दिल्ली के आगामी चुनाव में रोहिंग्या मुसलमान फिर से राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों को दिल्ली में लाकर "अवैध रूप से बसाया।"
भाजपा का आरोप है कि आप ने पिछले एक दशक में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को अवैध रूप से मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करने में मदद की। क्योंकि इतने ही वर्षों से दिल्ली में उसकी सरकार है। इसके जवाब में आप ने रविवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के दो साल से अधिक पुराने बयान को उछाल दिया जिसमें वो कह रहे हैं कि रोहिंग्या शरणार्थियों को बक्करवाला में सस्ते फ्लैट में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने हरदीप पुरी के ही इस बयान का का खंडन कर दिया था।
एक्स पर आप नेताओं ने लिखा है कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का बयान स्पष्ट सबूत है कि यह भाजपा थी जो दिल्ली में रोहिंग्याओं को "लाने और बसाने" के पीछे है। रविवार 8 दिसंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने पुरी का पुराना पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ''बीजेपी के लोग अरविंद केजरीवाल पर झूठे आरोप लगाने की इतनी जल्दी में थे कि वे भूल गए कि रोहिंग्या को दिल्ली में कौन लाया, किसने और कहां बसाया। लेकिन सच्चाई के बारे में बात यह है कि वह हमेशा सामने आती है।
पड़ोसी देश म्यांमार में सबसे ज्यादा रोहिंगया मुसलमान हैं, जहां उन्हें लंबे समय से नागरिकता से वंचित रखा गया है। 2017 के बाद जब उन पर वहां उत्पीड़न और दमन शुरू हुआ तो उन लोगों ने भागकर भारत और बांग्लादेश में शरण ली है। संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या समुदाय को "दुनिया में सबसे अधिक भेदभाव का शिकार" वाला समुदाय बताया है।
17 अगस्त 2022 को, प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) को टैग करते हुए, पुरी ने एक्स लिखा कि “भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में, सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) फ्लैटों में स्थानांतरित किया जाएगा। उन्हें बुनियादी सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और चौबीस घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
आप ने उस समय इस मुद्दे को खूब उछाला। तब गृह मंत्रालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि उसने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2012 के आसपास भारत आए लगभग 1,200 रोहिंग्या दिल्ली के कालिंदी कुंज में झुग्गियों में रहते हैं। अमित शाह के मंत्रालय ने पुरी की एक्स पोस्ट के कुछ ही घंटे बाद उस समय कहा था कि “दिल्ली सरकार ने रोहिंग्याओं को एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अवैध विदेशी रोहिंग्या कंचन कुंज, मदनपुर खादर में वर्तमान स्थान पर बने रहेंगे क्योंकि गृह मंत्रालय ने पहले ही विदेश मंत्रालय के माध्यम से संबंधित देश के साथ अवैध विदेशियों के निर्वासन का मामला उठाया है।“
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उस समय यह भी कहा था कि “अवैध विदेशियों को कानून के अनुसार उनके निर्वासन तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाना चाहिए। दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को डिटेंशन सेंटर घोषित नहीं किया है। उन्हें तुरंत ऐसा करने का निर्देश दिया गया है।” इसके बाद, पुरी ने कहा कि इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय के प्रेस बयान ने "सही स्थिति" दी है। हालाँकि, उन्होंने अपनी मूल पोस्ट को कभी नहीं हटाया जिससे वर्तमान राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। और, दो साल से अधिक समय बाद, AAP ने एक बार फिर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया, क्योंकि दोनों पार्टियां विधानसभा चुनावों में चुनावी वर्चस्व के लिए लड़ रही हैं।
इससे पहले 2022 में, दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके के अल्पसंख्यक बहुल इलाके में सांप्रदायिक हिंसा और एमसीडी तोड़फोड़ अभियान के बाद AAP ने भाजपा पर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को पूरे भारत में बसाकर दंगे कराने का आरोप लगाया था। इसे तब आप नेतृत्व द्वारा बहुसंख्यक राजनीतिक बयानबाजी की नकल के एक और प्रयास के रूप में देखा गया था ताकि भाजपा द्वारा आप को अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से जोड़ने के प्रयासों को कुंद किया जा सके।
इससे पहले, AAP ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी धरने और पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों तक पहुंचने में अपनी झिझक जैसे मुद्दों पर अपने अस्पष्ट रुख की वजह से काफी आलोचना झेली थी। जबकि दिल्ली में मुस्लिम मतदाता आप का ही समर्थन करते रहे हैं।