फडणवीस के पास ही रहा गृह विभाग, शिंदे को शहरी, निर्माण, आवास मंत्रालय मिले
महाराष्ट्र में विभागों के बँटवारे को लेकर काफ़ी माथापच्ची के बाद आख़िरकार गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही मिला है। महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण समारोह के क़रीब दो सप्ताह बाद शनिवार को मंत्रिमंडल के विभागों की घोषणा की गई। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रहे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को तीन मंत्रालय - शहरी विकास, आवास और लोक निर्माण - दिए गए। हालाँकि उनको गृह विभाग नहीं दिया गया। कथित तौर पर वह इसके लिए अड़े हुए थे और इसी वजह से मंत्रालय के बँटवारे में देरी हुई।
राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार को वित्त मंत्रालय और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग सौंपा गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास गृह मंत्रालय के अलावा ऊर्जा, कानून और न्यायपालिका, सामान्य प्रशासन, सूचना और प्रचार तथा अन्य किसी मंत्री को नहीं दिए जाने वाले विभाग होंगे।
राज्य विधानसभा के सप्ताह भर चलने वाले शीतकालीन सत्र के समापन के कुछ घंटों बाद विभागों का आवंटन किया गया। कुछ दिनों पहले ही फडणवीस सरकार ने 15 दिसंबर को 39 मंत्रियों को शामिल किया था। हालांकि उनका कार्यकाल ढाई साल का होगा और ढाई साल बाद फिर से उनके बने रहने को लेकर समीक्षा की जाएगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे क़रीब एक महीने पहले आए थे। पहले सीएम पद को लेकर खींचतान और फिर मंत्रालयों को लेकर गठबंधन सहयोगियों में खींचतान की वजह से इतनी देरी हुई।
बता दें कि पिछले ढाई साल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शासन करने के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को देवेंद्र फडणवीस की नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने की कड़वी गोली निगलनी पड़ी है। हालाँकि, यह दोनों दलों के बीच गहन बातचीत के बाद हुआ है। चुनाव नतीजे आने के क़रीब दो हफ़्ते तक सीएम पद को लेकर खींचतान चलती रही।
सत्ता-साझाकरण के फार्मूले और पोर्टफोलियो वितरण को अंतिम रूप देने के लिए शिवसेना ने भाजपा के साथ गहन बातचीत की, जिसमें शिंदे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तभी सहमत हुए जब पिछले सप्ताह भाजपा नेताओं और उनकी पार्टी के विधायकों ने उन्हें मनाने का प्रयास किया। लेकिन इसके बाद भी मंत्रालयों के बँटवारे को लेकर स्थिति साफ़ नहीं हो पाई थी। अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र ख़त्म होने के बाद शनिवार को विभाग बाँटे गए।
सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे और पवार के साथ मंत्रिपरिषद में कुल 42 मंत्री हैं। 15 दिसंबर को शपथ लेने वाले 39 मंत्रियों में से 19 भाजपा से हैं।
बीजेपी के 19 मंत्रियों में से 16 कैबिनेट मंत्री और 3 राज्य मंत्री हैं। उसके बाद शिवसेना के 11 मंत्री हैं जिसमें 9 कैबिनेट और दो राज्य मंत्री हैं। एनसीपी के 9 मंत्री हैं जिसमें 8 कैबिनेट और एक राज्य मंत्री हैं।
बीजेपी के मंत्री
चंद्रशेखर बावनकुले (राजस्व), राधाकृष्ण विखे पाटिल (जल संसाधन- कृष्णा और गोदावरी घाटी विकास निगम), चंद्रकांत पाटिल (उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, संसदीय मामले), गिरीश महाजन (जल संसाधन- विदर्भ, तापी, कोंकण विकास निगम और आपदा प्रबंधन)। गणेश नाइक को वन, मंगल प्रभात लोढ़ा को कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार; जयकुमार रावल को विपणन और प्रोटोकॉल, पंकजा मुंडे को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, पशुपालन; अतुल सेव को ओबीसी कल्याण, डेयरी विकास और अक्षय ऊर्जा। अशोक उइके को आदिवासी विकास, आशीष शेलार को सांस्कृतिक मामले और सूचना प्रौद्योगिकी, शिवेंद्रसिंह भोसले को लोक निर्माण। जयकुमार गोरे को ग्रामीण विकास और पंचायती राज, संजय सावकारे को कपड़ा, नितेश राणे को मत्स्य और बंदरगाह, आकाश फुंडकर को श्रम मंत्रालय दिया गया है।
शिवसेना मंत्री
गुलाबराव पाटिल जल आपूर्ति एवं स्वच्छता, दादाजी भूसे स्कूल शिक्षा, संजय राठौड़ मृदा एवं जल संरक्षण, उदय सामंत उद्योग एवं मराठी भाषा, शंभुराज देसाई पर्यटन, खनन, भूतपूर्व सैनिक कल्याण, संजय शिरसाट सामाजिक न्याय, प्रताप सरनाईक परिवहन, भारत गोगावले रोजगार गारंटी, बागवानी, साल्ट पैन भूमि विकास; प्रकाश अबितकर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण।
एनसीपी मंत्री
हसन मुश्रीफ चिकित्सा शिक्षा, धनंजय मुंडे खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, दत्तात्रेय भरणे खेल, युवा कल्याण एवं अल्पसंख्यक विकास एवं औकाफ, अदिति तटकरे महिला एवं बाल विकास, माणिकराव कोकाटे कृषि। नरहरि जिरवाल को खाद्य एवं औषधि प्रशासन, विशेष सहायता विभाग दिया गया है। मकरंद पाटिल को राहत एवं पुनर्वास, जबकि बाबासाहेब पाटिल को सहकारिता मंत्रालय आवंटित किया गया है।