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मनी लॉन्ड्रिंग केस: कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार गिरफ़्तार

मनी लॉन्ड्रिंग केस: कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार गिरफ़्तार

कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता डीके शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मंगलवार को गिरफ़्तार कर लिया है। उनपर आरोप है कि उन्होंने सात करोड़ रुपये की ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ की है और वह पूछताछ में 'सहयोग' नहीं कर रहे थे।

कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता डीके शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मंगलवार को गिरफ़्तार कर लिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सात करोड़ रुपये की ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ की यानी यह पैसा ग़लत तरीके से विदेश भेजा और पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे। गणेश चतुर्थी के दिन भी उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था। शिवकुमार ने सफ़ाई दी थी कि उन्होंने किसी से एक पैसा भी नहीं लिया है। उन्होंने कल कहा था, ‘गणेश चतुर्थी के मौक़े पर जिस पिता ने मुझे ज़िंदगी दी मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देना चाहता था। लेकिन न तो बीजेपी और न ही ईडी मुझे इतना करने की भी अनुमति दे रही है।’ बता दें कि डीके शिवकुमार से ईडी तीन बार पूछताछ कर चुकी है। इससे पहले शुक्रवार को भी उनसे पूछताछ की गई थी।

डीके शिवकुमार अभी तक तीन बार ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश हो चुके हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने सात करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की है। डी के शिवकुमार से मनी लॉड्रिंग के एक मामले में शुक्रवार को ईडी ने चार घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। अधिकारियों ने बताया था कि धनशोधन रोकथाम कानून के तहत शिवकुमार का बयान दर्ज कर लिया गया है। जाँच अधिकारी ने उन्हें सोमवार को फिर से बयान दर्ज कराने के लिए कहा था।

याद दिला दें कि शिवकुमार कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर थे। राज्य में जब सत्ता परिवर्तन से जुड़ा संकट आया तो भारतीय जनता पार्टी ने उन पर आरोप लगाया था कि वह निष्पक्ष नहीं हैं और कांग्रेस की मदद कर रहे हैं। उन्होंंने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था। बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया था। 

प्रवर्तन निदेशालय ने 2017 के अगस्त महीने में शिवकुमार के ठिकानों पर छापे मारे थे। उस समय यह कहा गया था कि उनके यहाँ से 300 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे, जिसके बारे में वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए थे। वह उस समय बंगलुरू के एक लग्ज़री होटल में टिके हुए थे और पार्टी के 43 विधायकों पर नज़र रखे हुए थे। गुजरात में राज्यसभा चुनाव होने थे और कांग्रेस को आशंका थी कि उसके लोग पाला बदल सकते हैं। 

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