दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के लॉकडाउन में ढील देने की घोषणा करते ही कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। राजधानी में लगातार दो दिन संक्रमण के 500 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। बुधवार को 534 मामले सामने आए, जो अभी तक एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। तो ऐसे में सवाल यह है कि क्या लॉकडाउन में ज़्यादा छूट देकर केजरीवाल ने कोई ग़लती कर दी है।
राजधानी में अब तक कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 11,088 हो गया है जबकि 176 लोगों की मौत हो चुकी है। राहत की बात यह है कि 5,192 लोग ठीक भी हो चुके हैं। दिल्ली सरकार के 12 अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
केजरीवाल ने दिल्ली में सभी सरकारी और प्राइवेट ऑफ़िसों को खोलने, बसें चलाने, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, टैक्सी, ग्रामीण सेवा, आरटीवी आदि को शुरू करने का एलान किया है। उन्होंने इनमें बैठने के लिए लोगों की संख्या तय की है। केजरीवाल ने कहा है कि बस में चढ़ने से पहले हर यात्री की स्क्रीनिंग होगी और अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे बसों के अंदर और स्टॉप पर सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करवाएं। उन्होंने कहा है कि हर व्यक्ति को मास्क पहनना ज़रूरी होगा।
लेकिन सवाल यह उठता है कि दिल्ली जैसे लाखों लोगों के शहर में क्या इतने लोगों पर नज़र रखना आसान होगा कि वे बसों, ऑटो में सोशल डिस्टेंसिंग को फ़ॉलो कर रहे हैं या उन्होंने मास्क पहना है या नहीं।
दिल्लीवालों के लिए डेथ वारंट!
केजरीवाल के दिल्ली को खोलने का एलान करते ही पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने कहा था कि लगभग हर चीज को खोल देने का फ़ैसला करना दिल्लीवालों के लिए डेथ वारंट साबित हो सकता है। उन्होंने दिल्ली सरकार से अपील की थी कि वह अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली की ही राजनीति करने वाले विजय गोयल ने भी कहा था कि केजरीवाल को लॉकडाउन में इतनी चीजें खोलने की क्या जल्दी थी गोयल ने कहा था, ‘जिस तरह से घोषणाएं की गई हैं, डर है कि दिल्ली वुहान न बन जाये। केजरीवाल को दिल्ली को बर्बाद करने से रोको।’
एक बार को मान लेते हैं कि गंभीर और गोयल विपक्षी दलों के नेता हैं, इसलिए उन्होंने केजरीवाल सरकार के फ़ैसले की आलोचना की। लेकिन दिल्ली के हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां से बिहार जा रहे लोगों में हर चौथा व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आ रहा है।
बाज़ारों में उमड़ी भीड़
लॉकडाउन खुलते ही दिल्ली में कई जगहों पर बाज़ारों में भीड़ उमड़ पड़ी। ऑटो, ई-रिक्शा, बसों में जितने लोगों के बैठने का नियम बनाया गया था, उससे कहीं ज़्यादा संख्या में लोग बैठ गए। बड़ी संख्या में लोग एसी, मोबाइल और दूसरी चीजें ठीक कराने के लिए निकले। अब कहां तक पुलिस और कहां तक दूसरे विभागों के अधिकारी लोगों से नियम फ़ॉलो करवाएंगे और कब तक ख़ुद को कोरोना से बचाएंगे, यह बहुत बड़ी चिंता का सवाल है।
इस बीच दिल्ली पुलिस के एक कर्मचारी का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को विजय गोयल ने भी ट्वीट किया है। यह कर्मचारी एक बस के अंदर मौजूद है और बस में बैठने तक की जगह नहीं है। वह सवाल उठाता है कि इतनी भीड़ में अगर कोरोना फैला तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा
केजरीवाल ने रेस्तरां खोलने की अनुमति दी है। हालांकि वहां बैठकर खाने की इजाजत नहीं है और वे होम डिलीवरी करेंगे। लेकिन यह भी ख़तरे से खाली नहीं है।
पुलिस, डॉक्टर्स कोरोना की चपेट में
अभी तक दिल्ली पुलिस के 180 से ज़्यादा कर्मचारी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और एक पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ़ के लोग भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।
ऐसे हालात में जब कोरोना वॉरियर्स ही चपेट में आ रहे हैं तो लॉकडाउन में बहुत ज़्यादा ढील देने के दिल्ली सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं। क्योंकि कोरोना संक्रमित अगर बढ़ेंगे तो उसका सीधा बोझ इन कोरोना वॉरियर्स को ही उठाना होगा।