दिल्ली की अदालत ने दी उमर खालिद को 7 दिन की अंतरिम जमानत
चार साल से जेल में बंद उमर खालिद कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर आएँगे। दरअसल, दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को सात दिनों की अंतरिम जमानत दी है। यह जमानत उनको अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने और अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए दी गई है। पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में वह जेल में हैं।
शाहदरा जिला न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने खालिद को 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर 28 दिसंबर की सुबह से 3 जनवरी, 2025 की शाम तक जेल से बाहर रहने की अनुमति देते हुए राहत दी। खालिद ने अपने वकील के माध्यम से 10 दिन की अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था। जमानत की शर्तों के अनुसार, खालिद को केवल अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से ही मिलना चाहिए; अपने घर पर या उन स्थानों पर रहना चाहिए जहां उनके द्वारा बताए गए विवाह समारोह होंगे; और सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करना चाहिए।
अपनी अंतरिम जमानत याचिका में खालिद ने कहा था कि उनकी चचेरी बहन की शादी 1 जनवरी को नई दिल्ली के अबुल फजल एन्क्लेव में मस्जिद इशात इस्लाम में होने वाली है, जिसके बाद कालिंदी कुंज में निकाह और डिनर होगा। उन्होंने आगे कहा था कि हल्दी और मेहंदी समारोह 30 और 31 दिसंबर को होंगे और उन्होंने बताया था कि वह अपने रिश्तेदारों, खासकर अपनी बहन से मिलना चाहेंगे, जो अमेरिका से आ रही हैं। खालिद ने यह भी कहा था कि वह नागपुर में होने वाले रिसेप्शन में शामिल नहीं होना चाहते और दिल्ली में ही रहेंगे।
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद भड़के दंगों के सिलसिले में कड़े गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आरोप लगाए जाने के बाद खालिद सितंबर 2020 से हिरासत में हैं।
उमर खालिद ने पिछले चार वर्षों में कई बार जमानत के लिए आवेदन किया है, लेकिन हर बार याचिकाएँ खारिज कर दी गईं। 6 दिसंबर को किया गया उनका हालिया प्रयास भी दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2022 में उच्च न्यायालय द्वारा अपनी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद खालिद ने दूसरी बार दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें सह-आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और इशरत जहां जैसा बर्ताव किए जाने की मांग की गई थी। ये सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
खालिद के वकील ने यह भी तर्क दिया था कि सीएए के विरोध में भड़की हिंसा के दौरान आरोपी उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भी नहीं था और उन्होंने अमरावती में दिए गए भाषण में अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत की वकालत की थी।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस ने भी सवाल उठाया था कि खालिद को आरोपी क्यों बनाया गया है, जबकि साजिश की बैठकों में कथित रूप से शामिल होने वाले कई अन्य लोगों का नाम मामले में नहीं है, जिनमें योगेंद्र यादव और फिल्म निर्माता राहुल रॉय जैसे लोग शामिल हैं।
उमर खालिद ने 6 दिसंबर की सुनवाई के दौरान यह भी दावा किया था कि 2020 में दिल्ली दंगों से उसे जोड़ने वाले कोई भी ठोस सबूत नहीं जुटाए गए हैं।
बता दें कि दो साल पहले 2022 में भी उनको एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए 7 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी। तब अदालत ने उमर को उनकी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी थी।