+
फिर राष्ट्रपति की दौड़ में ट्रंप; हाथ क्यों खींच रहा समर्थक मीडिया?

फिर राष्ट्रपति की दौड़ में ट्रंप; हाथ क्यों खींच रहा समर्थक मीडिया?

क्या डोनल्ड ट्रंप का राजनीतिक करियर अब ढलान पर है? जव वह रिपब्लिकन पार्टी की ओर से 2024 के लिए राष्ट्रपति के उम्मीदवार के दावे पेश कर रहे हैं, तो उनका समर्थक मीडिया ही उनका साथ क्यों छोड़ रहा है?

जब डोनल्ड ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति अभियान की घोषणा कर रहे थे तो कभी उनका समर्थक माने जाने वाले मीडिया ने उनके भाषण के लाइव फीड को बीच में ही रोक दिया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मीडिया मुगल माने जाने वाले रूपर्ट मर्डोक ने कथित तौर पर ट्रंप को चेताया है कि उनका मीडिया साम्राज्य उनकी राष्ट्रपति बनने के किसी भी प्रयास में साथ नहीं देगा। उधर कई रिपब्लिकन भी ट्रंप का साथ छोड़ते नज़र आ रहे हैं। तो सवाल है कि ऐसे में ट्रंप की राजनीतिक महात्वाकांक्षा क्या परवान चढ़ पाएगी? अमेरिका में मध्यावधि चुनाव नतीजों से पहले ट्रंप के राजनीतिक ग्राफ़ के चढ़ने को लेकर जिस तरह के कयास लगाए जा रहे थे, क्या अब उनकी उम्मीदों को झटका नहीं लगा है?

इस सवाल का जवाब तो कल की उस घटना से भी मिल सकता है जिसमें डोनल्ड ट्रंप के भाषण के लाइव फीड से बीच में ही कई चैनल दूर हो गए। फॉक्स न्यूज और अन्य नेटवर्क कल रात डोनल्ड ट्रम्प के 2024 के राष्ट्रपति अभियान की घोषणा के लाइव फीड को बीच में ही रोक दिया था। पश्चिमी मीडिया में रिपोर्टें हैं कि उनके भाषण के दौरान प्रतिक्रिया बेहद ख़राब रही और उनके भाषण में वैसी ऊर्जा नहीं रही। 

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने उस भाषण में घोषणा की कि 'अमेरिका की वापसी अब शुरू होती है'। ब्रिटेन के अख़बार इंडिपेंडेंट ने रिपोर्ट दी है कि वह घोषणा करते हुए काफी निराश दिखाई दिए।

एक रिपोर्ट है कि रूपर्ट मर्डोक ने कथित तौर पर डोनल्ड ट्रम्प को चेतावनी दी है कि उनका मीडिया साम्राज्य ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने के किसी भी प्रयास को सहयोग नहीं करेगा। गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार मर्डोक ने अब फ्लोरिडा के युवा गवर्नर रॉन डीसांटिस की ओर रुख किया है। बता दें कि मर्डोक को डोनल्ड ट्रंप का समर्थक माना जाता रहा है और वह उनके राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने में सहयोगी रहे थे।

ट्रंप को लेकर अमेरिकी राजनीति और दक्षिणपंथी विचारधारा की ओर झुकाव रखने वाले मीडिया में जो बदलाव दिख रहे हैं, वे सब मध्यावधि चुनाव नतीजों के बाद के हैं। अमेरिकी मध्यावधि चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। ख़ासकर ट्रम्प द्वारा समर्थित उम्मीदवारों का तो प्रदर्शन और ख़राब रहा है। कहा जा रहा है कि इसके बाद ही मर्डोक के दक्षिणपंथी मीडिया साम्राज्य का मोहभंग हुआ है क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति की प्रतिष्ठा, लोकप्रियता और राजनीतिक ताक़त घटती हुई जान पड़ती है।

पिछले हफ्ते मर्डोक का प्रभावशाली मीडिया साम्राज्य- दक्षिणपंथी झुकाव वाले फॉक्स न्यूज, द वॉल स्ट्रीट जर्नल और न्यूयॉर्क पोस्ट ने ट्रम्प की आलोचना की। इन समूहों ने उन्हें हारा हुआ व फ्लॉप क़रार दिया और रिपब्लिकन को एक के बाद एक राजनीतिक विफलता में धकेलने के लिए ज़िम्मेदार बताया।

जिस तरह की प्रतिक्रिया मर्डोक और उनके मीडिया साम्राज्य की ओर से आ रही है कुछ वैसे ही संकेत ट्रम्प की ओर से भी आए हैं। गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार ट्र्रंप ने अमेरिका में मंगलवार की रात भाषण में मर्डोक पर 44 वर्षीय डेसांटिस का पूरी तरह समर्थन करने का आरोप लगाया। ड्रंप ने डेसांटिस को औसत रिपब्लिकन गवर्नर कहा है और उनको 'रॉन डीसैंक्टिमोनियस' उपनाम से पुकारा। अख़बार ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि न्यूज कॉर्प के सह-अध्यक्ष और फॉक्स न्यूज की मूल कंपनी चलाने वाले लैकलन मर्डोक ने कथित तौर पर डेसांटिस से कहा है कि अगर वह अगले चुनाव में खड़े होते हैं तो समूह उनका समर्थन करेगा। 

 - Satya Hindi

ट्रंप को लेकर ऐसी बातें इसलिए चल रही हैं कि हाल ही में मध्यावधि चुनाव परिणाम में रिपब्लिकन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और इसके लिए ट्रंप को ही दोषी ठहराया जा रहा है। दो बार महाभियोग का सामना करने वाले पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से उनकी पार्टी के समर्थकों का ही मोहभंग होने लगा है। अब पहले से कहीं अधिक रिपब्लिकन अपनी पार्टी को ट्रम्प से आगे बढ़ने का आह्वान कर रहे हैं। 

ट्रम्प को उदारवादी रिपब्लिकन और निर्दलीय उम्मीदवारों से एक कड़ी चुनौती मिल सकती है। ऐसा इसलिए कि कुछ और रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आगे आ सकते हैं। खासकर फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसांटिस का नाम इसके लिए चल रहा है।

ट्रम्प के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस की भी अलग राय है। वह अपने खुद के एक अभियान पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने इस सप्ताह ही एबीसी को बताया था कि 'भविष्य में हमारे पास बेहतर विकल्प होंगे।' तो क्या इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रंप के आने वाले दिन अच्छे नहीं लगते? 

वैसे, कहा जाता है कि ट्रंप के बुरे दिन तो तभी शुरू हो गए थे जब पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उनकी हार हुई थी। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी थी। इस बीच वहाँ कैपिटल हिल बिल्डिंग हिंसा हुई थी। इसके लिए ट्रंप को ज़िम्मेदार माना गया था। 

यूएस कैपिटल पर भीड़ के हमले की जांच कर रहे एक कांग्रेस पैनल ने इसी साल जून में कहा था कि तब चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ट्रंप ने सत्ता में बनने रहने के लिए तख्तापलट की कोशिश की थी। इसने यह भी कहा कि तब ट्रंप ने अपने कथित भड़काऊ बयान से अपने समर्थकों की भीड़ को इकट्ठा किया और 'हमले के लिए भड़काया'। 

बता दें कि पिछले साल 6 जनवरी को चुनाव में डोनल्ड ट्रंप के हार न मानने के कारण हिंसा हुई थी। उसमें कम से कम 5 लोग मारे गए थे और कई घायल भी हुए थे। इस घटना के बाद ट्रंप की चौतरफा आलोचना हुई थी। पर बाद में उनकी लोकप्रियता बढ़ने की बात कही गई थी। लेकिन अब हालात फिर से उनके विपरीत नज़र आते हैं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें