दिल्ली दंगों से जुड़ी बेहद परेशान करने वाली कई बातें सामने आ रही हैं, जिन पर सरकार और तमाम राजनीतिक दल चुप हैं। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बहुत ही साफ़ शब्दों में कहा है कि ये दंगे ‘सुनियोजित’, और ‘एकतरफा’ थे और ‘मुसलमानों के घरों और दुकानों को ही अधिक नुक़सान हुआ है’ और उन्हें ‘स्थानीय लोगों की मदद से ही’ निशाना बनाया गया है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत 1999 में की गई थी। आयोग ने हालिया दंगों पर बुधवार को अपनी रिपोर्ट दी है।
आयोग के मुताबिक़, ‘खजूरी ख़ास इलाक़े में लोगों ने उसे बताया कि 23 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण के बाद हिंसा भड़की थी।’
आगजनी, लूटपाट
अल्पसंख्यक आयोग ने दो पेज की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किस तरह आगजनी की वारदात को अधिक भयावह बनाने के लिए गैस सिलिंडरों का इस्तेमाल किया गया था और किस तरह दुकानों और घरों को आग के हवाले करने के पहले उन्हें लूटा गया था।इस रिपोर्ट में दंगा-ग्रस्त इलाक़ों से पीड़ितों को निकालने में दिल्ली पुलिस की भूमिका की तारीफ भी की गई है। रिपोर्ट में दिल्ली सरकार से कहा गया है कि वह पीड़ितों के लिए मुआवज़े की रकम बढ़ा दे।
मुसलमानों को अधिक नुक़सान
फरवरी के अंतिम हफ़्ते में दिल्ली के कुछ इलाक़ों में हुए सांप्रदायिक दंगों में 47 लोगों की मौत हो गई और 422 लोग घायल हो गए।
आयोग ने यह भी कहा है कि दंगे में मारे गए जिन 41 लोगों की पहचान अब तक हो सकी है, उनमें कम से कम 28 मुसलमान हैं।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है : ‘यह हमारा अनुमान है कि उत्तर-पूर्व दिल्ली में भड़की हिंसा एकतरफा और पूर्व-नियोजित थी। इसमें सबसे ज़्यादा नुक़सान मुसलमानों को ही पहुँचा है और स्थानीय लोगों की मदद से ही उन्हें नुक़सान पहुँचाया गया। दंगा-प्रभावित लोग बग़ैर बड़ी मदद के अपनी ज़िन्दगी फिर से खड़ी नहीं कर सकते, दिल्ली सरकार का मुआवज़ा इस लिहाज से पर्याप्त नहीं है।’
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फ़र-उल- इसलाम ने कहा है कि आयोग के दल ने चाँद बाग, ज़फ़राबाद, बृजपुरी, मुस्तऱफ़ाबाद, शिव विहार, यमुना विहार, खजूरी ख़ास और भजनपुरा का दौरा किया। आयोग के दल में अध्यक्ष के अलावा इसके सदस्य करतार सिंह कोचर भी थे।