दिल्ली ने भी गुरुवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) व नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है। इससे पहले कई राज्यों की विधानसभाओं में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ भी प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को एनपीआर और एनआरसी को रद्द कर देना चाहिए और इसलिए वह एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ लाये गये प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों को ही दिल्ली में लागू नहीं किया जाना चाहिए।
विधानसभा में प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘एनपीआर और एनआरसी के तहत जनता से अपनी नागरिकता साबित करने को कहा जाएगा। 90% लोगों के पास यह साबित करने के लिए कोई सरकारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या सबको डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा? यह डर सबको सता रहा है।’ केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की विधानसभा में 70 विधायक हैं लेकिन सिर्फ़ 9 विधायकों ने बताया है कि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र है। केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह के संसद में दिये गये भाषण को लेकर कहा, ‘शाह ने कहा कि एनपीआर में कोई दस्तावेज़ नहीं मांगे जाएंगे लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि एनआरसी में दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।’
केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कोई इस गलतफहमी में न रहे कि एनआरसी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एनपीआर के बाद ये लोग एनआरसी करवाएंगे और गृहमंत्री ने स्पष्ट किया था कि एनआरसी होकर रहेगा। उन्होंने अमित शाह द्वारा बताई गई क्रोनोलॉजी का भी जिक्र किया।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी से देश की 90% आबादी की नागरिकता पर सवाल उठाए जाएंगे और लोगों को डिटेंशन कैंप में डाल दिया जाएगा। आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने कहा कि एनपीआर कुछ नहीं बल्कि एनआरसी के लिये पीछे दरवाजे से एंट्री है।