एलजी को केजरीवाल की चिट्ठी, कहा, राशन स्कीम को आपकी मंजूरी की ज़रूरत नहीं

07:25 pm Jun 17, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

द्वार तक राशन स्कीम पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और लेफ़्टीनेंट गवर्नर अनिल बैजल एक बार फिर आमने-सामने हैं और एक बार फिर टकराव बढ़ने के आसार हैं। मुख्यमंत्री ने एक चिट्ठी लिख कर एलजी से कहा है कि चुनी हुई सरकार को इस स्कीम में 'आपकी मंजूरी की ज़रूरत नहीं है' और यह मामला अंतिम परिणाम तक पहुँच चुका है।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने एक फ़ाइल पर नोट लिखा कि लेफ़्टीनेंट गवर्नरल को यह तय करना है कि क्या वे चुनी हुई सरकार की इस स्कीम के नाम से 'मुख्यमंत्री' शब्द हटा देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि इस स्कीम की अधिसूचना 20 फरवरी को ही जारी कर दी गई और इस पर एलजी के पुनर्विचार की कोई ज़रूरत नहीं है।

अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि इस स्कीम की अधिसूचना जारी होने के बाद भी लेफ़्टीनेंट गवर्नर ने कोई विरोध नहीं जताया था। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के 4.7.2018 के आदेश के मुताबिक़, माननीय लेफ्टीनेंट गवर्नर के पास इस योजना पर अपनी अलग राय जाहिर करने का एक और मौका था, पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। यह पूरी योजना अपने अंजाम तक पहुँच चुकी है और अब उनके विचार के लिए नहीं है।' 

दिल्ली सरकार का आरोप

बता दें कि इसके पहले दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने घर-घर राशन पहुँचाने की योजना पर रोक लगा दी है। 

अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक बयान में कहा था, 'दिल्ली सरकार एक-दो दिन में ही दरवाजे-दरवाजे राशन पहुँचाने की योजना शुरू करने वाली थी, जिससे राजधानी के 72 लाख गरीबों को फ़ायदा होता।' इसने यह भी कहा है कि केंद्र के कहने पर राज्य सरकार ने स्कीम से मुखयमंत्री शब्द भी हटा दिया था। 

दिल्ली सरकार सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा था कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं गई, इसलिए इसपर रोक लगाई गई है।

नाम में क्या रखा है?

बता दें कि राशन योजना के नाम को लेकर पहले भी केंद्र और दिल्ली सरकारों के बीच तनातनी हो चुकी है। केंद्र सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि यह योजना केंद्र की योजना नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है, जिसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है न कि राज्य।

इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है और न ही इसको किसी और के साथ जोड़ कर सकती है।

याद दिला दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली, यूपी और हरियाणा में फँसे प्रवासियों को परिवहन को परिवहन व्यवस्था देने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दे।