सर्वदलीय बैठक में उठी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग
2 अक्टूबर 2023 को जाति गणना के आंकड़े जारी होने के बाद बिहार में मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। करीब 2 वर्ष बाद बिहार में हुई इस सर्वदलीय बैठक में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग उठी है। करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में भाकपा माले और एआईएमआईएम ने कहा कि आरक्षण को बढ़ाया जाए।
इस मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वह इस पर विचार करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान अधिकारियों को जाति गणना से प्राप्त आंकड़ों का शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक विश्लेषण करने को कहा है। उन्होंने बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं को भरोसा दिलाया कि आगामी विधानसभा सत्र से पूर्व इन विश्लेषणों का आंकड़ा जारी कर दिया जाएगा।
बैठक में जदयू, राजद, कांग्रेस, भाजपा समेत नौ पार्टियों के नेता शामिल हुए। इस बैठक में भाजपा नेता हरि सहनी ने कुछ जातियों में उपजातियों की अलग-अलग गणना पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कुछ जातियों की उपजातियों के साथ गणना हुई, जबकि कुछ की बिना उपजातियों के हुई है। उन्होंने पूछा कि इसका क्या कारण है। उन्होंने कहा कि कुछ जातियों की 6 उपजातियों को एक रखा गया है। वहीं कुछ जातियों की 17 उपजातियों को अलग-अलग बांट दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बैठक में भाजपा खुल कर न तो जाति गणना का समर्थन किया और न ही विरोध किया।
विषमताओं को दूर करने के लिए जाति गणना हुई है
बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि केंद्र सरकार ने जाति गणना से जब इंकार कर दिया था तब बिहार सरकार ने अपने खर्चे से इसे कराया है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण और अच्छा काम है। इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे। इस गणना के आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण अगले विधानसभा सत्र में आ जायेगा।सर्वदलीय बैठक में भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए जाति गणना हुई है।इन आंकड़ों के आधार पर भविष्य में जो योजनाएं बनाई जाए उसे जातीय विषमताओं को ध्यान में रखकर बनाया जाए। उन्होंने मांग की है कि गणना में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाया जाए।
इस बैठक में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने कहा कि पिछड़ी जातियों का आकलन हो चुका है। अब इसके आधार पर अगर राज्य सरकार योजनाएं बनाना चाहती है तो आरक्षण का दायरा बढ़ाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि अल्पसंख्यक के लिए अलग से आरक्षण का कंपार्टमेंट तय होना चाहिए।
जाति गणना का मामला फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने राज्य में जाति गणना के आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ो को जारी करने के खिलाफ मंगलवार 3 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।याचिकाकर्ता के वकील का तर्क है कि बिहार सरकार ने पहले जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक न करने की बात कही थी। इससे पहले भी बिहार सरकार को जाति गणना के लिए कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा था। जाति गणना को रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका पूर्व में दायर की गई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। बाद में अदालतों से राहत मिलने के बाद बिहार सरकार ने इसे जारी किया है।