बीजेपी में जाना ग़लत नहीं, कंसल्टेंट के हाथों में है टीएमसी: त्रिवेदी
शुक्रवार को राज्यसभा में भाषण के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़ने का एलान करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा है कि बीजेपी में शामिल होने में कुछ भी ग़लत नहीं है। एनडीटीवी से बातचीत में त्रिवेदी ने कहा कि टीएमसी अब पहले जैसी नहीं रही और उसकी आत्मा जा चुकी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी में जाना ग़लत नहीं है और यह गर्व की बात होगी।
त्रिवेदी ने कहा कि टीएमसी में करोड़ों रुपये कंसल्टेंट को दिए जा रहे हैं और अब यह पार्टी कंसल्टेंट की पार्टी बनकर रह गई है। वहीं, टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने त्रिवेदी के इस्तीफ़े को लेकर एनडीटीवी से कहा कि यह पार्टी के लिए कोई झटका नहीं है। रॉय ने कहा कि त्रिवेदी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे रिश्ते हैं।
त्रिवेदी ने राज्यसभा में भाषण के दौरान कहा था कि उन्हें टीएमसी में घुटन हो रही है क्योंकि वे कुछ कर नहीं कर पा रहे हैं और इससे अच्छा है कि पार्टी छोड़ दें।
त्रिवेदी ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा था कि आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है और कोरोना काल में सरकार ने बेहतर काम किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था, “जिस तरह से बंगाल में हिंसा हो रही है, ऐसे में मुझे यहां बैठे-बैठे बड़ा अजीब लगता है। मुझसे देखा नहीं जा रहा है और मैं पार्टी को इसके लिए धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे राज्यसभा में भेजा।” उन्होंने कहा, “मेरी आत्मा यह कह रही है कि अगर आप यहां बैठे-बैठे कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो इस्तीफ़ा दो और बंगाल की भूमि में लोगों के बीच जाओ।”
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि अगर त्रिवेदी बीजेपी में आते हैं तो वे उनका स्वागत करेंगे।
ममता को कई झटके
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह एक और झटका है। कुछ दिन पहले ही कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला और राजीव बनर्जी ने इस्तीफ़ा दे दिया। इससे पहले शुभेंदु अधिकारी, उनके सांसद भाई और पिता के जाने से पहले ही ममता को जोरदार झटका लग चुका है। इसके अलावा भी कई विधायक ममता बनर्जी का साथ छोड़ चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के आला नेताओं के तूफानी दौरों के जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जनसभाओं, रैलियों के जरिये लोगों तक पहुंच रही हैं। लेकिन पार्टी छोड़ रहे नेता उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। टीएमसी छोड़ने वालों की लाइन लगी हुई है। एक महीने के भीतर कई मंत्री, विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं।