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अपनी जमीन के हर इंच की लड़ाई लड़ेंगे: यूक्रेन

अपनी जमीन के हर इंच की लड़ाई लड़ेंगे: यूक्रेन

रूस के लुहान्स्क और दोनेत्स्क को मान्यता देने के बाद यह संकट काफी बड़ा हो गया है। रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं हालांकि अमेरिका ने कहा है कि इस मामले में कूटनीतिक दरवाजे अभी भी खुले हुए हैं। 

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा है कि उनके देश की पहली योजना इस संकट को कूटनीतिक ढंग से हल करने की है। जबकि जो दूसरी योजना है उसके तहत उनका देश अपनी जमीन के हर इंच, हर शहर और हर गांव के लिए लड़ाई लड़ेगा।

कुलेबा इस मामले को लेकर लगातार अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के संपर्क में हैं। कुलेबा ने यूक्रेन पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी। 

बता दें कि रूस के द्वारा अलगाववादी इलाकों- लुहान्स्क और दोनेत्स्क को आजाद देश की मान्यता देने के बाद यह संकट काफी बड़ा हो गया है। कनाडा ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं और अमेरिका ने भी इन नए देशों के साथ निवेश व व्यापार न करने का फैसला किया है। 

हालांकि अमेरिका ने कहा है कि इस मामले में कूटनीतिक दरवाजे अभी भी खुले हुए हैं और वह कभी भी इन्हें पूरी तरह बंद नहीं करेगा। 

इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर शांति वार्ता को तोड़ने का आरोप लगाया और कहा था कि यूक्रेन शांति का पक्षधर है। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन अपनी जमीन नहीं छोड़ेगा। 

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि रूस को पश्चिम से किसी तरह की वित्तीय मदद नहीं मिलेगी। बाइडेन ने कहा है कि अगर रूस युद्ध की ओर बढ़ता है तो उस पर और प्रतिबंध लगाए जाएंगे। यूरोपियन यूनियन ने भी रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं।

पूर्वी यूक्रेन के लुहान्स्क और दोनेत्स्क इलाकों में रहने वाले लोग रूस के समर्थक हैं। इन्हें यूक्रेन में अलगाववादी भी कहा जाता है क्योंकि ये चाहते हैं कि यूक्रेन रूस का हिस्सा बन जाए। ये दोनों ही इलाके रूस और यूक्रेन की सीमा के बिल्कुल नजदीक हैं और 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था तब से ही इन इलाकों में अलगाववादी नेताओं ने अपनी आवाज तेज कर दी थी।

रूस इन इलाकों में अलगाववादी नेताओं और ताकतों को समर्थन देता रहा है। इन इलाकों में रूसी राष्ट्रवाद की भावना बहुत ज्यादा है और दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक ने तो साल 2021 से हर साल 12 जून को रशिया डे मनाने की घोषणा की थी। 

रूस अपनी जिद पर अड़ा हुआ है कि यूक्रेन को नैटो का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि इस तरह का कोई भी प्रस्ताव अभी नहीं है लेकिन पुतिन इस बात की गारंटी चाहते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए वरना वह कोई कार्रवाई करने को मजबूर होंगे।

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