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'पीएम आवास' का घर तोड़ने पर दिग्विजय का धरना, अब भरपाई होगी?

'पीएम आवास' का घर तोड़ने पर दिग्विजय का धरना, अब भरपाई होगी?

मध्य प्रदेश के सागर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने दलितों को घरों को क्यों तोड़ा गया? जानिए कलेक्टर ने अब क्या भरपाई करने की बात कही है।

मध्य प्रदेश के सागर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने घरों को तोड़ने पर सियासत गर्म है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को तब तक धरना दिया जब तक कि जिले के कलेक्टर ने मौक़े पर पहुंचकर दिग्विजय सिंह को लिखित में आश्वस्त नहीं कर दिया कि पूरे मामले की जांच कराने के साथ ही दोषी पाये जाने वालों पर एफआईआर की जायेगी। सिंह ने कलेक्टर से यह भी लिखवाकर लिया कि जब तक घर दोबारा नहीं बन जाते तब तक बारिश के मौसम में बेघर किए गए लोगों के रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था जिला प्रशासन करेगा।

सागर जिले की सुरखी विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा यह पूरा मामला बेहद दिलचस्प है। दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बाद ही यह सुर्खियों में आया। आरोप है कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा गांव में बुधवार को करीब 16 दलित और आदिवासी परिवारों के मकानों पर बुलडोजर चलवा दिए गए। वन विभाग की अगुवाई में पूरी कार्रवाई हुई। जब बुलडोजर चलाया गया तब राजस्व महकमे के साथ बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात रहा।

यह भी आरोप है कि बारिश का दौर आरंभ हो जाने के बीच घर तोड़े जाने का लोग विरोध करते रहे। किसी की भी नहीं सुनी गई। कार्रवाई करने वाले बताते रहे कि वे अतिक्रमणों को हटा रहे हैं। नोटिस के बारे में पूछने या जारी करने संबंधी बार-बार किए गए सवालों का जवाब पीड़ितों एवं कार्रवाई का विरोध करने वालों को नहीं मिला।

जो घर अतिक्रमण और सरकारी जमीन पर बना लेने के आरोपों को लेकर तोड़े गए, उनमें आधा दर्जन वह घर भी शामिल रहे, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वयं राज्य की सरकार ने बनवाया था। दिग्विजय सिंह ने रैपुरा गांव पहुंचकर उन पीड़ितों से बात की और इसके बाद उनकी समस्याओं को लेकर धरने पर बैठ गए। पीड़ितों का दावा था, ‘दो और तीन पीढ़ियों से वे क्षेत्र में रह रहे हैं। पट्टे हैं। पांच दशक से ज्यादा समय से रहने के दौरान हर प्रकार की सुविधाएं सरकारें देती रही हैं। अचानक अतिक्रमण बताकर बिना नोटिस मकानों पर बुलडोजर चलवाकर ऐन बारिश में लोगों को आसमान के नीचे ला खड़ा कर दिया गया है।’

दिग्विजय सिंह के धरने पर बैठने और मीडिया के जमावड़े की सूचना मिलते ही अफसर मौक़े पर पहुँचे। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘वे केवल और केवल कलेक्टर से बात करेंगे।’ जिले के कलेक्टर दीपक आर्य मौके पर पहुंचे। बातचीत के जरिये दिग्विजय सिंह को मनाने एवं धरने से उठवाने का प्रयास किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, ‘वे पांच आश्वासन लिखित में मिल जाने के बाद ही धरने से उठेंगे।’ इसके बाद कलेक्टर ने पांच आश्वासन लिखकर दिए तब कहीं सिंह धरने से उठे। 

कलेक्टर द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन को दिग्विजय सिंह के साथ धरने पर मौजूद एक युवक ने पढ़कर सुनाया। कलेक्टर ने जब साइन किया हुआ ‘दस्तावेज’ प्रदर्शन में शामिल शख्स को दिया।

ये पांच लिखित आश्वासन दिए गए

  • वन विभाग ने 21 जून 2023 को जिन मकानों को तोड़ा है और मकान तोड़े जाने से जो लोग आवासहीन हो गए हैं, उनके रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्थाएं तब तक प्रशासन करेगा जब तक कि बेघरों के नए घर नहीं बन जाते हैं।
  • जिनके घर तोड़े गए हैं उन्हें जमीन दी जायेगी और प्रधानमंत्री आवास योजना के समतुल्य घर बनवाकर दिए जायेंगे।
  • अतिक्रमण हटाये जाने के नाम पर जिन लोगों की संपत्ति छिन्न-भिन्न और टूट-फूट गई है, उसकी क्षतिपूर्ति की जाएगी।
  • वन विभाग की जमीन पर जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है उनकी सूची जिला प्रशासन सार्वजनिक करेगा। सर्वे सूची को भी सार्वजनिक किया जायेगा। 
  • वन विभाग के रेंजर लाखन सिंह ठाकुर के विरूद्ध अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत एफ़आईआर की मांग शिकायती आवेदन की जांच उपरांत एवं उनके दोषी पाये जाने पर नियमानुसार की जायेगी।

सिंधिया समर्थक मंत्री पर साधा निशाना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक मंत्री और सुरखी से भाजपा के विधायक गोविंद सिंह राजपूत को निशाने पर लेते हुए एक ट्वीट भी किया।

अपने ट्वीट में सिंह ने कहा, ‘मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निर्देश पर मकान केवल इसलिए गिराए गए, क्योंकि ये लोग (जिनके घर तोड़े गए) मंत्री से डरते नहीं हैं।’ दिग्विजय सिंह ने पीड़ितों के लिए उचित मुआवजे के साथ ही प्लॉट और नए मकान बनने तक अस्थाई इंतजाम करने की मांग की। गुरुवार देर शाम इस पूरे मामले में रेंजर लखन सिंह ठाकुर को सस्पेंड कर दिया गया। 

उधर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा, ‘मैंने दिग्विजय सिंह का ट्वीट देखा। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कुछ मकान तोड़े गए हैं, जो कि दलितों के हैं। मैंने कलेक्टर-डीएफओ से बात की तो डीएफओ ने बताया कि वन विभाग की जगह पर अवैधानिक तरीके से बनाए गए घरों को अतिक्रमण के तहत हटाया गया।’ 

सफाई देते हुए गोविंद सिंह राजपूत ने यह भी कहा, ‘मैंने कहा, उनका सही नाप किया जाए फिर से देखा जाए। अगर उनके पास जगह नहीं है, तो उनको पट्टे दिए जाएं, उनको भी विस्थापित किया जाए।’

दक्षिण वन मंडल के डीएफओ ने कहा, ‘ग्राम रैपुरा में वन विभाग की भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है। बुधवार को वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस अमले ने संयुक्त रूप से यह कार्रवाई की।’

डीएफओ ने दावा किया, ‘वन भूमि पर अवैध रूप से काबिज़ लोगों को हटाने संबंधी यह कार्रवाई बीते एक वर्ष से चल रही थी। इन लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 27 पी धारा भी दर्ज किया गया था। धारा सी का नोटिस भी दर्ज दिया गया था। कई बार नोटिस दिए गए, उन्हें स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया था। नहीं माने तो हटा दिया गया।’

दिग्विजय सिंह के रैपुरा पहुंचने से पहले मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बडे़ भाई और सागर जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत भी रैपुरा गांव पहुंचे। बताया गया है कि उन्होंने पीड़ित परिवारों से कहा, ‘गरीबों के मकान टूट रहे और हमें पता नहीं चल पाया। दिग्विजय सिंह तक खबर पहुंच गई। तुम लोगों की सेटिंग तो नहीं?’

दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा, ‘शासकीय योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान बनते रहे, तब प्रशासन क्यों सोता रहा? क्या भाजपा के नेताओं के मकान शासकीय भूमि पर नहीं बने? उन पर बुलडोजर क्यों नहीं चला? यह गरीब अनुसूचित जाति के साथ घोर अन्याय है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।’

अत्याचारी हो गई है सरकार: कमल नाथ

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘शिवराज सरकार ने दलित समुदाय के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया है, इससे स्पष्ट है कि यह सरकार निरंकुश होने के साथ ही अन्यायी, अत्याचारी और अमानुष  हो गई है।’

बसपा के नेशनल को-ऑर्डिनेटर एवं राज्यसभा सांसद रामजी गौतम ने ट्वीट कर कहा, ‘शिवराज जी, दलित और कुछ और गरीबों के लगभग 20 मकान आपने तुड़वा दिए। अब यह गरीब इस बरसात में कहां जाएंगे? क्या यही आपका दलित और गरीबों के प्रति प्रेम है? पचास साल से इनकी बसावट थी वहां पर। जवाब दीजिए, यह लोग अब कहां जाएं। इंसाफ चाहिए।’

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