+
खड़गे के हमले पर धनखड़ ने पूछा: ‘क्या संघ का हिस्सा होना अपराध है’

खड़गे के हमले पर धनखड़ ने पूछा: ‘क्या संघ का हिस्सा होना अपराध है’

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान आख़िर मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरएसएस को लेकर ऐसा क्या कह दिया कि स्पीकर को हस्तक्षेप करना पड़ गया?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को राज्यसभा में जमकर बहस की। उन्होंने नीट परीक्षा में कथित अनियमितताओं से लेकर अग्निपथ योजना तक के मुद्दों पर सरकार पर निशाना साधा। उनके भाषण के दौरान कई बार रुकावटें भी आईं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और उसके सदस्यों की नियुक्तियों पर खड़गे ने सवाल उठाए तो राज्यसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया। खड़गे की टिप्पणी की आलोचना करते हुए अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने सवाल किया, 'क्या किसी संगठन का हिस्सा होना अपराध है।'

खड़गे राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण केंद्र सरकार की तारीफों से भरा था और समाज के मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहा। 

खड़गे ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषणों के बारे में भी बात की और कहा कि पीएम ने 'गलत सूचना फैलाकर' समाज में 'विभाजन' पैदा करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री के बयान को कोट करने पर भी हंगामा हुआ। राज्यसभा अध्यक्ष ने इस पर टोकाटोकी की।

खड़गे ने राज्यसभा में अपनी टिप्पणी की शुरुआत में कहा, 'इस साल राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण जनवरी में और दूसरा जून में था। पहला अभिभाषण चुनावों के लिए था और दूसरा भी उसी तरह था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में न तो कोई विजन था और न ही कोई दिशा।'

उन्होंने कहा, 'हमें पूरा भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र के सामने चुनौतियों के बारे में कुछ कहेंगी। उनके संबोधन में दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए कुछ नहीं था। पिछली बार की तरह, यह सिर्फ सरकार की सराहना के शब्दों से भरा था।' विपक्षी नेता ने मणिपुर में संघर्ष को लेकर भी पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि वह सिर्फ नारे देने में माहिर हैं।

खड़गे ने कहा, 'मोदी सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने में माहिर है। राष्ट्रपति ने जोर दिया कि हम भारत के भविष्य के लिए मिलकर काम करेंगे, लेकिन हमारा 10 साल का अनुभव यह है कि ये सारी बातें सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रह गई हैं।' 

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने दो दिन पहले कहा था कि विपक्ष के नेता और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के विरोध जताने के लिए सदन के वेल में आने पर उन्हें दुख हुआ। इसके दो दिन बाद सोमवार सुबह दोनों नेताओं ने कई हल्के-फुल्के पल साझा किए। 

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोलने के लिए खड़े होते समय खड़गे ने कहा कि घुटने के दर्द के कारण वे लंबे समय तक खड़े नहीं रह पाएंगे। सभापति ने तुरंत जवाब दिया, 'आप बैठकर (सदन को) संबोधित कर सकते हैं।' 

जब 81 वर्षीय कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वे तभी बैठेंगे जब सभापति उन्हें अनुमति देंगे, तो धनखड़ ने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करना है कि सदन को संबोधित करते समय आप सहज हों। इसलिए यदि शारीरिक अक्षमता या दर्द इस हद तक है कि यहां और बाहर आप खड़े नहीं हो सकते हैं, तो आप अपना फैसला खुद ले सकते हैं।' खड़गे ने मुस्कुराते हुए कहा कि बैठकर दिया गया भाषण उतना जोशीला नहीं होता जितना खड़े होकर दिया गया भाषण होता है। धनखड़ ने फिर हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'मैंने इस मामले में आपकी मदद की है।' इस पर खड़गे ने जवाब दिया, ‘कभी-कभी आप हमारी मदद करते हैं, और हम भी याद रखते हैं।’

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें