कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी की हत्या उनकी पत्नी अपूर्वा शुक्ला ने की थी। अपूर्वा ने पूछताछ में अपना अपराध कबूल कर लिया है। इससे पहले अपूर्वा को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्राँच ने गिरफ़्तार कर लिया था।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि अपूर्वा शादी से ख़ुश नहीं थी इसलिए उसने रोहित की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के दौरान रोहित नशे में था। रोहित की माँ उज्जवला तिवारी ने भी कहा था कि शादी के बाद पहले दिन से ही अपूर्वा और रोहित में झगड़े होते थे और इससे उनका बेटा बेहद तनाव में था। बता दें कि 16 अप्रैल को रोहित अपने घर में मृत पाए गए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रोहित की हत्या की पुष्टि के बाद पुलिस ने अपूर्वा और घर के अन्य लोगों से पूछताछ की थी।
पुलिस को शुरुआती जाँच में ही अपूर्वा पर शक हो गया था और इसके बाद पुलिस लगातार उससे पूछताछ कर रही थी। अपूर्वा ने 15 अप्रैल की रात को रोहित के कमरे में जाने की बात स्वीकार की थी लेकिन इसे लेकर वह सही जवाब नहीं दे पा रही थी। यहीं से पुलिस का उस पर शक पुख्ता हुआ और पूछताछ में उसे अपना गुनाह कबूल करना पड़ा।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि रोहित की गर्दन पर उंगलियों के निशान मिले हैं। यह भी बात सामने आई थी कि हत्या से पहले उन्हें नशीला पदार्थ पिलाया गया और बेहोश होने पर उनकी हत्या की गई। तभी से यह सवाल उठ रहा था कि आख़िर रोहित की हत्या क्यों की गई और किसने की रोहित के पिता एन. डी. तिवारी यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़, रोहित की मौत 15-16 अप्रैल की रात 1:30 बजे के आसपास हुई थी। जबकि उन्हें 16 अप्रैल को शाम क़रीब 5 बजे अस्पताल ले जाया गया। रोहित की मौत की ख़बर सामने आने के बाद से ही यह मामला संदिग्ध दिखाई दे रहा था। यह माना जा रहा था कि यह स्वाभाविक मौत नहीं है, रोहित की हत्या हुई है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह बात सही साबित हुई।
बता दें कि रोहित ने ख़ुद को एन.डी.तिवारी का बेटा साबित करने के लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। मृत्यु से कुछ साल पहले कोर्ट के आदेश पर तिवारी ने उन्हें अपना बेटा मान लिया था और उनकी माँ उज्जवला से शादी की थी। तिवारी अपने अंतिम समय में रोहित और उज्जवला के साथ ही रहे थे। रोहित राजनीति में करियर बनाना चाहते थे और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुए थे। लेकिन बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया था। उसके बाद भी रोहित अपनी सियासी ज़मीन मजबूत करने के लिए लगातार उत्तराखंड के दौरे कर रहे थे।