जब अमेरिका का राष्ट्रपति टीवी एंकर को क़ातिल बताता है!
डोनल्ड ट्रंप की बदज़ुबानी अब तो हद पार कर गई है! उन्होंने एक टीवी एंकर को क़ातिल बता दिया। वह भी तब जब न तो इसके कोई सबूत हैं और न ही कोई आरोप। सिर्फ़ इसलिए कि उस एंकर ने कोरोना वायरस से लड़ने में ट्रंप को विफल बता दिया। क्या किसी देश के राष्ट्रपति से ऐसे बेतुके बयान की कल्पना भी की जा सकती है?
यह बिल्कुल कल्पना से भी परे है। तभी तो ट्रंप के आरोप इतने बेतुके हैं कि उनके विरोधियों को छोड़िए, उनकी पार्टी के लोग और ट्रंप की तारीफ़ करने वाले पत्रकार ही ट्रंप को कोस रहे हैं। आख़िर वे ट्रंप के इस बयान का समर्थन भी क्यों करें जब कोई इसका आधार ही नहीं हो।
यह इसलिए कि ट्रंप ने बिना किसी आधार के एमएसएनबीसी चैनल के होस्ट जो स्कारबोरो पर अपने स्टाफ़ की हत्या का आरोप लगा दिया है। दरअसल, स्कारबोरो के कार्यालय में एक स्टाफ़ लोरी क्लाउसुटिस काम करती थीं। 2001 में हृदय में दिक्कत के कारण वह गिर पड़ी थीं और उनका सिर डेस्क से टकरा गया था। इससे लोरी की मौत हो गई थी। जब यह घटना हुई थी तब जो स्कारबोरो कार्यालय में भी नहीं थे और पुलिस ने कहा था कि उनकी मौत एक हादसा था। तब इस मौत के मामले में किसी पर भी आरोप नहीं लगाया गया था। लोरी क्लाउसुटिस के परिवार ने भी किसी पर आरोप नहीं लगाया था। वे अब भी नहीं लगा रहे हैं।
अब राष्ट्रपति ट्रंप का यह ताज़ा हमला लोरी क्लाउसुटिस के परिवार के लिए पीड़ा का कारण बन गया है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के अनुसार, क्लाउसुटिस के रिश्तेदारों ने कहा है कि उसकी मौत के बाद अब जिस तरह से स्कारबोरो के साथ उसके संबंध के निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं, उनके कारण उन्हें गहरी तकलीफ हुई।
अब इस मामल में ट्रंप की ही पार्टी की नंबर 3 हाउस रिपब्लिकन रिप्रेजेंटेटिव लिज़ चेनी का बयान पढ़िए। लिज़ चेनी ने कहा कि राष्ट्रपति को इस मामले को छोड़ देना चाहिए और कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश का नेतृत्व करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने झूठे आरोपों का ज़िक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा, 'मैं इसे रोकने का आग्रह करूँगी।' हालाँकि अधिकतर रिपब्लिकन अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साधी है।
ट्रंप की बदज़ुबानी पर अख़बारों ने भी ज़बरदस्त प्रतिक्रिया दी है। अख़बारों ने ट्रंप के बयान को लेकर 'नेतृत्व के लिए अक्षम', 'निचता', ‘भद्दा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है।
'न्यूयॉर्क पोस्ट' ने बुधवार के पेपर में शोक व्यक्त किया कि राष्ट्रपति ने 'यह सुझाव देने का फ़ैसला किया कि एक टीवी मॉर्निंग-शो के मेजबान ने हत्या कर दी। यह टाइप करने के लिए एक निराशाजनक वाक्य है।' इसके संपादकीय में लिखा गया है, 'हमारा विश्वास करें, आप बड़े आदमी की तरह नहीं दिखते।'
एक लोकप्रिय रूढ़िवादी समाचार वेबसाइट वॉशिंगटन एक्जामिनर ने ट्रम्प के हमलों को 'नेतृत्व के लिए अक्षम' और 'निचता' क़रार देते हुए एक आलोचनात्मक लेख प्रकाशित किया है। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के संपादकीय पृष्ठ पर लिखा गया है, स्कारबोरो के ख़िलाफ़ ट्रम्प ने जो निराधार आरोप लगाया, यह उनके लिए भी ‘भद्दा’ था।
ट्रंप पर नस्लवाद का आरोप
हाल ही में कोरोना वायरस से अमेरिका में हो रही मौतों पर जब एक रिपोर्टर ने सवाल पूछा था तो उन्होंने कथित तौर पर नस्लवादी टिप्पणी की थी। तब कोरोना से लोगों की मौत रोकने में नाकाम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप चीनी मूल के एक अमेरिकी पत्रकार के सवाल से इतने नाराज़ हो गए कि प्रेस कॉन्फ्रेंस एकाएक बीच में ही ख़त्म कर दी और वहाँ से चले गए। एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा था, 'वे पूरी दुनिया में जान गँवा रहे हैं। और शायद आपको यह सवाल चीन से पूछना चाहिए। मुझसे नहीं, चीन से यह सवाल कीजिए, ठीक है न?' जियांग चीनी मूल की अमेरिकी हैं और वेस्ट वर्जीनिया राज्य की रहने वाली हैं। इसके बाद ट्विटर पर राष्ट्रपति ट्रंप पर नस्लवाद के आरोप लगे और लोगों ने खुले आम रिपोर्टर का समर्थन किया।
दरअसल, ट्रंप पर नस्लवादी होने के आरोप काफ़ी पहले से लगते रहे हैं। वह अहंकारी हैं और बड़बोले भी। झूठ बोलने का तो जैसे उन्होंने रिकॉर्ड ही बना लिया है।
पहले न्यूयॉर्क टाइम्स और फिर वाशिंगटन पोस्ट ने उनके बारे में ख़बर छापी थी कि ट्रंप 10 हज़ार झूठ या ग़तल तथ्य बोल या लिख चुके हैं। इस हिसाब से वे हर रोज़ कोई न कोई झूठ बोलते हैं। तब उस रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले साल की तुलना में दूसरे साल उन्होंने झूठ ज़्यादा बोले।
ऐसे में पिछले तीन साल से वह अमेरिका को कैसे चला रहे हैं, यह पूरी दुनिया जानती है। हर रोज़ कोई न कोई विवादास्पद और बेतुके बयान देते रहे हैं। इन गुणों की वज़ह से ट्रम्प की अमेरिका और अमेरिका बाहर तीखी आलोचना होती रही है।
हाल के दिनों में वे नए सिरे से निशाने पर हैं और वज़ह है कोरोना वायरस से निपटने के मामले में उनका रवैया। उनके इस रवैये की वज़ह से अमेरिका कोरोना की चपेट में है। वह कोरोना वायरस पर भी बार-बार पाला बदलते रहे हैं।
ट्रंप कभी कह रहे थे कि कोरोना एक सामान्य फ्लू यानी सर्दी-जुकाम की तरह ही है जो 'चमत्कारिक ढंग से' ग़ायब हो जाएगा। लॉकडाउन को लेकर ट्रंप पहले कह रहे थे कि हमारा देश बंद होने के लिए थोड़े ही बना है। ट्रंप का कहना था कि कोरोना से जितने लोग मरेंगे उससे अधिक लोग अर्थव्यवस्था चौपट होने से मरेंगे। लिहाज़ा कोरोना से राष्ट्रव्यापी बंदी कोई समाधान नहीं है। वह कभी कह रहे थे कि ईस्टर यानी 12 अप्रैल तक लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी हटाई जाएगी तो बाद में उन्होंने इस पाबंदी को आगे बढ़ा दिया। फिर क्लोरोक्वीन दवा पर भी वह पूरी तर अवैज्ञानिक बातें करते रहे और उन्होंने दवा का इस्तेमाल करने की बात कही।
इसी बीच कोरोना को नियंत्रित करने में वह पूरी तरह विफल साबित हुए। और अब जब पत्रकार सवाल पूछते हैं या उन्हें विफल बताते हैं तो ट्रंप उन्हें ‘क़ातिल’ तक बता रहे हैं।