अमेरिका में टल सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
क्या अमेरिका में इस साल होने वाला राष्ट्रपति चुनाव टल सकता है राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चुनाव टालने की सलाह देते हुए कहा है कि इस बार तय समय पर चुनाव होने से अधिक से अधिक लोग पोस्टल बैलट के ज़रिए मतदान करेंगे, इससे बहुत बड़े पैमाने पर धांधली हो सकती है, चुनाव के ग़लत नतीजे आ सकते हैं।
अमेरिका के कई राज्य चाहते हैं कि कोरोना की वजह से पोस्टल बैलट को आसान बनाया जाए ताकि अधिक लोग इससे वोट दें।
मौजूदा राष्ट्रपति ने 'मेल इन वोटिंग' का विरोध करते हुए चुनाव टालने की सलाह दी और एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। अमेरिका में पोस्टल बैलट को मेल इन वोटिंग कहते हैं।
With Universal Mail-In Voting (not Absentee Voting, which is good), 2020 will be the most INACCURATE & FRAUDULENT Election in history. It will be a great embarrassment to the USA. Delay the Election until people can properly, securely and safely vote
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) July 30, 2020
ट्रंप ने यह भी कहा कि विदेशी ताक़तें पोस्टल बैलट को प्रभावित कर सकती हैं। यदि चुनाव का नतीजा ग़लत निकला तो यह अमेरिका के लिए बहुत बड़े शर्म की बात होगी। उन्होंने कहा,
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'डेमोक्रेट्स चुनाव में विदेशी ताक़तों के हस्तक्षेप की बात करते रहे हैं, पर वे अच्छी तरह जानते हैं कि पोस्टल बैलट वह जरिया जिससे विदेशी बड़ी आसानी से हमारे चुनाव में दाखिल हो सकते हैं।'
डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका
बता दें कि जून में हुए न्यूयॉर्क राज्य में डेमोक्रेट्स के प्राइमरी चुनाव में पोस्टल बैलट के ज़रिए ही मतदान हुआ। वोटों की गिनती में देर हुई और अब तक नतीजा नहीं घोषित किया गया है।
अमेरिकी प्रणाली में पार्टी के निर्वाचित डेलीगेट्स मतदान के ज़रिए उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। यह राष्ट्रपति चुनाव में होता है और गवर्नर के चुनाव में भी। इसे प्राइमरी कहते हैं।
क्या है ट्रंप की चाल
लेकिन दिलचस्प सवाल यह है कि डोनल्ड ट्रंप चुनाव टालने की सलाह क्यों दे रहे हैं जबकि वह जानते हैं कि अमेरिका में अब तक कभी राष्ट्रपति चुनाव नहीं टला है। यह संभव इसलिए भी नहीं है कि अमेरिकी संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि राष्ट्रपति अपना कार्यकाल ख़त्म होने के बाद किसी सूरत में पद पर बना रहे।पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव के संभावित नतीजों पर अभी से ही सवाल खड़े कर उसे विवादित बना देना चाहते हैं।
उनकी रणनीति है कि चुनाव हारने की स्थिति में वह कह सकें कि पोस्टल बैलट में बड़े पैमाने पर धाँधली हुई है और उन्हें चुनाव हराया गया है। वह इसके लिए किसी विदेशी ताक़त पर दोष मढ सकते हैं।
इसके लिए उनके पास चीन है ही, क्योंकि वे कई बार कह चुके हैं कि बीजिंग नहीं चाहता है कि वह दुबारा राष्ट्रपति बनें।
ट्रंप ने यह बात ऐसे समय कही है जब एक के बाद एक लगभग सभी सर्वेक्षणों में वह अपने प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से पीछे चल रहे हैं। वह रिपब्लिकनों के गढ़ माने जाने वाले राज्यों में भी डेमोक्रेट्स से पीछे हैं और कैलीफ़ोर्निया जैसे स्विंग स्टेट्स में भी। स्विंग स्टेट्स उन राज्यों को कहते हैं, जहाँ हारने वाला उम्मीदवार निश्चित तौर पर चुनाव हार जाता है। यह कई कारणों से होता है।
डोनल्ड ट्रंप विदेशी ताक़तों की बात करते हैं तो उनका इशारा चीन की ओर है, जिसे वह हर कीमत पर खलनायक और अमेरिका का दुश्मन साबित करने पर तुले हुए हैं। लेकिन सच तो यह है कि ख़ुद उनके चुनाव के समय यह मुद्दा उठा था।
यह आरोप लगा था कि रूसी ख़ुफ़िया एजेन्सी ने ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन से जुड़ी कई गोपनीय जानकारियाँ जान बूझ कर लीक की थी ताकि ट्रंप को उसका राजनीतिक लाभ मिल सके।
यह भी बेहद अहम है कि पिछले चुनाव में भी डोनल्ड ट्रंप को हिलेरी क्लिंटन से कम वोट मिले थे, जिसे वहाँ पॉपुलर वोट कहते हैं। लेकिन अमेरिका में 'विनर गेट्स ऑल' का नियम है, यानी किसी राज्य में जिस उम्मीदवार को अधिक सीटें मिलती हैं, उसे उस राज्य की सारी सीटें मिल जाती हैं। इस मामले में ट्रंप भाग्यशाली साबित हुए और कुल मिला कर उन्हें अधिक सीटें मिल गईं, हालांकि उन्हें कुल वोट ट्रंप से कम मिले थे।