नये आईटी नियम अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरोधी: मीडिया एसोसिएशन
देश के 13 बड़े मीडिया संस्थानों के संघ ने कहा है कि नये आईटी नियम क़ानून के ख़िलाफ़ हैं और ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरोधी हैं। इसने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की है और इस पर कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है। इस पर जवाब देने के लिए तीन हफ़्ते का समय दिया गया है।
मीडिया के इस संघ डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन यानी डीएनपीए ने कोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इसने कोर्ट से कहा है कि आईटी नियम 2021 संविधान में मिली समानता एवं बोलने, अभिव्यक्ति और व्यवसाय चुनने की आज़ादी का उल्लंघन करते हैं।
कोर्ट में याचिका दायर करने वाले डीएनपीए का गठन 2018 में किया गया था। इसमें एबीपी नेटवर्क, अमर उजाला, दैनिक भास्कर कॉर्प, एक्सप्रेस नेटवर्क, एचटी डिजिटल स्ट्रीम, आईई ऑनलाइन मीडिया सर्विसेज (द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का हिस्सा), जागरण प्रकाशन, लोकमत मीडिया, एनडीटीवी कन्वर्जेंस, टीवी टुडे नेटवर्क, मलयाला मनोरमा, टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड और उषोदय एंटरप्राइजेज शामिल हैं। मुकुंद पद्मनाभन, द हिंदू और द हिंदू बिजनेस लाइन के पूर्व संपादक भी डीएनपीए के साथ के याचिकाकर्ता हैं।
डीएनपीए ने जिन आधारों पर नये आईटी नियम 2021 को चुनौती दी है उनमें से एक यह भी है कि ये पहले के आईटी एक्ट 2000 का उल्लंघन करते हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार डीएनपीए ने कहा है कि नियम 2000 के आईटी अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाली संस्थाओं के संचालन को नये नियम 2021 क़ानून के दायरे में लाने का प्रयास करते हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि ये नये नियम पारंपरिक मीडिया संगठनों पर अति-विनियमन का बोझ थोपते हैं। वे आईटी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
इसने यह भी कहा है कि ये नये नियम अस्पष्ट आधारों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आज़ादी पर अंकुश लगाने की कोशिश करते हैं। डीएनपीए ने कहा है कि इन नये नियमों से 'निगरानी और भय' का माहौल बनने की आशंका होगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि डीएनपीए अख़बार और टेलीविज़न प्रकाशन के पारंपरिक मीडिया का प्रतिनिधित्व करता है जिन्होंने अब ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम में अपना विस्तार किया है। इसने दलील दी है कि इसी कारण इसे सिर्फ़ डिजिटल रूप में ही समाचार और सामग्री प्रसारण करने वाले के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इसने कहा है कि डीएनपीए सदस्यों को आईटी नियम 2021 के तहत जबरन नियम मनवाने का मतलब है कि इनको अति-विनियमन से गुजरना पड़ेगा।
बता दें कि नये आईटी नियमों के ख़िलाफ़ डीएनपीए की यह याचिका 9वीं ऐसी याचिका है। पाँच याचिकाएँ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई हैं। मद्रास और केरल हाई कोर्टों में दो-दो याचिकाएँ और कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। हाल ही में वाट्सऐप ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि नये आईटी नियमों के तहत किसी मैसेज को सबसे पहले पोस्ट करने वाले को ट्रेस करने का मतलब होगा कि प्रिवेसी यानी निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।