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मैनपुरी: सपा से डिंपल लड़ेंगी; बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार?

मैनपुरी: सपा से डिंपल लड़ेंगी; बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार?

डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से हार मिली थी। डिंपल कन्नौज से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं। क्या वह मैनपुरी में जीत पाएंगी?

समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में पूर्व सांसद डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है। बताना होगा कि डिंपल यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है। 

उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के अलावा रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने मिलकर उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मैनपुरी और खतौली में 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और 8 दिसंबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। 

पहले यह कहा जा रहा था कि सपा तेज प्रताप सिंह यादव को यहां से चुनाव मैदान में उतार सकती है। तेज प्रताप सिंह यादव मुलायम सिंह यादव के भाई रतन सिंह यादव के पोते और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। तेज प्रताप यादव ने 2014 में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीते थे। 

मैनपुरी सीट कई दशकों से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। मुलायम सिंह यादव साल 1996 में पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2004, 2009 और 2019 में भी उन्होंने इस सीट से चुनाव जीता था। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक होने के साथ ही उत्तर प्रदेश के बड़े नेता भी थे इसलिए सपा को इस सीट पर सहानुभूति के वोट भी मिलेंगे। 

डिंपल का राजनीतिक करियर

डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से हार मिली थी। डिंपल कन्नौज से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं। 

 - Satya Hindi

अब सभी की नजरें इस बात पर लगी हैं कि बीजेपी यहां किस नेता को उम्मीदवार बनाएगी। कहा जा रहा है कि बीजेपी मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव को यहां से उम्मीदवार बनाना चाहती है। इसके अलावा इटावा के पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य, विधायक ममताश शाक्य, प्रेम सिंह शाक्य के नामों पर भी चर्चा चल रही है। 

बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से सपा से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। 2019 में मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे। 

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 94000 वोटों से हार मिली थी और अब बीजेपी रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद मैनपुरी में भी जीतना चाहती है।

मैनपुरी लोकसभा सीट की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव 2022 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस सीट पर आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से 2 बीजेपी के पास हैं इसलिए बीजेपी भी यहां चुनावी लड़ाई में कमजोर नहीं है। बीजेपी इस बात को लेकर लगातार मंथन कर रही है कि वह ऐसे किस नेता को उम्मीदवार बनाए जो मैनपुरी में कमल खिला सके। 

35 फीसदी यादव मतदाता 

मैनपुरी की सीट पर 35 फीसदी यादव मतदाता हैं जबकि अन्य 65 फीसदी में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। निश्चित रूप से इस सीट पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। मैनपुरी से लेकर इटावा, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद तक यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। 

2024 के लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का वक्त है और उससे पहले मैनपुरी, खतौली और रामपुर के नतीजे उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की सियासी जमीन कितनी मजबूत है, इस बारे में भी बताएंगे। 

देखना होगा कि मैनपुरी में बीजेपी और सपा में से बाजी किसके हाथ लगती है।  

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