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सेंगोलः धर्मपुरम अधीनम के साधु दिल्ली क्यों आ रहे हैं, क्या है राजनीति

सेंगोलः धर्मपुरम अधीनम के साधु दिल्ली क्यों आ रहे हैं, क्या है राजनीति

नया संसद भवन, सेंगोल विवाद की वजह से तमिलनाडु का धर्मपुरम अधीनम मठ भी चर्चा में आ गया है। इसके 21 साधु संत कल रविवार को उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी के साथ मौजूद होंगे। लेकिन इस मठ से जुड़े विवाद को भी जानिए और यह मठ बीजेपी-आरएसएस के नेताओं के इतना करीब कैसे आया। सत्य हिन्दी की विशेष रिपोर्टः

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में कल रविवार को धर्मपुरम अधीनम समूह के 21 साधु संत पीएम मोदी के साथ कार्यक्रम में दिखाई देंगे।  मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी राजदंड सेंगोल प्रधानमंत्री मोदी को भेंट करेंगे। धर्मपुरम अधीनम के संत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विशेष उपहार पेश करेंगे। आखिर धर्मपुरम अधीनम क्या है, कौन हैं ये लोग और तमिलनाडु की राजनीति में किस तरह विवाद में रहे हैं इसके लोग। बीजेपी-आरएसएस की गतिविधियां बता रही हैं कि बीजेपी धर्मपुरम अधीनम के जरिए तमिलनाडु के हिन्दुओं में अपनी जगह बनाना चाहती है। तमिलनाडु के हिन्दू अभी सत्तारूढ़ डीएमके, विपक्षी दल एआईए़डीएमके और कुछ हद तक डीएमके के सहयोगी कांग्रेस के साथ जुड़े हुए हैं। भाजपा वहां कहीं नहीं है।

शैव सिद्धांतम की विचारधारा का प्रसार करने के लिए 16वीं शताब्दी के दौरान थिरुवदुथुरै अधीनम और थिरुप्पनंडल अधीनम के साथ अधीनम की स्थापना की गई थी। धर्मपुरम आधिनम तमिलनाडु के मयिलादुथुराई शहर में स्थित एक शैव मठ संस्था है। अधीनम के नियंत्रण में तमिलनाडु के 27 शिव मंदिर हैं।

धर्मपुरम अधीनम, पालअधीनम, विरुधचलम अधीनम, थिरुकोयिलुर अधीनम उन अधीनमों में शामिल हैं, जो समारोह में भाग लेने के लिए चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं।

यहां से शुरू होती है राजनीति

अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने पिछले साल माइलादुथुराई जिले में 'पट्टिना प्रवेशम' पर रोक लगा दी थी। एक पालकी में धर्मपुरम अधीनम के मठ प्रमुख को सिर पर चांदी का मुकुट लगाकर ले जाने की एक रस्म होती है यानी उन्हें किसी राजा-महाराज की तरह पालकी में बैठाकर मठ में ले जाया जाता है। इसी रस्म को पट्टिना प्रवेशम कहा जाता है। तमिलनाडु में बाकी जातियां इसके विरोध में हैं। सिर्फ सवर्ण हिन्दुओं का एक हिस्सा इस रस्म में शामिल होता है। इसलिए भारी जनविरोध को देखते हुए डीएमके सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सोने पर सुहागा ये हुआ कि इस प्रतिबंध से पहले तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने इस मठ का दौरा किया था। राज्यपाल से डीएमके सरकार के संबंध वैसे भी ठीक नहीं चल रहे हैं।

पट्टिना प्रवेशम रस्म पर रोक लगी तो तमिलनाडु बीजेपी और आरएसएस के नेता इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने जबरदस्त बयान देकर इस मुद्दे को हवा दे दी। प्रतिबंध को बीजेपी और आरएसएस ने डीएमके सरकार का राजनीतिक कदम बताया।बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने उस मई 2022 को दिए गए बयान में कहा कि बैन के पीछे राजनीति है। धर्मापुरम अधिनियम डीएमके विचारधारा के जन्म से पहले भी अस्तित्व में था, इसलिए, भाजपा इसे अपना पूरा समर्थन प्रदान करेगी।

अधीनम एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ शैव मठ है और धर्मपुरम अधीनम को 22 मई 2022 को समारोह करना था जब तमिलनाडु सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। धरमपुरम अधीनम श्रीलश्री मसिलमणि ज्ञानसंबंदा परमाचार्य स्वामीगल के वर्तमान पुजारी ने 13 दिसंबर, 2019 को मठ का कार्यभार संभाला था और उन्हें एक पालकी पर ले जाया गया ताकि उनके पदभार ग्रहण करने को चिह्नित किया जा सके।24 दिसंबर, 2019 को सीरकाज़ी के पास वैथिस्वरन कोविल में मठ द्वारा इसी तरह के एक अनुष्ठान का आयोजन किया गया था, जब पुजारी को एक पालकी में ले जाया गया था।

भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा 'पट्टिना प्रवेशम' कराने में सबसे आगे होगी और वह व्यक्तिगत रूप से पुजारी को पालकी में ले जाने के लिए तैयार हैं। अन्नामलाई ने दावा किया कि जब डीएमके नेता दिवंगत एम. करुणानिधि, स्टालिन के पिता मुख्यमंत्री थे, तब भी यही रस्म निभाई जाती थी। 

 - Satya Hindi

पिछले साल तमिलनाडु के गवर्नर आर एन रवि इस मठ में पहुंचे थे

अहमदाबाद मिरर के मुताबिक भाजपा के अलावा आरएसएस और अन्य हिन्दू संगठनों ने राज्य भर में बड़े पैमाने पर उस समय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने उस समय कहा था कि सरकार के फैसले के खिलाफ हम सभी समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ-साथ अन्य मठों और आध्यात्मिक केंद्रों का समन्वय करेंगे। यह हिंदुओं और रीति-रिवाजों के खिलाफ डीएमके सरकार की सोची समझी चाल है। हिंदू अब और उन्हें मनमानी की अनुमति नहीं देंगे। 

इसके बाद वैष्णव गुरु मन्नारगुडी श्री सेंदलंगारा जीयर ने डीएमके सरकार को सीधी धमकी दी। उस समय एक बयान में, उन्होंने कहा: "मैं तमिलनाडु की इस धर्मद्रोही सरकार को उनके हिंदू विरोधी कार्यों के लिए चेतावनी देता हूं। यदि वे हिंदू मान्यताओं और मंदिरों के कार्यों में हस्तक्षेप करेंगे तो हम मजबूती से जवाब देंगे।

भाजपा को फायदा मिला

पट्टिनम प्रवेशम के प्रतिबंध से भाजपा और आरएसएस को फायदा यह हुआ कि उसने धर्मपुरम अधीनम के पुजारियों में जगह बना ली। एक तरह का उनका गठबंधन हो गया। बताया जाता है कि राज्यपाल आर एन रवि की इसके पीछे मुख्य भूमिका रही। अब उन्हीं की वजह से केंद्र सरकार की नजर में यह मुद्दा और धर्मपुरम अधीनम की गतिविधियां सामने आईं। अब धर्मपुरम अधीनम, भाजपा और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। धर्मपुरम अधीनम के पुजारी और अन्य साधु संत इतना खुलकर कभी किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं आए थे। भाजपा दूरगामी राजनीति के तहत इस मठ के बहुत नजदीक आ चुकी है। केंद्र सरकार भी अब इस मठ को महत्व दे रही है। इस गुत्थी को समझना मुश्किल नहीं है। दूसरी तरह डीएमके प्रमुख स्टालिन सोशल जस्टिस की लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं। इस तरह तमिलनाडु में भी आने वाले समय में कट्टर हिन्दू राजनीति बनाम सोशल जस्टिस की राजनीति का टकराव देखने को मिल सकता है।

सरकार के मेहमान

धर्मपुरम अधीनम, पालअधीनम, विरुधचलम अधीनम, थिरुकोयिलुर अधीनम के जो 21 साधु संत दिल्ली आ रहे हैं और कल समारोह में शामिल होंगे, वे केंद्र सरकार के मेहमान हैं। रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन में ऐतिहासिक और पवित्र "सेंगोल" की स्थापना करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा था कि पवित्र सेंगोल अंग्रेजों से भारत में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। हालांकि इस पर विवाद है और तमाम दस्तावेजों से पता चल रहा है कि यह भारत में सत्ता ट्रांसफर का कभी प्रतीक नहीं रहा है। बल्कि यह राजतंत्र का प्रतीक है और भारत में प्रजातंत्र है।

बहरहाल, अमित शाह ने कहा था कि ऐतिहासिक "सेंगोल" को स्थापित करने के लिए संसद भवन सबसे उपयुक्त और पवित्र स्थान है। पीएम मोदी ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का फैसला लिया है।

नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी द्वारा राजदंड सेंगोल प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किया जाएगा। धर्मपुरम अधीनम के संत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विशेष उपहार पेश करेंगे। 

'सेंगोल' की स्थापना के बारे में थिरुवदुथुराई अधीनम के अम्बालावन देसिगा परमचार्य स्वामीगल ने कहा कि यह तमिलनाडु के लिए गर्व की बात है कि सेंगोल को इसका महत्व दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि "लॉर्ड माउंटबेटन को सेंगोल मिला और यह 1947 में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। यह अच्छा है कि पीएम मोदी नई संसद में सेंगोल को जगह देंगे। कल, हम दिल्ली जा रहे हैं और हम इसे पीएम को देंगे।"  

तिरुवदुथुराई अधीनम ने कहा कि यह तमिलनाडु के लिए "गौरव की बात" है कि न्याय के प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा, हालांकि "कुछ लोग झूठ फैला रहे हैं।" 

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