क्या टीएमसी पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर लड़ना चाहती है लोकसभा चुनाव?
लोकसभा चुनाव में अब जबकि कुछ महीने भी बचे हुए हैं वहीं भाजपा को हराने के नाम पर बने इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर अब तक घटक दलों के बीच समझौता नहीं हुआ है। इंडिया गठबंधन के लिए सब से ज्यादा परेशानी सीट बंटवारे में हो रही है उसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस या टीएमसी सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। वहां लगातार ऐसे सकेंत दे रही है कि उसके मन के मुताबिक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ तो वह अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ सकती है।
टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मुर्शिदाबाद जिले के पार्टी नेताओं के साथ एक मुलाकात में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी ने यहां सीट बंटवारे और लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं से कहा कि अगर टीएमसी को प्राथमिकता नहीं दी गई तो राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर टीएमसी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
सूत्रों ने बताया है कि उन्होंने कहा, इंडिया गठबंधन का पश्चिम बंगाल में सबसे महत्वपूर्ण भागीदार टीएमसी है। अगर सीटों के बंटवारे में पश्चिम बंगाल में अन्य पार्टियों को हमसे ज्यादा तवज्जो दी गई तो हम अपना रास्ता खुद बनाएंगे और राज्य की सभी 42 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
टीएमसी कांग्रेस को मात्र दो सीट देना चाहती है
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक टीएमसी मानती है कि कांग्रेस का पश्चिम बंगाल में सीमित जनाधार है। वह उसे मात्र दो लोकसभा सीट ही देना चाहती है। ये दोनों सीटें ऐसी हैं जिन्हें कांग्रेस पूर्व में जीत चुकी है और यहां उसकी पकड़ भी है।टीएमसी का मानना है कि इससे ज्यादा सीट देने पर कांग्रेस खुद तो हारेगी ही साथ ही उसे भी इसका नुकसान झेलना पड़ेगा और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। उन्होंने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में अकेले ही चुनाव लड़ने का संकेत दिया था। वह कह चुकी हैं कि बंगाल में भाजपा से मुख्य मुकाबला टीएमसी से ही है। ममता बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें देने पर अड़ी हुई हैं। वह हर हाल में कांग्रेस को इससे ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं हैं।
माना जा रहा है कि ममता यह बात समझ चुकी हैं कि इंडिया गठबंधन में उन्हें या उनकी पार्टी को कोई बड़ा फायदा होने वाला नहीं है। कांग्रेस का बंगाल में कोई बड़ा जनाधार है नहीं। पिछले लोकसभा चुनाव में दो सीटें पर ही वह 30 प्रतिशत तक वोट ला पाई थी।
बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी और राज्य कांग्रेस के बीच पहले ही जबानी जंग चल रही है। हाल के दिनों में कांग्रेस के बंगाल से आने वाले बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी ने कई मौके पर बंगाल की ममता सरकार पर हमला बोला है। वह अक्सर ही ममता सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। माना जा रहा है कि उनके हालिया बयानों के कारण भी कांग्रेस और टीएमसी के बीच दूरियां बढ़ी है।
इंडिया गठबंधन की पिछली वर्चुअल बैठक में ममता बनर्जी अनुपस्थित रही थी। इसको लेकर भी कई सवाल उठे थे। तब से माना जा रहा है कि ममता बनर्जी कांग्रेस से नाराज चल रही हैं। वहीं राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि ममता दबाव की राजनीति कर रही हैं। वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को 2 सीटों से अधिक नहीं देने के लिए यह दबाव बना रही हैं।
दूसरी तरफ टीएमसी असम में इसके बदले कांग्रेस से सीट शेयर करने को कह रही है। टीएमसी और ममता बनर्जी अपनी नाराजगी को दिखा कर और अपने बयानों से कांग्रेस को संदेश देना चाह रही हैं कि इंडिया गठबंधन में अब उनकी कोई बहुत ज्यादा रुचि नहीं है।
इंडिया गठबंधन के बेहद अहम हिस्से टीएमसी और इसकी सुप्रीमो ममता बनर्जी की नाराजगी कांग्रेस के लिए चिंता की बात हो सकती है। ऐसे में अब देखना होगा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में टीएमसी से कैसे डील करती है।