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टिकट बंटवारे के बाद उत्तराखंड बीजेपी में घमासान

टिकट बंटवारे के बाद उत्तराखंड बीजेपी में घमासान

बग़ावत की खबरों के बाद बीजेपी नेतृत्व सक्रिय हो गया है। उत्तराखंड में पार्टी के बड़े नेताओं को टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

टिकट बंटवारे के बाद उत्तराखंड बीजेपी में कई नेता बगावत पर उतर आए हैं। पार्टी की ओर से 59 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है तो कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। 

उत्तराखंड में दो मंडल हैं। कुमाऊं और गढ़वाल। पहले बात करते हैं कुमाऊं के इलाके की। कुमाऊं में नैनीताल सीट से टिकट मांग रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी दिनेश आर्य बेहद नाराज हैं। दिनेश आर्य नैनीताल सीट से टिकट मांग रहे थे लेकिन उनकी जगह चंद दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आईं सरिता आर्य को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। दिनेश आर्य का कहना है कि वे पिछले तीन दशक से पार्टी की सेवा कर रहे हैं लेकिन उनकी मेहनत को नजरअंदाज किया जाता रहा है। इस सीट से टिकट मांग रहे वरिष्ठ नेता हेम आर्य ने भी निर्दलीय लड़ने का एलान कर दिया है। 

नैनीताल से लगती भीमताल विधानसभा सीट से दावेदारी करने वाले मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष मनोज साह ने समर्थकों के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है और निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। बीजेपी ने भीमताल सीट से कुछ महीने पहले पार्टी में आए विधायक राम सिंह कैड़ा को उम्मीदवार बनाया है। धारचूला सीट से धन सिंह धामी को पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने पर कई पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। 

गंगोलीहाट से विधायक मीना गंगोला का भी टिकट कट गया है और इससे नाराज होकर कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ दी है। बागेश्वर जिले की कपकोट विधानसभा सीट से सुरेश गढ़िया को बीजेपी का टिकट मिलने के विरोध में कई कार्यकर्ताओं के इस्तीफा देने की बात सामने आई है। सुरेश गढ़िया पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बेहद करीबी हैं और माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। 

द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी ने भी टिकट काटे जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। महेश नेगी का नाम बलात्कार के मामले में सामने आया था और उनका टिकट कटने के पीछे यही वजह मानी जा रही है। 

कुमाऊं के तराई वाले इलाकों में पड़ने वाली सीटों जैसे काशीपुर और गदरपुर में भी टिकट बंटवारे के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

अब बात करते हैं गढ़वाल मंडल की। यहां देवप्रयाग सीट से टिकट मांग रहे मगन सिंह बिष्ट ने टिकट न मिलने पर बीजेपी छोड़ दी है और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। चमोली जिले की कर्णप्रयाग सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता टीका प्रसाद मैखुरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का एलान किया है। पार्टी नेता दर्शन लाल भी घनसाली सीट से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। 

यमुनोत्री सीट से टिकट मांग रहे जगवीर भंडारी और गंगोत्री सीट से टिकट मांग रहे पवन नौटियाल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

 - Satya Hindi

‘द इकनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक़, थराली सीट से विधायक मुन्नी देवी ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को बताना चाहिए कि उनका टिकट क्यों काटा गया। उन्होंने कहा कि उनके बजाए कांग्रेस की पृष्ठभूमि से आने वाली उम्मीदवार को टिकट दे दिया गया। 

नरेंद्र नगर सीट से टिकट मांग रहे गोपाल रावत को भी टिकट नहीं मिला है और वह कांग्रेस में जाने की कोशिश में हैं। धनोल्टी सीट से प्रीतम सिंह पंवार को बीजेपी का टिकट मिलने से पूर्व विधायक महावीर रांगड़ नाराज हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में है।

पार्टी नेतृत्व सक्रिय

नाराजगी की खबरों के सामने आने के बाद पार्टी नेतृत्व सक्रिय हो गया है। उत्तराखंड में पार्टी के बड़े नेताओं को टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

उत्तराखंड में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला है और ऐसे में टिकट बंटवारे में दोनों ही दल फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं। दोनों ही दलों को भितरघात का डर है और इस वजह से उनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ने की पूरी संभावना है। 

देखना होगा कि बीजेपी बगावत करने वाले नेताओं को किस तरह मनाती है।

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