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तीन झटके- नोटबंदी, जीएसटी, कोविड ने 7 वर्षों में 16.45 लाख नौकरियाँ ख़त्म कर दीं

तीन झटके- नोटबंदी, जीएसटी, कोविड ने 7 वर्षों में 16.45 लाख नौकरियाँ ख़त्म कर दीं

मोदी सरकार की पूरी कोशिश है कि रोजगार पर किसी भी तरह का आंकड़ा बाहर न आए और अभी तक उसने पिछले एक दशक में यानी अपने 10 साल के कार्यकाल में करोड़ों नौकरियां दी हैं। लेकिन यह सब सफेद झूठ है। आंकड़े धीरे-धीरे बाहर आ रहे हैं जो भारत में बेरोजगारी की भयावह तस्वीर दिखा रहे हैं। जिनके अगले कुछ वर्षों में सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अनौपचारिक क्षेत्रों में नौकरियों का डेटा जारी किया है। इसके अनुसार, 2022-23 में अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या 2015-16 में 11.13 करोड़ की तुलना में 16.45 लाख या लगभग 1.5 प्रतिशत घटकर 10.96 करोड़ रह गई। 

यह डेटा 2015-16 के बाद पहली बार सामने आया है। इसके लिए तीन प्रमुख झटकों के प्रभाव को जिम्मेदार माना जा रहा है। जैसे नवंबर 2016 में नोटबंदी, जुलाई 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू किया जाना और मार्च 2020 में कोविड 19 ने भारत में रोजगार और नौकरियों पर सीधा असर डाला। पहली दो वजहें नोटबंदी और जीएसटी तो मोदी सरकार लेकर आई। कोविड को जरूर आपदा माना जाएगा लेकिन उसमें भी भारतीय चिकित्सा सेवा की धज्जियां उड़ गईं।

इन तीन झटकों का की वजह से सिस्टम से कैश की अचानक निकल गया, जीएसटी ने पूरे कारोबारी टैक्स सिस्टम को प्रभावित किया, जिससे छोटे दुकानदारों की कमर टूट गई। कोविड -19 की वजह से देश में लॉकडाउन किया गया। ये तीनों ही स्थितियां सबसे ज्यादा अनौपारिक क्षेत्रों में नौैकरी करने वालों ने झेलीं। बहुत सारे जॉब रोजाना की कैश व्यवस्था पर टिके हुए थे। लॉकडाउन की वजह से मैनपावर कम कर दी गई।

दस प्रमुख राज्यों में जहां भारत में कार्यरत अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों का लगभग तीन चौथाई हिस्सा है, पांच राज्यों - महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा - में 2015-16 और 2022-23 के बीच अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि दर्ज की गई। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसी अवधि के दौरान अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। इन पांच राज्यों में अनौपचारिक श्रमिकों का 42 प्रतिशत हिस्सा काम करता है।

उत्तर प्रदेश में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या 2015-16 में 1.65 करोड़ से घटकर 2022-23 में 1.57 करोड़ हो गई, लेकिन 2021-22 में 1.30 करोड़ के स्तर से वृद्धि दर्ज की गई। पश्चिम बंगाल में भी अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या 2015-16 में 1.35 करोड़ से घटकर 2022-23 में 1.05 करोड़ हो गई, लेकिन 2021-22 में यह संख्या 1.02 करोड़ से मामूली बढ़ पाई।

बिहार, जो देश में प्रवासी श्रमिकों का सबसे बड़ा स्रोत है, 2015-16 और 2021-22 के दौरान अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में गिरावट दर्ज करके अन्य राज्यों के बीच खड़ा रहा। लेकिन 2022-23 में पूर्व की तुलना में तेज वृद्धि दर्ज की गई। असंगठित क्षेत्र देश के जीवीए (Gross Value Added) में 44 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है और गैर-कृषि उद्यमों में कार्यरत लगभग 75 प्रतिशत मजदूरों को रोजगार देता है। डेटा संग्रह के बाद लंबे अंतराल के बाद मंत्रालय ने ऐसे क्षेत्र के उद्यमों के लिए सर्वे जारी किया है।

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