
धारावी परियोजना का टेंडर अडानी को देने में गड़बड़ी तो नहीं हुई? जानें SC का फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने धारावी झुग्गी पुनर्विकास परियोजना मामले में अडानी प्रॉपर्टीज को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट धारावी परियोजना का टेंडर अडानी प्रॉपर्टीज को दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सेक लिंक टेक्नोलॉजीज ने यह याचिका दायर की थी। यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फ़ैसले के ख़िलाफ़ है, जिसमें महाराष्ट्र सरकार के फ़ैसले को सही ठहराया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने पहले सेक लिंक को दिए गए टेंडर को रद्द कर इसे अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दोबारा जारी किया था।
बहरहाल, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। अपनी याचिका में सेक लिंक ने दो मुख्य मुद्दे उठाए हैं। पहला, पहले टेंडर का रद्द होना और दूसरा, नए टेंडर की शर्तें।
सेक लिंक को पहले टेंडर दिया गया था, लेकिन अनुबंध में बदलाव के कारण इसे रद्द कर दिया गया। नए टेंडर में रेलवे की 45 एकड़ जमीन को शामिल किया गया, जिसे सेक लिंक ने चुनौती दी। सेक लिंक का आरोप है कि दूसरा टेंडर खास तौर पर कुछ निश्चित बोलीदाताओं के पक्ष में तैयार किया गया, जिससे उसे बाहर कर दिया गया।
नोटिस जारी करते हुए अदालत ने कहा कि सेक लिंक 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश करने को तैयार है, जो मौजूदा सबसे बड़ी बोली से काफ़ी अधिक है। मौजूदा बोली अडानी ने लगाई है जो 5069 करोड़ रुपये है। कोर्ट ने इस पर नोटिस जारी करते हुए कहा, 'यह साफ़ है कि यह राशि अन्य दायित्वों को छोड़कर है, जिसमें सबसे बड़े बोलीदाता ने 1000 करोड़ रुपये लीज़ के लिए और 2,800 करोड़ रुपये न्यूनतम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में देने की सहमति दी है। याचिकाकर्ता इस संबंध में एक हलफनामा दायर करेगा।' नोटिस पर अगली सुनवाई 25 मई को हो सकती है।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सभी भुगतान एक एस्क्रो खाते के माध्यम से होंगे। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चूँकि मामला विचाराधीन है, अडानी केवल एक बैंक खाते से भुगतान करेगा और परियोजना के काम के लिए वितरण किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने चालान और बिलिंग भी ठीक से बनाए रखने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ़ किया कि चूंकि कुछ तोड़फोड़ का काम शुरू हो चुका है, इसलिए दोनों पक्षों में से कोई भी विशेष अधिकार का दावा नहीं कर सकेगा।
सेक लिंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने तर्क दिया कि उनकी कंपनी मौजूदा बोली (7,200 करोड़ रुपये) को 20% बढ़ाने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बढ़ी हुई राशि नए टेंडर की शर्तों के साथ ही दी जाएगी। दूसरी ओर, अडानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता को अब दूसरा मुद्दा उठाने से रोक दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि नए टेंडर के तहत विकास योजना शुरू हो चुकी है और रेलवे क्वार्टर भी तोड़े जा चुके हैं।
बता दें कि 20 दिसंबर, 2024 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडानी प्रॉपर्टीज को दिए गए टेंडर को बरकरार रखा था। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा था कि पहले टेंडर को रद्द करना और नया टेंडर जारी करना मनमाना या तर्कहीन नहीं था।
महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में पहला टेंडर जारी किया था। इसमें सेक लिंक ने 7,200 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी, जबकि अडानी की बोली 4,529 करोड़ रुपये थी। हालाँकि, 2020 में सरकार ने रेलवे की जमीन को शामिल करने के लिए टेंडर रद्द कर दिया और 2022 में नई शर्तों के साथ दूसरा टेंडर जारी किया। इसमें अडानी को 5,069 करोड़ रुपये की बोली के साथ विजेता घोषित किया गया।
यह मामला न केवल कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धा का है, बल्कि इसमें सार्वजनिक हित और पारदर्शिता के सवाल भी शामिल हैं। सेक लिंक का दावा है कि नया टेंडर पक्षपातपूर्ण था, जबकि सरकार और हाई कोर्ट इसे रेलवे जमीन के शामिल होने के कारण जनहित में मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह क़दम इस विवाद को और गहरा सकता है, क्योंकि सेक लिंक की नई पेशकश मौजूदा बोली से कहीं अधिक है। हालाँकि, यह देखना बाकी है कि क्या कोर्ट नए टेंडर की शर्तों और प्रक्रिया की वैधता पर भी विचार करेगा।
धारावी पुनर्विकास परियोजना मुंबई के लिए बेहद अहम है और यह न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी असर डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फ़ैसला इस बात को तय करेगा कि क्या पारदर्शिता और निष्पक्षता बरकरार रखी गई थी, या यह वास्तव में किसी खास पक्ष को फायदा पहुंचाने की कोशिश थी।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)