आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को चुनाव आयोग (ईसी) के खिलाफ आरोप लगाया कि चुनाव आयोग दिल्ली की मतदाता सूची से हजारों मतदाताओं के नाम हटाने की भाजपा की "साजिश" का हिस्सा है। दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस ने भी यही आरोप भाजपा और चुनाव आयोग पर हरियाणा, महाराष्ट्र के संदर्भ में लगाए हैं। जहां ईवीएम तक को मैनेज करने का भी आरोप लगा है। महाराष्ट्र में तो लोग बैलेट पेपर से चुनाव आयोजित कर रहे हैं ताकि असलियत सामने लाई जा सके लेकिन सरकार पुलिस की मदद से उस चुनाव को रोक रही है, ऐसा करने वालों पर केस दर्ज किये जा रहे हैं।
आप ने कहा कि भाजपा केंद्रीय चुनाव आयोद में "झूठी अर्जी" दायर करके ऐसा कर रही है। इस पर तीखी प्रतिक्रिया में, भाजपा ने कहा कि आप के आरोप चुनाव हारने के डर से उपजे हैं क्योंकि मतदाता सूची से केवल "अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों" के नाम हटाए जा रहे हैं। यानी भाजपा ने जो राग झारखंड में अलापा था, वही राग वो दिल्ली में अलाप रही है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऐसे कई लोगों को पेश किया, जिनके नाम भाजपा ने चुनाव आयोग से खेल कर सूची से हटवा दिए थे। केजरीवाल ने कहा- “अब हम जानते हैं कि वे कैसे सरकारें बना रहे हैं। हमने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) द्वारा लगाए गए आरोपों को देखा है। हम नहीं जानते कि हरियाणा और महाराष्ट्र में क्या हुआ... लेकिन दिल्ली पर इस खुलासे से यह संदेह और गहरा हो गया है कि जरूर कुछ हुआ होगा।''
- केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर ''लोगों को मताधिकार से वंचित'' करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। भाजपा हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभाओं में विपक्षी कांग्रेस पर निर्णायक जीत के साथ सत्ता में लौटी है। लेकिन दोनों ही राज्यों में अब भी चुनाव नतीजों को संदेह से देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में तो आरोप कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं।
केजरीवाल ने शाहदरा विधानसभा का उदाहरण देकर अपनी बात कही। केजरीवाल ने कहा कि अकेले शाहदरा विधानसभा क्षेत्र में, भाजपा ने 11,018 नाम हटाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें दावा किया गया था कि ये मतदाता या तो चले गए या मर गए हैं। आप प्रमुख ने आगे कहा कि चुनाव आयोग, जिसे हटाने के ऐसे सभी अनुरोधों को सार्वजनिक करना चाहिए, ने इस सीट पर केवल 487 आवेदनों के लिए ऐसा किया है। यानी चुनाव आयोग ने बताया कि 487 नामों पर भाजपा ने आपत्ति जताते हुए उन्हें मतदाता सूची से हटाने को कहा है। जबकि असलियत में भाजपा ने 11 हजार से ज्यादा नाम मतदाता सूची से हटवाने के लिए आवेदिन किया।
केजरीवाल ने कहा कि इन 11,018 में से 500 नामों की रैंडम जांच करने पर पार्टी ने पाया कि 372 अभी भी शाहदरा के निवासी हैं। और उनमें से अधिकतर AAP समर्थक हैं। भाजपा प्रभावी रूप से चाहती है कि शाहदरा निर्वाचन क्षेत्र के 6 फीसदी मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए जाएं। सभी को याद रखना चाहिए कि AAP ने 2020 में शाहदरा में 5,294 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।”
केजरीवाल ने कहा कि इसी तरह के आवेदन अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी जमा किए गए हैं - जनकपुरी में 6,020, संगम विहार में 5,862, आर.के. पुरम में 4,285, पालम में 4,061, द्वारका में 4,013, तुगलकाबाद में 3,987, ओखला में 3,933, करावल नगर में 2,957, लक्ष्मी नगर में 2,147, मुस्तफाबाद में 2,051, विकासपुरी में 1,923, उत्तम नगर में 1,807, कृष्णा नगर में 1,631 और मटियाला में 1,561 नाम हैं, जिन्हें हटाने के लिए आवेदन किए गए हैं।
- आप प्रमुख ने सवाल किया- “चुनाव से डेढ़ महीने पहले ये आवेदन कौन कर रहा है?”
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भाजपा की साजिश है शाहदरा में 6 फीसदी वोटरों के नाम हटवाकर चुनाव जीत लिया जाए। चुनाव आयोग उसकी साजिश में शामिल है।
-अरविन्द केजरीवाल, आप प्रमुख, 6 दिसंबर 2024
शाहदरा जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय ने केजरीवाल के दावे को "तथ्यात्मक रूप से गलत" बताया। उसके मुताबिक 29 अक्टूबर से केवल 494 आवेदन प्राप्त हुए थे। तब तक दिल्ली मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम समाप्त हो गया था। चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान नए नामों को शामिल करने के अलावा, अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाने की भी अनुमति देता है। चुनाव आयोग के नियमों के तहत संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का कोई भी मतदाता आपत्ति कर सकता है।
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यहां यह बताना जरूरी है कि किसी राज्य में चुनाव से पहले जब मतदाता सूचियों को संशोधित करने का अभियान चुनाव आयोग के निर्देश पर शुरू होता है तो उसी समय राजनीतिक दलों को इस गतिविधि पर नजर रखना चाहिए। क्योंकि भाजपा उसी दौरान तमाम आपत्तियां देकर नाम हटवाने की कोशिश करती है। उसके पास इसका पूरा सिस्टम मौजूद है। लेकिन बाकी पार्टियां इस दिशा में कुछ नहीं करती हैं। चुनाव से पहले भाजपा संगठन के लोगों की गतिविधियां हर शहर, हर जिले, हर कस्बे में चुनाव कार्यालय में बढ़ जाती हैं।
आम आदमी पार्टी ने भाजपा के लेटरहेड पर चुनाव आयोग को सौंपे गए विशाल भारद्वाज के एक आवेदन को पेश किया, जिसमें शाहदरा से नाम हटाने की मांग की गई थी। जब उस लेटरहेड पर लिखे नंबर पर कॉल करके संपर्क किया गया, तो जवाब देने वाले व्यक्ति ने कहा कि भारद्वाज व्यस्त हैं और बाद में बात करेंगे। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में, भारद्वाज ने स्पष्ट रूप से दावा किया कि उनके द्वारा नामित मतदाता या तो मर चुके थे या क्षेत्र के निवासी नहीं थे। भारद्वाज ने 28 नवंबर को चुनाव कार्यालय को लिखे पत्र में कहा था- “यह संभव है कि जो मतदाता यहां नहीं रहते हैं, उन्होंने अपने रिश्तेदारों के पते का इस्तेमाल करके अपना नाम सूची में डलवा लिया हो और केवल मतदान के दौरान इस इलाके में आते हैं। यह भी संभव है कि उन्होंने अन्य राज्यों में भी वोट डाला हो।'' भारद्वाज ने इसी प्वाइंट के आधार पर उन लोगों के नाम हटाने की मांग की थी।
केजरीवाल ने कहा कि यहां चुनाव आयोग की भूमिका संदेह के घेरे में है क्योंकि उसने ऐसे सभी आवेदनों को सार्वजनिक नहीं किया है। उन्होंने कहा- “इसका मतलब है कि चुनाव आयोग उन पर गुप्त रूप से काम कर रहा है। चुनाव आयोग ने भी 22 नवंबर को एक आदेश पारित कर अपने अधिकारियों को आवेदनों पर काम करने का निर्देश दिया।'' केजरीवाल ने 18 अक्टूबर के बाद नामों को हटाने पर रोक लगाने की मांग की।