविन्सन ने एपी से कहा,
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‘जब कभी हमारे सामने अश्वेत व्यक्ति राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनता है, हम नस्लीय बहाने लेकर आ खड़े होते हैं।’
जेसिका लेविन्सन, अमेरिकी संविधान विशेषज्ञ
ओबामा भी बने थे मुद्दा
राष्ट्रपति ट्रंप के लिए जन्म की जगह का मुद्दा उठा कर विरोधी को घेरने की कोशिश नयी बात नहीं है। पिछले चुनाव यानी 2016 में ट्रंप ने कहा था कि बराक ओबामा का जन्म कीनिया में हुआ था।बराक ओबामा के पिता कीनिया के थे और अमेरिका पढ़ने आए थे जहां उन्होंने अमेरिकी महिला से विवाह किया था। बराक ओबामा ने बाद में सर्टिफिकेट दिखाते हुए कहा था कि उनका जन्म हवाई में हुआ था। बराक ओबामा ने इसे ‘फ़र्जी’ क़रार दिया था।
भारतीय मूल का मुद्दा
ट्रंप का कमला हैरिस पर हमला बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘कमला हैरिस भारतीय हैं, उनसे ज़्यादा भारतीय तो मेरे साथ हैं।’
डोनल्ड ट्रंप ने अतीत में कई बार अश्वेतों, हिस्पानी मूल के लोगों, लातिन अमेरिकियों, समलैंगिंकों, मुसलमानों के ख़िलाफ़ टिप्पणियाँ की है और विवादों कें केंद्र में रहे हैं।
सवाल उठता है कि ट्रंप कमला हैरिस पर नस्लीय, रंगभेद से भरी बातें क्यों करते हैं? वह उनकी नीतियों की आलोचना करें तो भी ठीक है। इसकी वजह बहुत ही साफ़ है। ट्रंप ने इसके पहले बहुत बार नस्लीय और महिला विरोधी टिप्पणियाँ की हैं।
शायद वह इस तरह की टिप्पणी कर श्वेत कट्टरपंथी मतदाताओं को कमला हैरिस के ख़िलाफ़ भड़का रहे हैं। उनकी यह योजना हो सकती है कि इस तरह के मतदाता कमला हैरिस को उनके मूल या अश्वेत होने या हिन्दू होने के कारण नापसंद करें।
अमेरिकी समाज में अभी भी ‘वैस्प’ यानी ‘डब्लू ए एस पी’ यानी ‘व्हाइट एंग्लो सैक्शन प्रोटेस्टेंट’ समाज का दबदबा है। हम इसकी तुलना भारत के उच्चवर्गीय सवर्ण समाज से कर सकते हैं। शायद ट्रंप इस समाज को अपनी ओर मोड़ने की जुगत में हैं।